डॉ. सुजित धर्मपात्रे ने कहा कि प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी और बी.ए.- एम. ए. का अनूठा प्रोग्राम एक ही छत के नीचे मिलेगा। क्योंकि एमआईटी आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नॉलॉजी यूनिवर्सिटी ने वर्ष-2021 से एमआईटी स्कूल ऑफ इंडियन सिविल सर्विसेज़ की ओर से एडमिनिस्ट्रेशन (प्रशासन) में स्नातक-स्नातकोत्तर (यूजी-पीजी) प्रोग्राम जोड़ दिया है, जो युवाओं को ज्यादा सुविधा देते हुए नॉलेज देगा। जो उनके कॅरियर में सहायक होगा। डॉ. सुजित धर्मपात्रे ने कहा कि एमआईटी देश का पहला संस्थान है यहां पर यूपीएससी और राज्य पीएससी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सिविल सेवा परीक्षा के लिए स्टूडेंट्स को अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया जाता है। डॉ. सुजित धर्मपात्रे ने कहा कि यूपीएससी एंड स्टेट पीएससी जैसी सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी के साथ बी.ए.(एडमिनिस्ट्रेशन- स्नातक) और एम.ए. (एडमिनिस्ट्रेशन- स्नातकोत्तर) डिग्री दी जाएगी। इससे सिविल सेवा प्रतियोगी परीक्षाओं को स्नातक के बाद दिया जाने वाला समय बचेगा। यूजी-पीजी प्रोग्राम के दौरान युवाओं की नॉलेज बढ़ेगी।
एमआईटी स्कूल ऑफ इंडियन सिविल सर्विसेज के प्रोफेसर संजय चवण ने बताया कि इंस्टिट्यूट मे 12वीं कक्षा के बाद बीए (प्रशासन) स्नातक प्रोग्राम और किसी भी विषय में स्नातक उत्तीर्ण को स्नातकोत्तर प्रोग्राम एमए (प्रशासन) में दाखिल किया जाएगा।
डॉ. सुजित धर्मपात्रे ने कहा कि एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी कार्याध्यक्ष और उपकुलपति प्रो. डॉ. मंगेश कराड के मार्गदर्शन में संस्थान आज एक विशेष मुकाम हासिल कर चुका है। डॉ. सुजित धर्मपात्रे ने कहा कि बीए (एडमिनिस्ट्रेशन) 3+1 साल का अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम है। जहां चौथा साल इंटर्नशिप का होता है। एमए (एडमिनिस्ट्रेशन) 2+1 वर्ष का कार्यक्रम है, जहां तीसरा वर्ष इंटर्नशिप है। इन पाठ्यक्रमों को स्नातक और स्नातकोत्तर की अवधि के दौरान यूपीएससी और राज्य पीएससी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सिविल सेवा परीक्षा के अनुभवी उम्मीदवारों द्वारा मार्गदर्शन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
डॉ. सुजित धर्मपात्रे ने कहा कि इन प्रोग्राम्स से छात्र नियमित रूप से बीए या एमए की डिग्री लेने में सक्षम होंगे और सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी करेंगे। ऐसे में इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल और समाजशास्त्र में से किसी एक का चयन किया जा सकेगा। बीए के 3 साल और एमए के 2 साल के अंत में युवा अपनी बीए, एमए की डिग्री के साथ यूपीएससी और स्टेट पीएससी परीक्षा में बैठने के लिए तैयार होंगे। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य वैकल्पिक विषयों सहित विभिन्न विषयों में कॅरियर उन्मुख युवाओं को शिक्षित करना और उन्हें यूपीएससी और स्टेट पीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं का सामना करने के लिए सक्षम बनाना है।
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