धर्म और जातिवाद इंसान ने अपनी सुविधा अनुसार बना लिए है। हकीकत में इनका कोई औचित्य ही नही है। इंसान ने अपने को सबसे ऊपर दिखाने के लिए इन सबका सहारा ले लिया है। यह कहना है समाज परिवर्तन संघ- भारत के नेशनल कोऑर्डिनेटर लश्कर सिंह का।
लश्कर सिंह ने कहा कि हमारे मुल्क में जैसा जातिवाद है, ऐसा जातिवाद आपको दुनिया के किसी भी मुल्क में रोशनी लेकर ढूंढने से नही मिलेगा। यहाँ हजारों वर्षों से अहीर का बेटा अहीर और चमार का बेटा चमार होता चला आ रहा है। यही वजह है कि देश मे बुद्धि, पूंजी और राज का ठेका कुछ मुट्ठीभर जातियों के जिम्मे अभी तक चला आ रहा है। जब बनिया की रोटी बेटी बनिया में और ब्राह्मण की रोटी बेटी ब्राह्मण में होती आ रही है, तो समाजवाद लानेवालों का यह नारा बिल्कुल झूठा लगता है कि "समाजवाद आएगा देश बदल जाएगा"। यहाँ की जितनी भी पार्टियां हैं,उनके लीडर चंद मुठ्ठीभर ऊँची जातियों के लोग हैं। पार्टी उनकी दिखावटी चीज है। उनमें आपस में एक अचेत मिलन है। पिछड़े लोगों की बेइज़्ज़ती से वो सभी खुश हैं।
वो नही चाहते कि यह जातियां आगे बढ़ें। इन जाति वर्गों के आगे बढ़ने से उनके लूटने व दास बनाने की बुराइयों से इन्हें मुक्ति मिलेगी। यही वजह है कि देश के चालाक नेता नित नई - नई पार्टी बनाकर, सन्त-भेड़िया बन कर और शोषितो के गुलाम सियारों को साथ लेकर बहुसंख्यक जनता को गुमराह रखकर उनको अधिकारों से वंचित रखना चाहते है। इस देश के जो भी लोग उच्च वर्गी हैं, वो आपका भला नही चाहते। आपके सामने मौजूदा समय मे जो कारनामे इन पार्टियों द्वारा किए गए हैं, वो स्मरण किए जाते रहेंगे। मौजूदा समय को देखकर इस पढ़ कर अपनी भलाई बुराई खुद सोचिए और अंदाजा लगाइए कि आपकी शिक्षा, सम्मान, रोटी, कपड़ा मकान की मूलभूत समस्याएं क्या उच्च जाति और वर्ग के लोग कभी भी हल कर सकते है।अतः आपको याद रखना है कि क्या शोषित जनता की भलाई की लड़ाई शोषित वर्ग का व्यक्ति ही लड़ सकता है।
लश्कर सिंह ने कहा कि समाज परिवर्तन संघ- भारत 10 सूत्रीय कार्य पर जोर देगा और केंद्र सरकार को इसे अम्ल में लाने का प्रेशर बनाएगा। यह 10 सूत्रीय पॉइंट्स निम्नलिखित हैं:-
01.जातिवाद का विनाश।
02.आर्थिक व सामाजिक बराबरी पर आधारित समाजवादी फेडरल ढांचा बनाना ।
03. सभी कारखानों का राष्ट्रीयकरन करना।
04. सारी जमीन का राष्ट्रीयकरन करना।
05.सारे बैंक और व्यापारिक उपक्रम एल आई सी सहित राष्ट्रीयकृत करना।
06.निजी संपत्ति का अधिकार समाप्त करना।
07.रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाना।
08.बेरोजगारी का खात्मा करना।
09.मुफ्त शिक्षा को यूनिवर्सिटी लेवल तक करना।
10.मुफ्त सेहत सेवाओं और सभी प्राइवेट हॉस्पिटल का राष्ट्रीय करन करना।
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