By 121 News
Mohali June 16, 2021:- हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो जाने से वो कमजोर हो जाती है और जरा सा आघात पड़ते ही फ्रैक्चर हो जाता है। बुज़ुर्गों में कूल्हे के फ्रैक्चर की समस्या बढ़ जाती है। जरा सा गिरे या बाथरूम में फिसले तो खतरनाक फ्रेक्चर हो जाता है।
आईवी अस्पताल, मोहाली में आर्थोपेडिक व ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के डायरेक्टर,भानु प्रताप सिंह सलूजा बताते हैं कि दरअसल हड्डियों में जब कैल्शियम की कमी हो जाती है तो वो कमजोर और खोखली होने लगती हैं, ऐसे में जरा सा दबाव पड़ते ही वे टूट जाती है। इस परेशानी से बचने के लिए हड्डियों में कैल्शियम की जांच करानी चाहिए, इससे पता चलता है कि हड्डी कितनी कमजोर हो गई हैं और इलाज का तरीका क्या होगा।
हड्डियों में कैल्शियम की जांच में जब पता चलता है कि हड्डी कमजोर है तो कैल्शियम की दवाई देकर उपचार किया जाता है। कई बार किसी हार्मोन की कमी के कारण भी यह समस्या हो जाती है। अत्याधुनिक तकनीक में आर्टिफिशियल पैराथाइराइड हार्मोन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं, इससे कैल्शियम और जरूरी हार्मोन की पूर्ति हो जाती है। बार बार फ्रैक्चर होने की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को सहारे के साथ चलने के अलावा कूल्हे की सुरक्षा के लिए हिप पेंडिंग लगाए रहना चाहिए।
भानु प्रताप सिंह सलूजा ने बताया कि, कूल्हे में बार-बार फ्रैक्चर होने की समस्या जटिल होने पर निजात दिलाने के लिए कूल्हे के जोड़ को बदलना होता है। आजकल नई तकनीक में पूरा जोड़ बदलने के बजाए कूल्हे में आधा जोड़ बदल कर ही मरीज को ठीक कर दिया जाता है। पहले कूल्हे का फ्रेक्चर होने के इलाज में हड्डी जुडऩे में काफी लंबा समय एक-डेढ़ महीना लगता था। साथ ही मरीज को बिस्तर पर ही पड़े रहने, वहीं पर दैनिक क्रियाकलाप करने से कई तरह की बीमारी हो जाती थी। अब कूल्हे का प्रभावित हिस्सा यानि आधा जोड़ बदल कर ही इलाज हो जाता है। इसमें मरीज ऑपरेशन के बाद तुरंत चलने लगता है और कुछ दिन में बिना सहारे का सारा काम करने लगता है। रिकवरी भी जल्दी हो जाती है।
हड्डियों में कैल्शियम की जांच में जब पता चलता है कि हड्डी कमजोर है तो कैल्शियम की दवाई देकर उपचार किया जाता है। कई बार किसी हार्मोन की कमी के कारण भी यह समस्या हो जाती है। अत्याधुनिक तकनीक में आर्टिफिशियल पैराथाइराइड हार्मोन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं, इससे कैल्शियम और जरूरी हार्मोन की पूर्ति हो जाती है। बार बार फ्रैक्चर होने की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को सहारे के साथ चलने के अलावा कूल्हे की सुरक्षा के लिए हिप पेंडिंग लगाए रहना चाहिए।
भानु प्रताप सिंह सलूजा ने बताया कि, कूल्हे में बार-बार फ्रैक्चर होने की समस्या जटिल होने पर निजात दिलाने के लिए कूल्हे के जोड़ को बदलना होता है। आजकल नई तकनीक में पूरा जोड़ बदलने के बजाए कूल्हे में आधा जोड़ बदल कर ही मरीज को ठीक कर दिया जाता है। पहले कूल्हे का फ्रेक्चर होने के इलाज में हड्डी जुडऩे में काफी लंबा समय एक-डेढ़ महीना लगता था। साथ ही मरीज को बिस्तर पर ही पड़े रहने, वहीं पर दैनिक क्रियाकलाप करने से कई तरह की बीमारी हो जाती थी। अब कूल्हे का प्रभावित हिस्सा यानि आधा जोड़ बदल कर ही इलाज हो जाता है। इसमें मरीज ऑपरेशन के बाद तुरंत चलने लगता है और कुछ दिन में बिना सहारे का सारा काम करने लगता है। रिकवरी भी जल्दी हो जाती है।
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