By 121 News
Chandigarh 31st Dec:- रविवार को अंबाला में हुए आयोजित राष्ट्रीय साहू एकता एवं विकास समिति द्वारा महा सम्मेलन में हजारों लोगों ने भाग लिया एवं इस दौरान संगठन के सदस्य इंजीनियर शैलेंद्र साहू द्वारा बनाए *डिजिटल ऐप* के बारे में मौजूद लोगों को समारोह में आए छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा बताया गया व समझाया गया कि किस तरह केवल *एक बार रजिस्ट्रेशन करने से साहू समाज के सभी लोग एक सूत्र में बंध जाएंगे। जिसके साथ ही संस्था से जुड़े हर व्यक्ति किसी भी मुश्किल व मुसीबत में होगा। तो संस्था को सदैव साथ खड़ा पाएगा। इसके साथ ही भोपाल म.प्र. रहवासी नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड चंडीगढ़ में कार्यरत *संजीव कुमार साहू* ने कार्यक्रम संचालन के साथ ही कृषि कार्यमाला से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के उपायों के साथ ही इस क्षेत्र में सामाजिक चेतना से संभावनाओं पर प्रकाश डाला ।
कार्यक्रम के दौरान प्रेरणा स्वरूप चंडीगढ़ स्वीट वाले *सुनील गुप्ता साहू* के बारे में बताया कि कैसे स्ववव्यवसाय द्वारा मात्रा 1000 रुपये से भी कम पुंजी से आज व्यवसाय में इतनी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की जा सकती है। कार्यक्रम में शिरकत करने वाले विशिस्टतम समाज बंधु छत्तीसगढ़ कॉलेज के प्रोफेसर *सुरेश साहू जी* ने मंच के माध्यम से लोगों तक *प्रहलाद मोदी द्वारा दिए गए विजन* के ऊपर रोशनी डालते हुए बताया कि देश में साहू तेली मोदी समाज से करोड़ों लोग आज जो गुटबंदी की वजह से बिखरा हुआ है । असल में इसी कारण से राजनीतिक दलों ने आज से पहले इस समाज को अंधेरे में रखा है। कर्मा देवी तेली थी और हम उनकी संतान हैं हम तेली , साहू, मोदी आदि हैं। इसलिए आज हमें यह प्रण करना चाहिए कि हम अपने नाम के आगे साहू लगाएं। अगर हम अपने नाम के आगे एक ही नाम लगाना शुरु कर दे तो मुझे विश्वास है कि देश भर में *हमारी आबादी बढ़कर 12 से 14 करोड़ तक पहुंच जाएगी*। उन्होंने तेली समाज के एकता कि अपील की। उन्होंने कहा कि अन्य समाजो में पाटीदार और राजपूत समुदायों में भी उपजातियां हैं, लेकिन पाटीदार और राजपूतो की पहचान ठाकुरो के रूप में स्थायी बनी हुई है।
सम्मेलन में *चंडीगढ़ से पहुंचे संरक्षक सुनील गुप्ता साहू ने अपनी बातों को रखते हुए इतिहास से रूबरू करते हुए बताया* कि उस महान समराज्य की स्थापना चंद्रगुप्त प्रथम ने की थीवह साम्राज्य चंद्रगुप्त की वंश परंपरा में 275 वर्ष तक चला यह वह काल था *जिसमें अपराध का नामोनिशान तक नहीं। लोग अपने घरों में खुले किवाड़ सोते थे समाज में शासन का यह स्वर्णिम अध्याय था* वह इस काल के बाद नाम आता है सम्राट हेमचंद्र का इतिहासकार उन्हें 'हेमू बनिया' के नाम से पुकारते हैं, यद्यपि वे केवल दस माता की दिल्ली के राज सिहासन पर विराजमान रहे किंतु उनके चमत्कारिक व्यक्तित्व का अंदाजा अकेली इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वह एक सैनिक से सेनापति बने थे और फिर सेनापति से सम्राट के उच्चारण पर पहुंचे थे चंद्रगुप्त द्वितीय की भांति इन्होंने भी विक्रमादित्य की उपाधि ग्रहण की थी। इन्हीं बातों के साथ सम्मेलन में पहुंचे लोगों तक साहू तैलिक एकता मंच ने अपनी बातों को रखा और उन्हें अपने इस समाज को गौरवान्वित महसूस कराया। इतना ही नहीं इतिहास मैं जाते हुए भामाशाह के काल का भी जिक्र किया गया । साहू छोपाल के राष्ट्रीय सचिव *साहब शरण साहू* ने मंच के पटल से बताया कि जब मुगलों ने अपने अत्याचार से संपूर्ण राजपूताने को मीना बाजार बना कर रख दिया था उस समय कूल के सेठ भामाशाह ने अपनी संपूर्ण संपत्ति राष्ट्र को समर्पित कर दी और मुगलों के अत्याचारों से अपनी मातृभूमि मेवाड़ को बचाया था। मेवाड़ विजय के स्तंभ पर सेठ भामाशाह का नाम आज भी स्वर्ण अक्षरों से अंकित है।
कार्यक्रम के दौरान रंगारंग कार्यक्रमो को *उवर्शी साहू* द्वारा दी गयी । समस्त उपस्थित समाज बंधुओं एवं साहू चोपाल के पदाधिकारियों को एकजुटता के संदेश के साथ ही कार्यक्रम सफल बनवाने हेतु धन्यवाद ज्ञापन अमेठी से पधारे राष्ट्रीय अध्यक्ष *राम चंद्र साहु* द्वारा किया गया।
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ReplyDeleteWatsap: +91 8754313748
SanjaykUmar
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