Friday 23 October 2020

भाजपा सरकार से इस समय का देश एक भी वर्ग नहीं है संतुष्ट: परमजीत सिंह

By 121 News

Chandigarh Oct. 23, 2020:- भारतीय जनता पार्टी की सरकार से इस समय का देश एक भी वर्ग खुश नहीं, संतुष्ट होना तो दूर की बात है। नित्य नए कारनामे करके जनता की परेशानियों को बढ़ाने के लिए हर तरफ से प्रयासरत, इस सरकार को यदि अंकों के आधार पर रेटिंग दी जाए तो 10 में शून्य भी नहीं मिलेगा। क्या मजदूर, क्या नौकरी पेशा, क्या दिहाड़ीदार, क्या बेरोजगार, क्या फड़ीवाला, क्या रेड़ीवाला, यहां तक की क्या अन्नदाता किसान, यानी हर इंसान परेशान और दीगर बात यह है कि इन सब की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। महंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। जिन चीजों के बढ़े दामों को लेकर भाजापाई आंदोलन करते थे। सब को रोकते थे, उपद्रव मचाते थे, हंगामे बरपाते थे। तोड़फोड़ करते थे। भाजपा उन्हीं समस्याओं को नजरअंदाज करके जनता के खून पसीने की कमाई को दबोच लेना चाहती है। मोटे तौर पर विकास के नारे को बुलंद करके और उसको गति देने के लिए प्रयासरत भाजपा विकास के नाम पर तो कुछ कर नही पाई। बल्कि बीएसएनल, एयर इंडिया, रेलवे और कई सरकारी उपक्रमों से लोगों को निकाल दिया। अब जबकि बेरोजगारी का आंकड़ा अपने चरम पर है तो 2लाख नौकरियों का ढिंढोरा पीट कर सरकार 12 करोड़ लोगों के मुंह पर तमाचा मार रही है। इसके अलावा कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमराई है। रोज  बलात्कार के समाचार आते हैं, जो दिल दिमाग ही नहीं आत्मा तक को झंझंकोर देते हैं, और कभी-कभी ऐसे समाचार ओछी राजनैतिक गतिविधियां भी पैदा करते हैं। जो किसी भी स्वस्थ समाज सरकार के लिए शर्मनाक है लेकिन इस सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। वर्तमान सरकार के सारे दावे और वायदे फेल हो गए हैं। कभी-कभी यह विचार मन में पैदा होता है कि क्याअपने आप को यह सरकार और इसके नुमाइंदे माफ कर पाएंगे। दिशाहीन गंतव्य की ओर अग्रसर दूसरों को अच्छे कर्मों का श्रेय खुद लेने की महत्वाकांक्षा और खोखले नारे से लबरेज इस सरकार ने, लोगों को अपने हक के लिए सड़कों पर आने को मजबूर किया है। किसान परेशान है, किंतु अपने लबादे में खुद को महान साबित करने में जुटे भाजपा और उसके अनुयायी पता नहीं देश को किस बुरी हालात में लाकर छोड़ेंगे। इनकी उपलब्धियों को 6 सालों में उंगलियों पर गिनाया जा सकता। इनकी जनविरोधी नीतियों के चलते लाखों मजदूरों को हजारों किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ी, और सैकड़ों मजदूरों को अपनी जान गवानी पड़ी। बहरहाल यही उम्मीद है कि अगर सच में ज़मीर नाम की चीज जिंदा है तो अपने गिरेबान में झांक कर अपने आप से सरकार को सवाल करना चाहिए कि सच में यह सरकार आने वाली नस्लों को एक ऐसे भारत का रूप दे आएगी, जिस भारत में रहने वाला व्यक्ति सुरक्षित और खुश रह कर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण शांतिपूर्ण तरीके से कर पाए।

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