कार्यक्रम के दौरान परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं, ऑनरी कैप्टन बाना सिंह, और सूबेदार-मेजर (सेवानिवृत्त) संजय कुमार को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर गवर्नर ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। हम अपने शहीदों की बहादुरी की कहानियाँ सुन रहे हैं और हमारे बीच दो परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं का होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। मैं स्वयं भारतीय वायु सेना में शामिल होना चाहता था लेकिन किसी कारणवश मेडिकल टेस्ट पास नहीं कर सका। हालांकि बाद में मुझे लोगों की सेवा करने का मौका मिला।
उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा बल सबसे अधिक सुसज्जित हैं और इस तथ्य पर भी जोर दिया कि धन की कमी के कारण सभी स्कूलों में एनसीसी नहीं है, इसे सभी छात्रों के लिए अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने हमारे शहीदों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
उन्होंने आगे कहा मुझे 13 कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी के 104 सैनिकों को सलाम करने पर गर्व है, जिन्होंने सभी बाधाओं के बावजूद चीनियों से लड़ाई की। यह अद्वितीय बहादुरी की गाथा थी क्योंकि मेजर शैतान सिंह और इन सैनिकों ने दुनिया की सबसे दुर्लभ 'आखिरी गोली, आखिरी आदमी, 'वाली लड़ाई में लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था।
इस अवसर पर बोलते हुए जनरल वीपी मलिक ने कहा कि इस अवसर पर कैप्टन विक्रम बत्रा के माता-पिता का यहां आना सौभाग्य की बात है। उन्होंने रेजांगला दिवस के महत्व को याद किया और कहा कि भारतीय सैनिकों ने पूरी दुनिया के लिए बहादुरी और नेतृत्व की मिसाल कायम की है।
जनरल मलिक ने यह भी कहा कि ऐसे बहादुर पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन सभी लोगों और उनके परिवारों को याद रखें जिन्होंने देश और उनके परिवारों के लिए जीवन का बलिदान दिया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लड़ी गई सभी लड़ाइयों को विश्लेषण के लिए याद रखा जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि रेज़ांगला दिवस हमें उपकरणों की कमी की याद दिलाता है जो देश के लिए एक बड़ा सबक था।
इस अवसर पर कर्नल डीएस चीमा (सेवानिवृत्त) ने शहीदों के बलिदान को याद किया और कहा कि यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि कैप्टन विक्रम बत्रा के माता-पिता के अलावा मेजर अनुज राजपूत के माता-पिता और रेज़ांग ला शहीदों के परिजन हमारे साथ हैं।
इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्रालय द्वारा रेज़ांग ला पर तैयार की गई फिल्म की स्क्रीनिंग भी शामिल थी। इस बीच, एनसीसी कैडेटों और अन्य छात्रों को परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं से बात करने का मौका मिला।
इससे पूर्व परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं, ऑनरी कैप्टन बाना सिंह, और सूबेदार-मेजर (सेवानिवृत्त) संजय कुमार ने युद्ध के दौरान दिखाए गए अपने अदम्य साहस को दर्शकों समक्ष बयां किया तथा देश भक्ति के जज़्बे की मिसाल दी।
इस अवसर पर प्रशासन, पुलिस, सशस्त्र बल और न्यायपालिका के कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। जबकि अन्य प्रमुख अतिथियों में मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) बीडी वाधवा, प्रो-चांसलर, आईआईएलएम विश्वविद्यालय; पूर्व आईएएस विवेक अत्रे, अशोक नादिर, उद्योगपपति; कैप्टन (नौसेना) राजेश त्रेहान (सेवानिवृत्त), सी जे सिंह, हरदीप चांदपुरी तथा स्कूल की प्रिंसिपल गरिमा भारद्वाज मौजूद थीं।
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