Thursday, 15 July 2021

शब्द-लंगर विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगा

By 121 News

Chandigarh July 15, 2021:- पिछड़े इलाकों पिछड़े वर्गों में यूथ की समस्याओं के समाधान के लिए मौजूदा शिक्षा प्रबंध में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत को महसूस तो हर कोई कर रहा है, पर 'सोसायटी फॉर एजूकेशनल एंड अवेयरनैस इन बेकवर्ड एरियाज' ने अपने लहरागागा स्कूल में शब्द लंगर द्वारा विकसित किया गया पाठयक्रम लागू करके इस दिशा में निश्चय ही पहला कदम उठाया है। इस प्रोग्राम द्वारा स्कूली विद्यार्थियों को व्यक्तिगत स्तर पर डिजीटल युग की शिखा प्रदान की जाएगी, ताकि वह अपनी निजी सीमाओं, संभावनाओं तथा जरूरतों के अनुसार सार्थक शिक्षा प्राप्त कर सकें। नए डिजीटल युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए उच्च स्तरीय हुनर विकसित कर सकें। डिजीटल मशीनों के साथ काम करने की शिक्षा ले सकें।

वर्तमान दौर में केवल इलिट स्कूल ही ऐसी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, जिस शिक्षा को प्राप्त करके अमीर बच्चे आई.आई.टी तथा आई.आई.एम जैसी संस्थाओं द्वारा मध्यवर्गीय रोजगार हासिल करने में कामयाब होते हैं। पर यह नया प्रोग्राम अफोरडेबल होने के कारण गरीब बच्चों के लिए भी आशा की किरणा लेकर रहा है। शब्द लंगर हर किसी के लिए विश्व स्तर की एक ऐसी शिक्षा प्रदान करने के मिशन के साथ प्रतिबद्ध है।

शब्द लंगर का निर्माण करने वाली कंपनी गुड लर्निंग साफ्टवेयर सर्विसिज के एमडी . गुरप्रीत सिंह ने बताया कि सीबा अंतर्राष्ट्रीय पब्लिक स्कूल से शुरू होने वाली यह लहर किसी एक धर्म या वर्ग के लिए नहीं, बल्कि सरबत के भले के लिए सभी को एक जैसी विश्व स्तर की शिक्षा का प्रबंध करने के लिए असिस्तत्व में आई है।

सीबा के चेयरमैन . कंवलजीत सिंह ने बताया कि सीबा इस प्रोग्राम को लागू करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी, ताकि जो नवीनतम तकनीक को अपनाने वाला यह स्कूल दुनिया के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
शब्द लंगर की प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. सोनू ग्रेवाल ने बताया कि शब्द लंगर के सलाहकार अमरजीत सिंह ग्रेवाल द्वारा लिए गए इस सपने को साकार कने के लिए जहां एक शक्तिशाली एप तथा उच्चकोटि का कांटेट तैयार किया गया है, वहीं शिक्षा के साथ जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए एक नई नीति भी लेकर आए हैं। इस तहत स्कूल के बच्चों को नई शिक्षा के लिए प्रेरित करना तथा अध्यापकों को फ्लिपड टीचिंग की ट्रेनिंग देना पहल के आधार पर शामिल किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि वर्तमान व्यवस्था में स्कूल का मकसद बच्चों को केवल उच्च शिक्षा के लिए उच्च संस्थाओं में दाखिले के लिए तैयार करने तक सीमित होकर रह गया है, पर हम उनके अंदर नई परम्पराओं तथा शक्तियां जगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

No comments:

Post a Comment