By 121 News
Chandigarh, Nov.28, 2023:-
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा प्राचीन कला केंद्र के सहयोग से "होराइजन श्रंखला कार्यक्रम" के तहत तबला एकल का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
सिटी ब्यूटीफुल के संगीत प्रेमियों ने बनारस घराने के भोपाल के होनहार तबला वादक अंशुल प्रताप सिंह के तबला वादन का आनद लिया आनंद। कार्यक्रम का आयोजन एम.एल. कौसर सभागार में शाम 6:30 बजे से किया गया। इस अवसर पर तबला गुरु श्री सुशील जैन उपस्थित थे। इस तरह के कार्यक्रमों द्वारा केंद्र भारतीय शास्त्रीय प्रदर्शन कला के क्षेत्र में युवा प्रतिभा को बढ़ावा देने के अपने एक उद्देश्य को पूरा करने में अपना योगदान देता रहा है।
असाधारण प्रतिभा के धनी और एक संगीत परिवार में जन्मे अंशुल प्रताप सिंह अपनी पीढ़ी के एक होनहार युवा तबला वादक के रूप में संगीत जगत पर अमिट प्रभाव डाल रहे हैं। उन्होंने अपने दादा ठाकुर हरिश्चंद्र सिंह से उपरांत तबला गुरु किरण देशपांडे से तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की और वर्तमान में तबला गुरु संजू सहाय से तबला की बारीकियां सीख रहें हैं। इन्होने ने खैरागढ़ विश्वविद्यालय से तबला में एमए किया है। उन्हें प्रसिद्ध कलाकारों के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में कई प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में संगत करने का सौभाग्य मिला है।
अंशुल ने कार्यक्रम की शुरुआत तीन ताल पर आधारित पारंपरिक पेशकार से की। फिर इन्होने तबला वादन के विशेष अंग कायदा, रेला, पलटा आदि प्रस्तुत किया। इसके बाद इन्होने तकनीकी भाग में बनारस घराने के फरमाइशी और चक्रदार गत और फर्द प्रस्तुत किये । उन्होंने कार्यक्रम का समापन अपने घराने की पारंपरिक बंदिशों से किया। सारंगी पर युवा एवं प्रतिभावान कलाकार विनायक सहाय ने उनका बखूबी साथ दिया।
कार्यक्रम के अंत में गुरु सुशील जैन ने कलाकारों को उत्तरीया भेंट किया।
सिटी ब्यूटीफुल के संगीत प्रेमियों ने बनारस घराने के भोपाल के होनहार तबला वादक अंशुल प्रताप सिंह के तबला वादन का आनद लिया आनंद। कार्यक्रम का आयोजन एम.एल. कौसर सभागार में शाम 6:30 बजे से किया गया। इस अवसर पर तबला गुरु श्री सुशील जैन उपस्थित थे। इस तरह के कार्यक्रमों द्वारा केंद्र भारतीय शास्त्रीय प्रदर्शन कला के क्षेत्र में युवा प्रतिभा को बढ़ावा देने के अपने एक उद्देश्य को पूरा करने में अपना योगदान देता रहा है।
असाधारण प्रतिभा के धनी और एक संगीत परिवार में जन्मे अंशुल प्रताप सिंह अपनी पीढ़ी के एक होनहार युवा तबला वादक के रूप में संगीत जगत पर अमिट प्रभाव डाल रहे हैं। उन्होंने अपने दादा ठाकुर हरिश्चंद्र सिंह से उपरांत तबला गुरु किरण देशपांडे से तबला वादन की शिक्षा प्राप्त की और वर्तमान में तबला गुरु संजू सहाय से तबला की बारीकियां सीख रहें हैं। इन्होने ने खैरागढ़ विश्वविद्यालय से तबला में एमए किया है। उन्हें प्रसिद्ध कलाकारों के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में कई प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में संगत करने का सौभाग्य मिला है।
अंशुल ने कार्यक्रम की शुरुआत तीन ताल पर आधारित पारंपरिक पेशकार से की। फिर इन्होने तबला वादन के विशेष अंग कायदा, रेला, पलटा आदि प्रस्तुत किया। इसके बाद इन्होने तकनीकी भाग में बनारस घराने के फरमाइशी और चक्रदार गत और फर्द प्रस्तुत किये । उन्होंने कार्यक्रम का समापन अपने घराने की पारंपरिक बंदिशों से किया। सारंगी पर युवा एवं प्रतिभावान कलाकार विनायक सहाय ने उनका बखूबी साथ दिया।
कार्यक्रम के अंत में गुरु सुशील जैन ने कलाकारों को उत्तरीया भेंट किया।
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