By 121 News
Chandigarh, Sept.19, 2023:-
अपने स्वभाव में रहना धर्म है जिस प्रकार हम अपनी वस्तु या व्यक्ति को खुद से दूर नही जाने देते उसी प्रकार क्षमा अपनी है उसे कहीं से लाया नही जाता यह सदैव से अपने पास ही है पराया तो क्रोध है। और क्रोध से ज्यादा हानिकारक कुछ और नही है।
उपरोक्त कथन परम पूज्य तपस्वी जैन संत आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज ने व्यक्त किये। ज्ञात हो कि जैन समाज का सबसे बड़ा पर्व दशलक्षण पर्व आज से प्रारंभ हो गये हैं। इन दश दिन तक जैन श्रावक जप तप त्याग संयम ध्यान साधना में अपने समय को व्यतीत करते है। बड़े ही जोर शोर उत्साह के साथ आज पर्व का प्रारंभ हुआ। जिसमें महिला वर्ग द्वारा कलश यात्रा निकाली गई। श्री धर्म बहादुर जैन, करुण जैन,नवरत्न जैन, अमित जैन आदि द्वारा बढ़ चढ़कर होने वाली क्रियाओं में सहभागिता की गई। दोपहर में तत्व चर्चा का विशेष आयोजन किया गया। व शाम को गुरु भक्ति आरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न किये गये।
यह जानकारी धर्म बहादुर जैन ने दी ।
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