By 121 News
Chandigarh 25th July:- जिस प्रकार पानी पानी के रटने से नहीं बल्कि पानी को पीने से ही हमारी तृप्ति होती है उसी प्रकार परमात्मा का नाम रटने से नही बल्कि इसे मन में बसाने से ही सच्ची भक्ति होती है और यह परमात्मा की जानकारी के बिना संभव नहीं है जो कि सत्गुरू माता सविन्द्र हरदेव जी महाराज द्वारा कराई जाती है ये उद्गार सन्त निरंकारी मण्डल की केन्द्रीय प्रचारक डा0 ज्ञानमणि सक्सैना ने यहां सैक्टर 30-ऐ में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में हुए विशाल सत्संग में उपस्थित हजारों श्रोताओं को सबोधित करते हुए व्यक्त किए ।
डा0 सक्सैना ने आगे कहा कि इन्सान को दिन-रात धन-दौलत इकटठा करने की बजाए भक्ति-भाव को अधिक से अधिक इकटठा करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए और अभिमान रहित जीवन जीना चाहिए, क्योंकि अभिमान ही संसार में सबसे भंयकर रोग जो इन्सान को इन्सान से दूर ले जाता है। अभिमान को त्यागे बिना घर, समाज, देश, संसार में शान्ति की स्थापना नहीं हो सकती । जिसप्रकार फल जितना भी मीठा हो वह अपनी मिठास का अभिमान नहीं करता क्योंकि वह मिठास उसने पेड़ से प्राप्त की होती है उसीप्रकार इन्सान को भी अपने तन-मन-धन या इससे सबन्धित किसी प्रकार के गुणों का अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर जिसके माध्यम से इन्सान इस धरती पर रहते हुए सभी गुण प्राप्त करता वह शरीर भी परमात्मा की ही देन होती है।
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