By 121 News
Chandigarh April 30, 2022:- लेखिका, साहित्यकार और स्वतंत्र पत्रकार नरेन्द्र कौर 'नसरीन' द्वारा रचित उनकी दूसरी पुस्तक 'लफ्जां दे हमसफर' का विमोचन शनिवार को ट्राईसिटी की विभिन्न पंजाबी साहित्यक सभाओं - चंडीगढ़ स्थित पंजाबी लेखक सभा, साहित्य चिंतन और साहित्य विज्ञान केन्द्र, मोहाली स्थित पंजाबी साहित्य सभा तथा पंचकुला स्थित भंडारी अदबी ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किया गया। पुस्तक का विमोचन जानी मानी अदाकारा और लेखिका सविता भट्टी और पटियाला स्थित वल्र्ड पंजाबी सेंटर के पूर्व निदेशक डाॅ दीपक मनमोहन सिंह ने ट्राईसिटी के असंख्य पंजाबी साहित्यप्रेमियों की मौजूदगी में किया।
पुस्तक में ट्राईसिटी में पंजाबी भाषा से जुड़े अधिकांश लेखकों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, साहित्यकारों का उनके द्वारा अब तक रचित साहित्य कार्य, प्रोफेशेनल और व्यक्तिगत पहलूओं का बखूबी चित्रण करने का प्रयास किया है। लेखिका का मानना है कि उनकी यह कृति इस क्षेत्रों से जुड़े लोगों को पुस्तक में सम्मालित ट्राईसिटी की हस्तियों को और करीब से जानने का मौका प्रदान करेगी।
पूर्व अध्यापिका के साथ विदेश में लगभग एक दशक तक हिन्दी और पंजाबी भाषा का प्रसार कर चुकी नरेन्द्र ने बताया कि इससे पहले वे 'ईबादत' नामक काव्य संग्रह लिख चुकी है। रिलीज हुई पुस्तक पर वह वर्ष 2015 से काम रही थी परन्तु गत वर्षों में आये उतार - चढ़ाव के बावजूद भी उन्होंनें अपना लेखन जारी रखा। उन्होंनें यह पुस्तक अपने युवा दामाद रोहन कुमार वछेर को समर्पित की है जो अब इस दुनिया में नहीं हैं । अपने इस प्रोजेक्ट से संतुष्ट नरेन्द्र कौर ने कहा कि वे इस पुस्तक के दूसरे संस्करण पर काम रही हैं जिससे कि क्षेत्रीय पंजाबी साहित्य और साहित्यकारों व उनके द्वारा रचित साहित्य को जानने का नया मौका मिलेगा।
नरेन्द्र कौर ने पुस्तक के प्रकाशन के लिये तरलोचन पब्लिशर्स का विशेष रुप से आभार व्यक्त किया।
अपने संबोधन में डाॅ दीपक मनमोहन सिंह ने लेखिका के इस कार्य की प्रशंसा करते हुये इसे क्षेत्रीय पंजाबी साहित्यकारो के विषय में लिखने की एक अनूठी पहल बताया जो कि लोगों के लिये ज्ञानवर्धक होगी और एक 'रैफ्रेंस' का काम भी करेगी। उन्होंनें कहा कि यह एक मिनी इनसाईक्लोपीडिया है जिसे डिजीटल स्वरुप देकर विश्व के कोने कोने तक पहुंचाना चाहिये। उन्होंनें आये दर्शकों को वर्ष 2010 से उनके साथ विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही नसरीन की कार्यशैली से अवगत करवाया और इसी लयबद्ध तरीके से पंजाबी साहित्य के उत्थान में अपने प्रयासों को जारी रखने का आहवान किया। उन्होंनें कहा कि नसरीन जैसे प्रयास पंजाबी समाज के लिये एक बेहतरीन उदाहरण जो कि इस बात का सूचक है कि पंजाबी और पंजाबियत को कभी भी कोई खतरा नहीं है।
मुख्यातिथि के रुप में आई सविता भट्टी ने अपने भावुक संबोधन में अपने दिवंगत पति जसपाल भट्टी द्वारा उनको लेखन के प्रति प्रोत्साहन को दर्शकों के समक्ष साझा किया। उन्होंनें नरेन्द्र कौर को उनके जीवन में प्राप्त विभिन्न काबलियत की 'वूमैन अचीवर्स' की संज्ञा दी और आये लोगों को संदेश दिया कि सभी को तकलीफों से गुजरते हुये ही और अधिक मजबूती मिलती है, इसलिये जीवन में आ रहे उतार - चढ़ाव के प्रति अड़िग और एकाग्रचित (फोकस्ड) रहें।
इससे पूर्व जगदीप कौर नूरानी ने पुस्तक के विषय में पेपर पढ़ा।
कार्यक्रम का संचालन दीपक शर्मा चनारथल ने किया जबकि अध्यक्षता मंडल में शामिल मनजीत इंद्रा, स्वैराज संधू, श्रीराम अर्श, बलकार सिद्धू, शिंदरपाल सिंह, सेवी राईत, सरदारा सिंह चीमा, अशोक भंडारी नादिर, तरलोचन सिंह और सुखदेव सिंह सिरसा ने भी अपने विचार व्यक्त किये जिन्हें आयोजकों द्वारा सम्मानित भी किया गया।
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