By 1 2 1 News Reporter
Chandigarh 31st July:-- चंडीगढ़ के तकरीबन 40 % कमर्शियल स्थल किराए पर हैं . पर जब से "माल" चलन शुरू हुआ है , किरायदारों की मुश्किलें काफी बड गयीं हैं . बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और माल ने किराए बहुत बड़ा दिए हैं . अब जगहों के मालिकों को भी महसूस होने लगा है के जो किराया उनके पुराने किरायदारों से मिल रहा है , वह काफी कम है . पर 30 -40 साल से अपना धंधा जमा कर बैठे हुए लोग भी इतना किराया देने की समर्था नहीं रखते . न्यायालयों द्वारा अपने इस्तेमाल के लिए जगह किरायेदार से खाली करवाने के कानून का भी दुरपयोग हो रहा है और अपने प्रयोग में लाने के नाम पर खाली करवा कर उसी जगह को ऊंचे किराए पर दिया जा रहा है . इसी मसले को लेकर आज चंडीगढ़ के प्रेस क्लब में national consumer awareness group की तरफ से पत्रकारवार्ता का आयोजन किया गया . national consumer awareness group के चेयरमैन लेफ्टिनेंट कर्नल रिटायर्ड पी जे एस मेहता ने बताया के निजी प्रयोग के लिए बनाये गये कानून का खुले आम दुरपयोग हो रहा है और लोग निजी ज़रुरत बता कर कोर्ट दारा पुराने समय से बैठे किरायेदारों को निकाल कर ऊंचे दामों में दुसरे किरायदारों को दे रहे हैं . इसके इलावा यह कानून भी 2006 से लागू कर दिया गया है जिसमे यह प्रावधान है के यदि किसी किरायेदार ने मालिक् मकान के खाली कराने के दावे के विरुद्ध किसी उपरी अदालत में अपील डालनी है तो उसे पहले मार्केट वैल्यू के हिसाब से किराया देना होगा . इन कानूनों की मदद लेकर मालिक कमर्शियल प्रापर्टी को पुराने किरायदारों से खाली करवा कर उन्जे ऊंचे दामों पर किराए पर दे रहे हैं . हबकी पुराने बैठे किरायदार भी एक उचित सीमा तक किराया बडाने को तैयार हैं . हम यही पक्ष लेकर राम जेठमलानी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में किरायेदारों के हक़ में एक जन हित याचिका डालने जा रहे हैं .