By 121 News
Chandigarh March 26, 2021:- ट्राई-वेबिनार श्रृंखला की पहले आयोजन-''प्रोसेस ऑफ चंडीगढ़: कैरिंग फारवर्ड द लिगेसी ऑफ द कार्बूजि़यर एंड पियरे जीनरे'' में कई जाने माने लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। एक्ट! चंडीगढ़ और साकार फाउंडेशन द्वारा संयुक्त तौर पर आयोजित की गई इस ट्राई-वेबिनार श्रृंखला को भारत में आधिकारिक स्विस डिप्लोमैटिक प्रतिनिधि, ली कार्बूजि़यर फाउंडेशन, पेरिस, चंडीगढ़ और पंजाब चैप्टर ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स, फायर एंड सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया और एसोचैम-जीईएम द्वारा समर्थित किया जा रहा है।
इस आयोजन का उद्देश्य चंडीगढ़ शहर और आस-पास के क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख मुद्दों से संबंधित जानकारी पर एक खुली चर्चा के लिए सभी हितधारकों को अपनी राय रखने के लिए आगे लेकर आना है। पहले ही प्रयास को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
आज यहां आयोजित पहले वेबिनार का शीर्षक-लिगेसी एंड विजन था। मुख्य अतिथि माननीय भारत में स्विट्जरलैंड के राजदूत डॉ.राल्फ हेकनर ने अपना प्रमुख संबोधन किया। उन्होंने चंडीगढ़ के इतिहास और विरासत के बारे में निवासियों के बीच जागरूकता बढ़ाने और उन्हें समाधान का हिस्सा बनाने के लिए आयोजकों के प्रयासों की सराहना की।
आर्किटेक्ट शिल्पा दास ने विषय के परिचय देते हुए बताया कि इस शहर में एक संपूर्ण राष्ट्र के संसाधनों की शानदार अवधारणा और काफी निवेश के बावजूद, चंडीगढ़ काफी समय से संघर्ष कर रहा है। चंडीगढ़ बाकी देशों के लिए एक उदाहरण के रूप में प्रासंगिक बने रहने के लिए, इसके आसपास के मुद्दों पर सार्वजनिक मंचों पर चर्चा की जानी चाहिए।
सीनियर एडवोकेट, मनमोहन लाल सरीन ने पिछले 66 वर्षों से शहर में रहने के अपने अनुभव को साझा किया और इस बात पर जोर दिया कि चंडीगढ़ के नागरिकों को इसकी मूल संरचना में बहुत अधिक बदलावों से इसे बर्बाद होने से रोकने के लिए सतर्क और सक्रिय रहना होगा। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ और इसकी आसपास के विकास के लिए एक केन्द्रीय नियंत्रण प्राधिकरण का गठन किया जाना चाहिए, जिसमें आर्किटेक्ट्स, टाउन प्लानर, इंजीनियर, पर्यावरणविदों आदि टेक्नोक्रेट्स को इसका सदस्य बनाए जाए।
डॉ.फिलिप उर्सपरूंग, प्रोफेसर, स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, ज्यूरिख, स्विटजरलैंड ने वेबिनार में अपनी प्रेजेंटेशन दी। इस दौरान उन्होंने ली कार्बूजि़यर के काम को समकालीन से ऐतिहासिक बनाने के सवाल को उठाया। क्या होता है, जब वास्तुकला एक सांस्कृतिक विरासत बन जाती है? एक स्मारक कैसे जीवित रह सकता है?
चंडीगढ़ की पूर्व चीफ आर्किटेक्ट सुमित कौर ने चंडीगढ़ मास्टर प्लान को पूरी तरह से मूल आधार पर ही लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
आर्किटेक्ट एवं लेखक सुरिंदर बाहगा ने बताया कि सिटी ब्यूटीफुल को कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि ट्रैफिक को लेकर बढ़ती भीड़भाड़, पार्किंग की समस्या, झुग्गी-झोपड़ी, सॉलिड-वेस्ट मैनेजमेंट आदि। उन्होंने शहर के साथ-साथ आसपास के क्षेत्र के भीतर बनाए रखे गए गांवों को मॉडल गांवों के रूप में विकसित किए जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य में अनियमित विकास की जांच के लिए डेवलपमेंट गाइडलाइंस तैयार की जानी चाहिए।
डॉ.अराधना जिंदल, प्रिंसिपल, एमएम स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर ने उम्मीद जताई कि यह वेबिनार अपने आयोजकों द्वारा अपेक्षित उम्मीदों के अनुसार शहर के भविष्य की सुरक्षा के लिए इतिहास में एक प्रेरक की तरह काम करेगा।
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