Saturday 8 August 2020

मास्टरशेफ नॉर्वे 2020 प्रतियोगिता में भारतीय मूल की महिला ने टॉप 16 में बनाई जगह: डॉ. सकीरत वड़ैच ने भारत को किया गौरवान्वित

मास्टरशेफ नॉर्वे 2020 प्रतियोगिता में भारतीय मूल की महिला ने टॉप 16 में बनाई जगह: 
डॉ. सकीरत वड़ैच ने भारत को किया गौरवान्वित

By 121 News
Chandigarh August 08, 2020:-डॉ. सकीरत वड़ैच टीवी शो मास्टरशेफ नॉर्वे 2020 के लिए चुने गए 16 प्रतियोगियों में से एक हैं। वे मास्टरशेफ नॉर्वे में चुने जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला बनकर भारत को गौरवान्वित कर रही हैं।
वह भारत में देहरादून की रहने वाली हैं और उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा एन मैरी स्कूल और एशियन स्कूल देहरादून से की है और उन्होंने अपनी स्नातक शिक्षा दिव्य ज्योति कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज, मोदीनगर से की है। उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन से एस्थेटिक डेंटिस्ट्री में मास्टर्स के साथ पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा किया।
नार्वे की भाषा में नॉर्वे से अपनी परीक्षा और पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद पेशेवर रूप से वह 2014 से नॉर्वे में दंत चिकित्सक हैं। वह अपना खुद का क्लिनिक Mitt Smil Laser Tannklinikk (जिसका अंग्रेज़ी में अर्थ है मेरी मुस्कान लेजर डेंटल क्लिनिक ), जहां लेजर संचालित दंत चिकित्सा का अभ्यास किया जाता है।
वह अपने पति डॉ. मोहपाल सिंह काहलों, जो नार्वे में एक वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, से शादी के बाद 2012 के अंत में नॉर्वे चली गईं। उनकी एक बेटी है जो दो साल की है और उसका नाम अमायना कौर काहलों है। उनकी सास श्रीमती सुरिंदर कौर काहलों और ससुर सिंह काहलों पिछले 40 वर्षों से नॉर्वे में रह रहे हैं और उनका खुदरा और संपत्ति क्षेत्र में एक सफल व्यवसायिक इतिहास रहा है।
उनके माता-पिता भारत के देहरादून में रहते हैं, और उनके पिता जगदेव सिंह वड़ैच पेशे से इंजीनियर हैं, लेकिन अपनी लगन से एक खिलाड़ी रहे हैं। वह अब देहरादून में ओएनजीसी में जीएम के रूप में काम करते हैं। उनकी माँ-प्रभपाल कौर वड़ैच एक प्रोफेसर रही हैं, और गुजरात विद्यापीठ विश्वविद्यालय में पंजाबी भाषा की अध्यक्ष थीं, लेकिन अब एक गृहिणी हैं। श्रीमती वड़ैच को हमेशा से ही खाना बनाने का शौक रहा है और सकीरत का मानना ​​है कि बड़े होने के दौरान उनके अंदर खाने के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है।
उनकी मास्टरशेफ यात्रा काफी रोमांचक रही है, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलियाई, कनाडाई और अंग्रेजी संस्करणों के साथ मास्टरशेफ इंडिया की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं, वह मास्टरशेफ के किसी संस्करण व श्रृंखला को देखे बिना नही छोड़तीं हैं, उन्हें याद है कि किस प्रकार, मास्टरशेफ इंडिया के समापन को देखते हुए उनकी खोज मास्टरशेफ नॉर्वे को खोजते हुए समाप्त हुई, की क्या वे उसे देख सकती हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उन्होंने पाया कि मास्टरशेफ नॉर्वे 2020, इस नए सत्र में भाग लेने के लिए आवेदन स्वीकार कर रहा था। मास्टरशेफ नार्वे की आखिरी श्रृंखला 2015 में बनाई गई थी, और यह धमाके के साथ टीवी पर वापिसी कर रहा था। उन्होंने आवेदन पत्र देखा और उत्साहितपूर्वक, बिना ज्यादा विचार किये इसे भरना शुरू कर दिया। उस आवेदन पत्र से ऑडिशन के लिए बुलाए जाने और इंटरव्यू में टॉप 16 में आने से उनका एक सपना सच हो गया।
सकिरत एक बहुत बड़ी भोजन प्रेमी हैं, वह भोजन से प्यार करती हैं और जब वह यात्रा कर रही होती हैं तब और या फिर अपने आसपास मौजूद किसी भी विभिन्न भोजन चखने के किसी अनुभव का हिस्सा बनने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। इस भोजन प्रेम के लिए उनकी माँ उनकी प्रेरणा रही हैं। वह मास्टरशेफ के निर्णायकों से भी प्रेरणा लेती हैं जैसे कि मिशेलिन, शेफ विकास खन्ना, जो तमाम संघर्षों से गुजरे एक रसोइये के लिए जीते जागते प्रेरणा स्त्रोत हैं। जब वह उन जैसे लोगों को देखती है तो उन्हें कुछ भी असंभव नहीं लगता है। "आण्विक गैस्ट्रोनॉमी" जो कि आधुनिक समय के भोजन का एक हिस्सा है, उन्हें सबसे ज्यादा रुचिकर लगता है, और वहाँ उन्होंने अनुभव किया कि वह अपने अंतर्मन, अनुभवी  खानसामा और एक दाँत चिकित्सक के बीच की कड़ी को अनुभव करती हैं। वह दृढ़ता से, सही सामग्री के साथ एक डिश बनाने पर विश्वास करती है, पोषण और स्वाद का संतुलन किसी विज्ञान परियोजना से कम नहीं है। शो में उनका ध्यान आधुनिक खाना पकाने की तकनीकों का उपयोग करके अन्य व्यंजनों से फ्यूजन और प्रेरणा के साथ आधुनिक भारतीय व्यंजन बनाने पर रहा है।
वह मास्टरशेफ नॉर्वे में अपनी रोमांचक नई यात्रा की प्रतीक्षा कर रही है क्योंकिइसमें भाग लेने वाली वह पहली भारतीय है, वह भारत और विदेशों में अपने प्रशंसकों से प्यार और समर्थन की उम्मीद करती है। प्रोमो नार्वे चैनल पर है और यह शो प्रसारित होगा सितंबर में। आप उनके पेजीज़ के माध्यम से उसकी यात्रा का अनुसरण कर सकते हैं।

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