किन्नरों के दो गुटों में झगड़ा बढ़ता जा रहा है जिसको लेकर समाज में भी किन्नरों की छवि धूमिल होती जा रही है यह दो गुटों का झगड़ा इतना बढ़ गया है कि एक गुट ने अपनी जान का खतरा तक बता कर सुरक्षा की मांग तक कर डाली है। यह आरोप लगाए हैं महंत ज्योति गुट ने। जिन्होने आज इस मुद्दे पर पत्रकारवार्ता कर पूजा गुट पर गंभीर आरोप भी लगाए। और उनके पक्ष में डडूमाजरा की महंत सोनाक्षी, महंत सिमरन और मीना महंत भी उतर आई है। जिन्होने कहा कि अगर उनके बीच कोई भी झगड़ा चाहे वो एरिया को लेकर है,असली- नकली की पहचान को लेकर हो या अन्य चीजों को लेकर तो वह अपना मुद्दा बिरादरी में सुलझाए। आए दिन एक दूसरे पर आरोप लगाएंगें तो इससे समाज में किन्नरों को लेकर लोगों की छवि धूमिल हो रही है। हालांकि विवाद एरिया को लेकर था जिसके बाद यह बढ़ता जा रहा है। ज्योति महंत ने अपनी जान को खतरा बताया है और कहा कि पूजा गुट के साथ जो किन्नर हैं वो लड़के हैं और वह उन्हें किन्नर बनाती है जिसकी तस्वीर भी उन्होने मीडिया के समक्ष पेश की। और कहा कि उनकी मेडिकल जांच की जाए। वो सभी लड़के है जो किन्नरों के रूप धारण कर किन्नरों की छवि खराब कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किन्नर गुटों में विवाद हमेशा एरिया को लेकर ही होता है। हालांकि आपसी सहमति से सब डेरा के एरिया तय हो रखे है। लेकिन इसके बाबजूद भी गुटों में लड़ाई हो जाती है। इसका मुख्य कारण नकली किन्नरों की घुसपैठ है। लोग असली नकली किन्नर की पहचान नही कर पाते है।
महंत सोनाक्षी, महंत ज्योति, महंत मीना और महंत सिमरन सहित अन्य ने बताया कि किन्नर समाज मे ट्रांसजेंडर के आ जाने से असली किन्नर समाज को दिक्कतें पेश आ रही है। उन्होंने बताया कि लोग अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए ट्रांसजेंडर को असली किन्नर समझ बधाई दे देते है। लेकिन जब असली किन्नर अपनी वधाई लेने पहुंचते हैं तो विवाद हो जाता है। महंत सोनाक्षी ने आगे बताया कि गत दिनों खरड़ में महंत ज्योति और पूजा में हुए विवाद की भी मुख्य वजह एरिया को लेकर ही रही है। महंत ज्योति उस एरिया की बहुत पुरानी किन्नर है। वो लगभग पिछले 20 वर्षों से उस एरिया में वधाई लेती आ रही है।उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर और होमोसेक्सुअल के आ जाने से असल किन्नर समाज की इमेज बदनाम हुई है। यह लोग लोगों के घर वधाई लेने तो पहुंच ही जाते है, बल्कि घर के लोगों के साथ बदतमीजी पर भी उतर आते है।ऐसे लोगों को किन्नर होना पेशा लगता है और आसानी से पैसा कमाने का जरिया।
उन सभी ने इस मौके सरकार से उन्हें मुख्यधारा में लाए जाने की दिशा में उचित कदम उठाए जाने की भी मांग की। उनका कहना है कि सरकार और सोसाइटी बेशक 21वीं सदी की बात करते हैं, और आधुनिकता की का राग अलापते हैं। लेकिन अभी भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है, उन्हें सोसाइटी में बराबर का दर्जा नही दिया जाता।
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