Sunday, 19 July 2020

सरकार केवल रेल का परिचालन ही सौंपे न कि स्टेशन के साथ लगती हुई बेशकीमती जमीन: परमजीत सिंह

By 121 News
Chandigarh July 19, 2020:-रेलवे के निजीकरण को लेकर काग्रेंसी- कार्यकर्ता व पुर्व जेड.आर.यु.सी.सी. मेम्बर परमजीत सिंह ने मोदी सरकार की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि सरकार केवल रेल का परिचालन ही सौंपे न कि स्टेशन के साथ लगती हुई बेशकीमती जमीन। नहीं तो एक समय स्थिति यह आएगी की उक्त जमीनों से अपना मुनाफा कमाने के बाद निजी क्षेत्र, स्टेशन छोड़ के भाग जाएंगे और यह कह देंगे कि वे लाभ नहीं कमा पा रहे हैं। जो लोन वे बैंकों से लेकर इन जमीनों में वे लगायेंगे वे तो एनपीए हो जायेंगे, और खुद भी हो सकता है कि विदेश में जाकर नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या हो जांय। तब लुटा- पीटा स्टेशन फिर सरकार को चलाना पड़ेगा, और उस समय घाटे मे चल रही रेलवे को, पुंजी की कमी झेल रही सरकार के पास जनता पर तगड़ा कराधान लगा कर या रेलवे के टिकट और अन्य सेवाओ के दाम बढ़ाने के अलावा कोई ओर चारा नही होगा। यह उस सरकार का कारनामा है, जो कहती है, मैं देश नही बिकने दूंगा। मोदी सरकार ने अब अपने चहेते उद्योगपतियों को उपकृत करने के लिए बड़े-बड़े शहरों के रेलवे स्टेशन ही उनके नाम करने का फ़ैसला कर लिया है। निजी कंपनियां रेलवे स्टेशन के ठेके लेने के लिए एक टांग पर तैयार खड़ी है, क्योंकि उन्हें मुफ्त के भाव रेलवे स्टेशन से लगी जमीनो की लीज कम से कम 99 सालो के लिए मिलेगी।सुनने मे आया है कि हाल ही चार बड़े रेलवे स्टेशन की बोली मंजूर की गई है ये है, ग्वालियर, अमृतसर, नागपुर और गुजरात के साबरमती रेलवे स्टेशन। साथ मे खबर है कि, स्टेशनों में रियल एस्टेट के हब के रूप में भी विकसित किया जाएगा। वहां आवासीय फ्लैट तो होंगे ही, वहां मॉल और शैक्षणिक संस्थान भी बनाये जाएंगे। रेलवे अपने स्टेशनों को हवाई अड्डे की तरह विकसित करना चाहता है, जिसे "रेलोपोलिस" नाम दिया गया है। ऐसे कुल मिलाकर 400 रेलवे स्टेशन है। इनमें से 68 स्टेशनों का पुनर्विकास प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभ करने का निर्णय 2018 में ही ले लिया गया था। योजना यह बनाई गई है कि रेलवे स्टेशन की बोली को जीतने वाली हर कंपनी को कमर्शियल यूज के लिए करीब कम से कम  25 लाख स्केयर फुट जगह उपलब्ध हो जिनमें 30 फीसदी आवासीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल की जाएगी  'डेवलपमेंट मिश्रित उपयोग वाला होगा, यानी कमर्शियल भी ओर रेसिडेंशियल भी जिससे कंपनियों को जबरदस्त फायदा मिले। एक ओर ग़जब का प्रावधान किया गया है। रेलवे स्टेशन के विकास की ऐसी परियोजना को अग्रणी सरकारी बैंकों से लोन दिलाने के लिए ऐसी परियोजनाओं को  बुनियादी ढांचे का दर्जा दिया जाएगा यानी मुफ्त के भाव मे कर्ज ओर लगभग मुफ्त के ही भाव 99 साल की लीज पर जमीनें। याने (आम के आम गुठलियों के दाम)
अगर पूरे देश मे रेलवे के आधिपत्य की बेशकीमती जमीनों का सर्वे किया जाए तो यह जमीनें किसी भी छोटे से राज्य से अधिक निकलेगी। ये सारी जमीन प्राइम लोकेशन पर स्थित है। यह कितना बड़ा घोटाला है। आप अंदाजा भी नही लगा सकते। मोदी सरकार इन बेशकीमती जमीनों को कौड़ियों के भाव 99 साल की लीज पर अपने चहेते उद्योगपतियों को सौप देना चाहती है। दअरसल नारा आपने गलत सुना था। सही नारा 'सबका साथ सबका विकास' नही है, सही नारा है '33 प्रतिशत जनता का साथ ओर  उद्योगपतियों का विकास ।

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