Tuesday, 18 August 2020

प्राइवेट स्कूलों में पंजीकरण के मामले में हरियाणा है तीसरा सबसे बड़ा राज्य: भारत में प्राइवेट स्कूलों की स्थिति पर सेक्टर रिपोर्ट

By 121 News

Chandigarh August 18, 2020:- हाल ही में जारी भारत में प्राइवेट स्कूल- स्थिति पर सेक्टर रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हरियाणा तीसरा ऐसा राज्य हैजहां सबसे ज्यादा बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। राज्यर के कुल बच्चों  में से 58.3 प्रतिशत बच्चे प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते हैं। गुणवत्तांपूर्ण स्कूल शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने वाले गैर-लाभकारी संगठन सेंट्रल स्कवायर फाउंडेशन और सामाजिक प्रभाव पर केंद्रित निवेश कंपनी ओमिदयार नेटवर्क इंडिया द्वारा जारी इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले एक दशक के दौरान हरियाणा में प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। इससे प्राइवेट स्कूलों में छात्रों की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए काम करने की आवश्यकता को बल दिया है।

इस रिपोर्ट को अमिताभ कांतसीईओनीति आयोग द्वारा जुलाई, 2020 में एक वर्चुअल वेबीनार में जारी किया गया था। यह रिपोर्ट इस क्षेत्र पर मौजूदा शोध और साक्ष्यों  का एक व्यापक विश्लेषण है। यह रिपोर्ट सेक्टर के आकारइसके सामने चुनौतियां और प्रत्येक राज्या में छात्रों के लिए शिक्षा परिणामों को बेहतर बनाने के लिए संभावित सुधारों पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराती है। विशेष रूप सेहरियाणा मेंरिपोर्ट में पाया गया है कि ग्रामीण प्राइवेट स्कूलों में पिछले छह सालों के दौरान पढऩे और गणित कौशल में थोड़ा सुधार हुआ है। यह इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि राज्यरमें पढऩे और गणित के मापदंडों पर सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों का प्रदर्शन बेहतर है। प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 5के 78.3 प्रतिशत बच्चें कक्षा 2 की किताब पढ़ सकते हैंवहीं सरकारी स्कू्लों में यह संख्या 58.1 प्रतिशत है। इसके अलावासरकारी स्कू़लों के 34.4 प्रतिशत छात्रों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों के 64.5 प्रतिशत कक्षा 5 के छात्र गुणा.भाग कर सकते हैं। हालांकिसीखने का स्तर कक्षा-स्तर की शिक्षा के अनुरूप नहीं है और यह एक चिंता की वजह है।

आशीष धवनसंस्थापक-चेयरमैनसेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशनने प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा को बेहतर बनाने पर कहा कि प्राइवेट स्कू्ल सेक्टर के महत्व को समझना बहुत महत्वपूर्ण हैजो हरियाणा में प्रत्येतक 2 में से 1 छात्र को शिक्षित करते हैं। हमें गुणवत्ता के आधार पर शिक्षा के स्तर में सुधार और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय सुधारों की जरूरत है। कक्षा 3, 5 और 8 में मुख्य  चरण की परीक्षाओं के आधार पर मूल्याककंन-आधारितजैसा नई शिक्षा नीति . (नेशनल एजुकेशन पालिसी) में सुझाव दिया गया हैएक विनियामक ढांचा तैयार करने में मदद कर सकता है जो शिक्षा परिणामों पर केंद्रित होगा। यह एक संकेतक भी बन सकता हैजो अभिभावकों को सभी स्कूलों के बीच शिक्षा के स्तर की तुलना करने और अपने बच्चों के लिए बेहतर स्कूल का चयन करने में सक्षम बनाएगा।

रूपा कुडवाप्रबंध निदेशकओमिदयार नेटवर्क इंडिया ने कहा कि हमें स्कूल का चुनाव करते समय शिक्षा गुणवत्ता पर आधारित एक सही निर्णय लेने के लिए अभिभावकों को सशक्त बनाने की जरूरत है। शिक्षा पर स्कूलों का प्रदर्शन कैसा है इस बारे में सही जानकारी के अभाव मेंअभिभावक स्कूल के इन्फ्रास्टरक्चरख् या अंग्रेजी बोलने जैसे मापदंडों को महत्वे देते हैं। परोपकारी पूंजी तीन प्रमुख क्षेत्रों- जागरूकता फैलानेस्कूालों द्वारा स्वयं पारदर्शिता को बढ़ाने और अभिभावकों एवं स्कूलों के बीच जुड़ाव की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्व्पूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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