Thursday, 28 February 2019

डॉक्टर सतबीर सिंह: स्पोर्ट्स मेडिसन स्पेश्लिस्ट, आर्थोस्कोपी एंड स्पाईनल इंडोस्कोपी कंसल्टेंट

By 121 News

Chandigarh 28th Feb, 2019:-  मोहाली स्थित कोस्मो होस्पिटल के डॉक्टर सतबीर सिंह ट्राईसिटी के एकमात्र स्पोर्ट्स मेडिसन कंसल्टेंट हैं। उन्होनं पुणे स्थित एएफएमसी से एमबीबीएस करने और सेना में पांच वर्ष बीताने के बाद पटियाला स्थित नैश्नल इंस्टीच्यूट ऑफ स्पोर्ट्स से स्पोर्ट्स मेडिसन में स्पेश्लाईजेशन किया। चंडीगढ़ स्थित चंडीगढ़ लॉन टेनिस ऐकेडमी से शुरुआत करने के बाद उन्होंनें नैश्नल और इंटरनैश्नल ख्याति के लिये एक लंबा सफर तय किया है। वर्ष 2010 में उन्होंने मोहाली स्थित पंजाब क्रिकेट ऐसोसियेशन में प्रतिष्ठित बीसीसीआई एकेडमी ज्वाईंन की और बीसीसीआई के अंर्तगत उत्तरी भारत के नौ राज्यों के ट्रेनर्स की ट्रेनिंग में जुट गये पंजाब की जूनियर और सीनियर टीमें भी उन्हीं की देखरेख में थी जबकि सीनियर टीम की रणजी ट्राफी के लिये वे दो सत्रों तक युवा क्रिकेटर्स को ट्रेनिंग देते रहे। उन्होंनें बैंगलोर में बीसीसीआई की नेश्नल क्रिकेट ऐकेडमी में कई कांफ्रेसों और संगोष्ठियों में भी भाग लिया। 

बीसीसीआई में रहने के दौरान हॉकी इंडिया ने उनके साथ संपर्क किया जिसके बाद वे एफआईएच के अधीन महिलाओं की भारतीय हॉकी टीम के साथ जुडे। इस दौरान टीम ने सिल्वर मैडल जीता। इसके बाद महिला हॉकी टीम ने आयरलैंड का दौरा किया डॉक्टर सतबीर का हॉकी से नाता गत 2008 से है जब वे चंडीगढ़ में वर्ष 2008 में आयोजित प्रीमियर हॉकी लीग के दौरान टूर्नामेंट डायरेक्टर थे।  इस दौरान उन्होंने सभी नैश्नल और इंटरनैश्नल खिलाड़ियों की मेजबानी की थी। 

डॉक्टर सतबीर मैन्यूअल थैरेपी, ड्राई नीडलिंग, टेपिंग, इंट्राआर्टिकूलर इंजैक्शन, पॉप कास्ट, एक्सरसाईज रेसक्रिप्शन और रिहबिलैशन, इलेक्टिथैरेपी, फिजियोथैरेपी, फिटनैस ट्रेनिंग में एक पूर्ण रुप से ट्रेंड और सर्टिफाईड प्रोफेशनल हैं। 

देश के विभिन्न स्पैश्लाईज्ड सेंटरों में डाक्टर सतबीर ने तीन सालों तक नी और सोल्डर यानि घुटने और कंधे की आर्थोस्कोपी की टेनिंग ली। अब वे सभी प्रकार की नी सर्जरियां जैसे एसीएलआर और एसीएल रिपेयर, मेनीसकस रिपयेर, पीसीएल रिकंस्टक्शन आदि को अंजाम दे देते हैं। कंधे की सर्जरियों में वे एक्रोमियोप्लास्टी, लातरजेट, रोटाटेर कफ रिपेयर, बैनकार्ट रिपेयर, फ्रोजन सोल्डर रिलीज, बाईसेप्स के लिये टिनोडेसिस एंड टेनोटोमी आदि को अंजाम देते हैं। 

उनकी विशेष रुचि और ट्रेनिंग ओर्थोबॉयोलोजिक्स में हैं जोकि कई प्रकार की कार्टिलेज इंजरियों और गठिया यानि आरथिराईटिस का अपने ही बॉडी सेल्स जैसे पीआरपी, प्लेटलेट्स रिच प्लास्मा, बीएमएसी, बोन मैरो एस्पीरेट कनंस्टेट, मैसेनचिमल फेट्स सेल्स आदि द्वारा उपचार करने में सहायक है। चोटिल स्थानों या ज्वाईंट्स पर इंजेक्ट करने के बाद यह टिश्यू की रिपयेर में मदद करते हैं। उन्होंनें अब तक नी आर्थीराईटिस मरीजों को 2500 से भी अधिक हायालोरनिक ऐसिड इंजैक्शन दिये हैं जिससे की बेहतर परिणाम प्राप्त हुये हैं। इसी तकनीक से उपचार के लिये पड़ोसी राज्यों के मरीज भी उनके पास आते हैं। उनका मोटो है 'ओरिजनल इज ओरिजनल एंड शुड बी रिटेंड'

अधिकतर मरीज और खिलाड़ी डिस्क और पीआईवीडी की समास्या से पीड़ित होते हैं और कोई निरधारित उपचार के आभाव के चलते इन रोगियो की गिनती की संख्या बढ़ती जा रही है। डॉक्टर सतबीर इंडोस्कोपिक स्पाईन सर्जरी विशेषकर डिस्क में दक्षता प्राप्त हैं। यह उच्च कोटि की सूक्ष्म सर्जरी है जिसमें मरीज का ईलाज एनिसथिसिया के बीच किया जाता है और मरीज का उसी शाम को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। परिणाम टेबल से ही प्राप्त किये जा सकते हैं। 

वर्तमान मे वह सभी प्रकार के खिलाडियों को स्पोर्ट्स ट्रीटमेंट देते हैं जिसमें एयर फोर्स सेक्टर 42 हॉकी स्टेडियम, सीएलटीए, सर्कल कब्बडी, वेट लिफ्टर्स, बॉडी बिल्डर्स, सेक्टर 7 स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स, मैराथन रनर्स संबंधी ऐथलीट्स शामिल हैं उनका स्पैश्लाईजैशन रनिंग इंजरी है और हाल ही में उन्होंनें कॉम्पलैक्स नी इंजरी में मास्टर्स किया है। 

महर्षि दयानंद जन्म उत्सव बड़े धूमधाम से संपन्न

By 121 News

Chandigarh 28th Feb, 2019:-  केंद्रीय सभा द्वारा आर्य समाज सेक्टर 7 बी चंडीगढ़ में आयोजित महर्षि दयानंद जन्म उत्सव बड़े धूमधाम से संपन्न हो गया है।  वैदिक प्रवक्ता डॉ. विक्रम विवेकी ने प्रवचन के दौरान कहा कि महर्षि दयानंद जी ने समस्त जीवन मानव उत्थान के लिए लगाया। उनका आदर्श व्यक्ति था। यह तभी संभव है जब मनबुद्धि और शरीर में सुदृढ़ता आए।  महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने सत्य का पालन किया।  उन्होंने सत्य के अर्थ का प्रकाश किया। प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में देव है क्योंकि वह बच्चोंसमाज, देश और विश् को कुछ ना कुछ अर्पित करता है।  ज्ञान इकट्ठा करनागति करनाकर्म करते रहना और अपनी कमी को स्वयं से कहना आग्नेय है।  अग्नि तत्व आने से देवता से सूर्य बन जाता है।  सूर्य से अधिक प्रकाशमान कोई नही  है।     

डॉ. कृष्ण सिंह आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने 13 वर्ष की आयु में संपूर्ण वेद कंठस्थ किया था।  जीवन की घटना छोटी होती है परंतु वे जीवन की धारा को बदल देती है।  उन्होंने कहा कि विद्या से जितेंद्रयता बढ़ती है और अविद्या की डोर छूट जाती है।  स्वामी जी ने अपने जीवन काल में 66 पुस्तकें लिखी। इसके लिए उन्होंने 10000 मंत्रों का साक्षात्कार तथा 3,000 पांडुलिपियों का अध्ययन किया। धर्म सत्य पर आधारित तथा न्याय पूर्ण है। उन्होंने बताया कि ऋषि दयानंद ने विज्ञान के कई सूत्र दिए हैं।  डॉ. आर्य ने स्वामी दयानंद की कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने  वेद के मंत्रों का प्रयोग करना बताया।  राष्ट्र को राष्ट्र की तरह समझाने वाला मध्यकाल में स्वामी दयानंद ही थे।      

स्वामी विदेह योगी ने कहा कि ऋग्वेदादिभाष्य सारा शोध कार्य है।  स्वामी जी ने वेद को भाषित किया है।  इसका उन्होंने संस्कृत और  हिंदी दोनों में भाष्य  किया है।  संस्कृत भाष्य विद्वानों के लिए तथा हिंदी भाष्य जन सामान्य के लिए था।  स्वामी जी ने शाब्दिक नहीं बल्कि योगिक भाष्य किया।   जिस प्रकार पक्षी के दोनों पक्ष अर्थात पंख मजबूत होने चाहिए वैसे ही मनुष्य जीवात्मा में भौतिक और आध्यात्मिक पक्ष  प्रबल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि शस्त्र और शास्त्र से हमेशा तैयार रहना चाहिए।  स्वामी दयानंद का दुर्लभ व्यक्तित्व रहा।  उनमें दया और आनंद दोनों ही थे।

कार्यक्रम से पूर्व भजनोपदेशक पंडित उपेंद्र आर्य ने  मनमोहक भजन प्रस्तुत किए। केंद्रीय सभा के प्रधान रविंद्र तलवाड़ ने उपस्थित अतिथियों तथा लोगों का धन्यवाद किया। 

प्रकाशचंद्र शर्मा ने मंच का सफल संचालन किया। 

केंद्रीय आर्य सभा के मीडिया सलाहकार डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि सुंदर झांकियों के लिए केबीडीएवी सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल सेक्टर 7 बी और डीएवी मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल 15 को प्रथम, डीएवी सीनियर सेकेंडरी  स्कूल सूरजपुर और डीएवी पब्लिक स्कूल मोहाली को द्वितीय पुरस्कार तथा डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल-8, पुलिस, पुलिस डीएवी पब्लिक स्कूल पंचकूलाडीएवी पब्लिक स्कूल सेक्टर 8 चंडीगढ़ को तृतीय स्थान मिला।

इस मौके पर  जस्टिस  एएल बाहरीबीआर गुप्ता,   कर्नल धर्मवीररघुनाथ आर्य, धर्मवीर बत्राश्रुति कांतमधु बहल, डॉ. अजय गुप्ताआर्य  समाजों  के सदस्य तथा पदाधिकारी और डीएवी शिक्षण संस्थाओं के शिक्षकगण, प्राचार्य  तथा गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।