Sunday, 29 October 2023

सदाचारी लोग अपना परिचय मुख से नहीं, अपितु समीचीन आचरण से ही दे देते हैं: आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज

By 121 News
Chandigarh, Oct.29, 2023:-
उच्च विचार व आचार व्यक्ति को महान बनाते हैं। उच्च आचार, सदाचार, सद्-आचरण व्यक्ति की कुलीनता का परिचय है। सदाचारी लोग अपना परिचय मुख से नहीं, अपितु समीचीन आचरण से ही दे देते हैं-चण्डीगढ़ दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य श्री विराजमान है। रविवार प्रातः कालीन धर्म सभा को सम्बोधन करते हुए आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज ने भव्य जीवों के कल्याण के लिए उपदेश दिया सदाचार व्यक्ति के  व्यक्तित्व का सार है, सदाचारी व्यक्ति सर्वत्र विश्वास को प्राप्त होता है। सदाचार लोक में सर्वत्र सम्मान को प्राप्त होता है। सम्पूर्ण विश्व में सदाचारी की चरण बलिहारी है
सम्पूर्ण विश्व की सम्पदा का लाभ हो फिर भी अपने सदाचार को बेचना नहीं चाहिए। लोभ कषाय सदाचार रूपी गुणों का शत्रु है। सद्-आचार सद् विचार तभी तक सुरक्षित हैं जब तक व्यक्ति लोक- कषाय से प्रभावित नहीं हुआ है। लोभ से प्रभावित होते ही सर्वगुण समाप्त होने लगते है। अन्तरंग की आसक्ति सदाचार को मूच्छित कर देती है। सदाचार की सिद्धि के लिए सत् साहित्य का अध्ययन, वस्तु तत्त्व का विचार, सदाचारी पुरुषों की संगति, हेय-उपादेय का गहन चिंतक मनन आदि करना चाहिए| तत्त्वों के हेय-उपादेय विचार बिना सदाचार नष्ट हो जाएगा। चर्चा पर विचारों का गहरा प्रभाव पड़ता है जैसे विचार होते है वैसा आचारण होने लगता है। सदाचार के लिए विचारों का स्वस्थ रहना अनिवार्य है।शरीर कितना ही क्षीण हो जाए, परन्तु पवित्र विचारों में क्षीणता नहीं आना चाहिए। यदि बर्तन बड़ा है तो पानी नीचे गिरकर कीचड़ नहीं करेगा और यदि पात्र छोटा है तो पानी नीचे गिरेगा, गीला करेगा कीचड़ भी होगा । जिसकी विचारधारा विराट् है वह कुटुम्ब - परिवार, राज्य एवं राष्ट्र में विद्वेष की कीचड़ नहीं फेंकने देगा | जब-जब, घर-घर का,  नगर-नगर का, राष्ट्र-राष्ट्र का युद्ध हुआ है तब-तब बहाँ  कोई न कोई  छोटे सोच वाला अवश्य होगा  मनुष्य का विचार विकास शील होता है  और होना भी चाहोये ।
यह जानकारी संघस्थ बाल ब्र. गुंजा दीदी एवं धर्म बहादुर जैन ने दी|

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