By 1 2 1 News Reporter
Chandigarh 20th June:-- निर्जला एकादशी हमारा एक पुराना त्यौहार है । कौरवों -पांडवों के समय से यह त्यौहार चला आ रहा है । निर्जला एकादशी का व्रत सबसे मुश्किल व्रत माना गया है जिसके दौरान पानी पीना भी मना होता है । जून की तपतपाती गर्मी के बावजूद लोग इस व्रत को रखते हैं और इस दिन ठन्डे-मीठे पानी की छबीलें लगाते हैं और दान पुन्य करते हैं । यह धारणा प्रचलित है के निर्जला एकादशी के दिन व्रत रखने से मन में रखी हुई एक इच्छा अवश्य पूरी होती है । जब पांडवों के भीम ने यह व्रत रखने में असमर्था जताई तो व्यास ऋषि ने उन्हें यह व्रत रखने का हौंसला दिया और भीम ने यह व्रत रखा । इस व्रत को खोलते समय साधुओं को ठंडा मीठा पानी पिलाया जाता है और शिव जी को दूध से नहलाया जाता है । चंडीगढ़ में इस त्यौहार को बड़ी श्रद्धा से मनाया जा रहा है ।
ठन्डे-मीठे पानी और फलों को बांटने की सेवा करने वाले शिव कुमार ने बताया के निर्जला एकादशी हमारा एक पुरातन त्यौहार है जो कौरवों-पांडवों के समय से मनाया जा रहा है । यह व्रत सबसे मुश्किल व्रत हैं क्योंकि पूरी गर्मी में बिना पानी के रहना असंभव सा हो जाता है । हमारे धर्मों में इस व्रत की ख़ास महतता है ।
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