By 121 News
Chandigarh Sept. 26, 2020:- हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मोदी सरकार के किसानों, आढ़तियों और मज़दूरों को बर्बाद करने वाले तीन काले कानूनों के विरूद्ध राज्यव्यापी विरोध व्यक्त करने का निर्णय किया है। चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस के केन्द्रीय प्रभारी विवेक बंसल, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा कुमारी सैलजा, पूर्व मुख्यमंत्री तथा विपक्ष के नेता चौ. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला तथा सचिव आशीष दुआ द्वारा एक संयुक्त पत्रकार सम्मेलन में यह जानकारी दी गई।
विवेक बंसल ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस द्वारा 28 सितंबर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में एक पैदल मार्च प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से हरियाणा राज भवन तक जायेगा जो हरियाणा के राज्यपाल को महामहिम राष्ट्रपति के लिए एक ज्ञापन देकर इन तीन काले कानूनों को निरस्त करने की मांग करेगा। उन्होंने बताया कि 2 अक्तूबर को राज्य के प्रत्येक विधान सभा व जिला मुख्यालय पर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा किसान-मज़दूर बचाओ दिवस के रूप में मनाया जायेगा। इसी प्रकार 10 अक्तूबर को राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा और 2 अक्तूबर से 31 अक्तूबर तक इन काले कानूनों के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरी तरह एकजुट होकर किसानों के हितों की रक्षा के लिए उनके साथ खड़ी है।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार ने काले कानूनों के जरिए हमारे देश के किसान, मजदूर और आढ़तियों पर एक क्रूर हमला किया है। भाजपा सरकार द्वारा संसद में यह बिल लोकतंत्र की हत्या करके पास करवाये गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने और स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिशों के अनुसार कृषि उत्पाद की कीमतें देने में पूर्णतया असफल रही है और अब इन काले कानूनों द्वारा किसानों, मज़दूरों और आढ़तियों को पूरी तरह बर्बाद करने की ठान ली है। उन्होंने कहा कि कॉंट्रेक्ट फार्मिंग लागू होने से छोटे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बन कर रह जायेगा और उनका जीना दुभर हो जायेगा। कृषि उपज का कम से कम सुनिश्चित मूल्य न मिलने के कारण कृषि आर्थिकता बिल्कुल तबाह हो जायेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को कपास, मक्का और धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है और किसान अपनी उपज को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हो गया है। उन्होंने कहा कि नई फसलें पहली सितंबर से मंडियों में आनी शुरू हो गई हैं परंतु सरकारी खरीद पहली अक्तूबर से शुरू होगी जिसके फलस्वरूप किसानों को एक-तिहाई कम कीमत पर अपनी उपज बेचनी पड़ रही है।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा ने कहा कि किसान भाजपा की गलत नीतियों के कारण दुखी हो कर आंदोलन कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी किसानों के इस आंदोलन में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है और किसानों के हक में हमारा यह आंदोलन निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने गेंहू के न्यूनतम मूल्य में 50 रूपए की वृद्धि को किसानों के साथ एक क्रूर मजाक बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार यह बहाना बना रही है कि उनके पास अनाज के भंडार बहुत हैं और इसलिए सरकारी खरीद एक सीमित हद तक की जायेगी। प्रश्न उठता है कि जब सरकारी खरीद नहीं होगी तो भंडार समाप्त होने के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा गरीब लोगों को अनाज कहां से दिया जायेगा।
इस अवसर पर बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की जोरदार मांग यह है कि भाजपा सरकार एक और कानून बनाकर यह व्यवस्था सुनिश्चित करे कि किसान को हर हालत में उसकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य अवश्य मिलेगा। उन्होंने आंकड़े देकर बताया कि कांग्रेस सरकार ने कृषि मंडी उपज कानून को और व्यापक बनाने का प्रस्ताव किया था और इसकी सिफारिश कार्यकारी ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में की थी। दुख की बात यह है कि भाजपा सरकार इस रिपोर्ट को बिल्कुल नकार रही है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री होते हुए कृषि मंडी व्यवस्था और व्यापक तथा सुदृढ़ बनाने की वकालत की थी परंतु अब मोदी जी स्वंय ही मंडियों को खत्म करने का कानून बना रहे हैं। उन्होनें कहा कि मोदी सरकार ने अपनी गलत नीतियों से दुकानदार खत्म कर दिए, मजदूरों को तबाह कर दिया और अब किसानों को पूर्णतया समाप्त करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि जब मंडियां ही खत्म हो जायेंगी तो न्यूनतम समर्थन मूल्य कौन दिला पायेगा और छोटे किसान अपनी उपज दूर-दराज के क्षेत्रों में कैसे भेज पायेंगे। उन्होंने कहा कि देश में साढ़े पंद्रह करोड़ किसान हैं जब भाजपा सरकार 42 हजार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उपज नहीं खरीद पा रही तो देश के सारे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य कैसे दे पायेगी। उन्होंने कहा कि 25 लाख करोड़ का अनाज का कारोबार है और सरकार उसे माफिया के हवाले करने पर तुली हुई है। 86 प्रतिशत से अधिक किसान दो एकड़ भूमि या इससे कम के मालिक हैं, मंडियों से बाहर उपज बेचने की उनकी क्षमता नहीं है।
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