कैंसर का इलाज लंबा चलता है, रोग का पता लगाने से थेरेपी और रिहेबिलिटेशन तक की प्रक्रिया काफी समय तक चलती है। साथ ही, कैंसर और उसका इलाज भी मरीज़ों तथा उनकी देखभाल में जुटे केयरगिवर्स के लिए भावनात्मक संकट का कारण बनता है जिसके चलते वे डर, चिंता, अवसाद और कभी इस नई सच्चाई से तालमेल बैठाने तथा अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाने पर परेशानियों से जूझते हैं। ऐसे वक्त में इन परिवारों के लिए साइको-सोशल सपोर्ट की आवश्यकता होती है ताकि वे इस रोग से एकजुट होकर जूझ सकें। फोर्टिस कैंसर इंस्टीट्यूट ने इसी उद्देश्य से इस नेशनल कैंसर सपोर्ट हेल्पलाइन को शुरू किया है।
डॉ समीर पारीख, डायरेक्टर, मेंटल हैल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज़, फोर्टिस हैल्थकेयर ने कहा कि कैंसर की संपूर्ण देखभाल के लिए यह समझना जरूरी होता है कि इस रोग से मरीज़ों और उनकी देखभाल करने वाले परिवारों पर किस प्रकार का मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। परिजन इस दौरान कई प्रकार के भावनात्मक तनाव, मनौवैज्ञानिक संकट के दौर से गुजरते हैं और साथ ही, उन्हें अपने मरीज़ के लिए भी सपोर्ट की आवश्यकता होती है। इस संदर्भ में, परिजनों के लिए सपोर्ट तथा केयर एवं गाइडेंस प्रदान करना महत्वपूर्ण होता है ताकि वे अपनी और मरीज़ों की उचित देखभाल कर सकें। यह एक स्पेशल हेल्पलाइन है जो उन मरीज़ों के परिजनों के लिए मनोवैज्ञानिक तथा भावनात्मक सपोर्ट उपलब्ध कराती है जिनके परिवार में कैंसर रोगी हैं। यह हेल्पलाइन फोर्टिस मेंटल हैल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज़ की अनूठी पहल है जो कि समूचे फोर्टिस नेटवर्क में ओंको साइंसेज़ की टीम के साथ मिलकर काम करते हैं।
इस हेल्पलाइन नंबर के बारे में डॉ विनोद रैना, चेयरमैन – ओंकोसाइंसेज़, फोर्टिस हैल्थकेयर ने कहा कि फोर्टिस हैल्थकेयर ऐसा पहला हैल्थकेयर डिलीवरी संगठन है जिसने कैंसर मरीज़ों के परिजनों को मार्गदर्शन तथा सहयोग प्रदान करने के मकसद से एक कैंसर सपोर्ट हेल्पलाइन शुरू की है। यह पहल फोर्टिस कैंसर इंस्टीट्यूट के साइको-ओंकोलॉजी प्रोग्राम के तहत की गई है।
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