Monday 31 July 2023

कलंक से रहित आत्मा की विशुद्धि ही जीवन है: आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज

By 121 News
Chandigarh, July 31, 2023:-कलंक के साथ जीना मृत्यु से भी ज्यादा पीड़ादायक होता है। कभी-कभी पूर्व कृत कर्म के उदय से भी निर्दोष होने पर भी दोष लगते हैं। सीता, अंजना जैसी सती और सुदर्शन सेठ आदि भव्य पुरुष इस कर्मोदय से नहीं बच पाये। कुछ लोग ऐसी परिस्थिति में आत्महत्या की बात सोचते हैं आचार्य कहते है कि आत्महत्या करना बहुत बड़ा पाप है। आत्म हत्या करने से दूसरे भवों में वही कर्म की उदय फिर आता है और आत्महत्या के पाप से वह कर्म का उदय और तीव्र हो जाता है, जिससे इस जन्म से ज्यादा दूसरे जन्म में कष्ट होता है। पहले के हुए पुरुषों ने धर्म की आराधना करते हुए, भगवान जिनेन्द्र देव पर श्रद्धा रखते हुए उस कर्म उदय को भोगा है और कर्म का उदय दूर हो जाने पर सुख-शांति का अनुभव उसी जन्म में किया है, उसी प्रकार हमें कष्ट में घबराना नहीं चाहिए।

हम अच्छा कृत्य करें, फिर भी हम बुरा फल पाने के लिए अपनी मानसिकता को तैयार रखें। कर्म के उदय में हमें जो भी मिल रहा है, उसे सहर्ष स्वीकारें, चाहे वह हमारे लिए अनुकूल हो या प्रतिकूल। आजकल पढ़े- लिखे लड़का लड़की भी थोड़ी सी मन की नहीं होने पर या प्रतिकूल परिस्थिति आने पर आत्महत्या जैसे घिनोने अपराध को नादानी, अज्ञानता में कर बैठते हैं और अपने परिवारको हमेशा के लिए कलंकित कर देते है। आत्महत्या के पाप से दूसरे जन्म मे कुत्ता, बकरी, सूकर, मुर्गा आदि तिर्यच्च पर्यायों में रहकर पहले से अधिक दुख भोगने पड़ते है 

वीतराग भगवान की भक्ति करने से ऐस कर्म का उदय दूर होते है। भगवान की भक्ति श्रद्धा, विश्वास, भरोसे के साथ करके देखो अवश्य ही अच्छा फल मिलेगा। वीतरागी जिनेन्द्र देव की भक्ति आराधना के आलावा कर्म को नष्ट करने का और कोई उपाय नहीं है गृहस्थों के पास मनुष्यों के पास।

बड़े से बड़े तपस्वी, मुनि, साधु, ऋषि इस भक्ति का सहरा लेते है कर्मों क्षय करने के लिए और मोक्षमार्ग की बाधाओं को को दूर करते हुए सिद्ध पद को प्राप्त कर  लेते है।

चड़ीगढ़ दिगम्बर जैन मंदिर सेक्टर- 27बी में विराजमान आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज का चार्तुमास निर्विघ्न चल रहा है। उनकी साधना के प्रताप से उनके दर्शन करने के लिए निरंतर भक्त लोगों का आना जाना लगा हुआ है ग्वालियर 
जयपुर, भिण्ड, इन्दौर आदि से पधारे भक्त गुरुदेव का आशीर्वाद लेकर अपने जीवन को धन्य करते है।

यह जानकारी ससंघ बाल ब्र गुंजा दीदी एवं धर्म बहादुर जैन ने दी।

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