By 121 News
Chandigarh 11th October:- जीरकपुर के अधीन आते गाँव पभात के लोग पंजाब सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी के खिलाफ लामबंद हो गए है। ये वो लोग या निवासी है जिनके मकान पंजाब सरकार की गलत नीतियों की चलते एयरपोर्ट के एक्सपेंशन के चलते तोड़े जाने की जद्द में आ गए है। पंजाब सरकार ने इन मकानों की रजिस्ट्री की एवज़ में रजिस्ट्रेशन फीस की अच्छी खासी कमाई करने के बाद और अपने खास लोगो को बचाने के लिए इन गरीब लोगों को बनाया बलि का बकरा बनाया है। वहीँ इन निवासियों के समर्थन में पंजाब अगेंस्ट करप्शन एवं पंजाब ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन भी आ गयी है। इस अवसर पर गांव के बलजीत कौर, कर्म सिंह, किरण दुवे, नेहा, सुरेस गिरी, उर्मिला अग्रवाल, मीनू कुमारी, रामजन्म और हरदयाल भगत भी उपस्थित थे।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आज आयोजित पत्रकार वार्ता में पंजाब अगेंस्ट करप्शन के सतनाम सिंह, पंजाब मंच से आर्किटेक्ट रंजीत सिंह एवं पंजाब ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन के चेयरमैन एडवोकेट राजविंदर सिंह ने कहा कि ये मामला मोहाली इंडस्ट्री एसोसिएशन द्वारा एयरपोर्ट के विकास के लिए डाली हुई जनहित याचिका से संबंधित है।अब जब पंजाब सरकार के ऑफिसर्स बिल्डरों से मिलीभगत के चलते बुरी तरह से फंस गए है तो अदालत को गुमराह करने के लिए झूठा सर्वे करके गरीब लोगों को बलि का बकरा बना दिया गया है। 98 गरीब परिवार पंजाब सरकार की ओर से करवाये गए सर्वे के लिए अपने रसूख और पैसों की ताकत का इस्तेमाल करने में असमर्थ थे। जिस कारण ऑफिसर्स ने उन सभी लोगों के घरों को नाजायज कब्जाधारी दिखा दिया है। और साथ ही रसूखदार गोदाम के मालिकों और नेताओं के खास लोगों के घरों को सर्वे में पुराना बना हुआ दिखा दिया। ताकि उनका मकान या निर्माण बचा रहे और उक्त खास लीगों को मुआवजा मिल सके। बाद में इस पक्षपाती और गलत सर्वे रिपोर्ट को पंजाब सरकार ने माननीय हाई कोर्ट में पेश कर दिया। जबकि पीड़ित लोग किसी कारणवश अदालत में अपना सही पक्ष न रख पाए। जिसके चलते मानयोग अदालत ने एक सख्त आदेश जारी कर इन 100 मकानों को नाजायज मानते हुए वगैर किसी प्रकार का मुआवज़ा देने के साथ इन्हे तोड़ने का हुकुम जारी कर दिया। इन आदेशों की पालना करते हुए मोहाली के जिला आयुक्त ने 98 घर और इमारतों को तोड़ने के आदेश कर दिए है।
उन्होंने आगे बताया कि हकीकत यह है की नगर कौंसिल जीरकपुर की हद के अंदर पुराणी अकाली भाजपा सरकार के समय अपना राजनैतिक रुतबा इस्तेमाल करते हुए और मिलीभगत से कुछ राजनैतिक नेताओं ने चार कालोनियों गुरदेव नगर, खुशहाल इन्क्लेव, जरनैल इन्क्लेव और सिटी इन्क्लेव बना ली है, जिनमें लगभग 1500 घर, गोदाम और अन्य इमारतें बन चुकी है। यह कॉलोनी बना कर बिल्डर्स ने करोड़ों रूपए की कमाई की है, जिसका हिस्सा नगर कौंसिल के अधिकारीयों, नेताओं और अन्य को भी मिला है। यह कालोनियां बनाने के लिए नगर कौंसिल जीरकपुर और अन्य विभागों में भ्रष्टाचार इतना ज्यादा था की सरकारी नोटिफिकेशन को अनदेखा कर पंजाब सरकार के ऑफिसर्स द्वारा इन कालोनियों में सरकारी ट्यूबवेल तक लगवा दिए गए। मोती सरकारी फीस लेकर प्लाट की रेजिस्ट्रीज की गयी, इंतकाल किये गए, नक़्शे पास किये गए, एन ओ सी जारी की गयी। इसके अलावा प्रॉपर्टी टैक्स और अन्य टैक्स ताल वसूले गए। सरकार की तरफ से यहाँ पक्की सड़क बनाई गयी।सीवरेज के कनेक्शन भी दिए गए। बिजली पोल लगाए गए । पार्क औरकम्युनिटी सेंटर इत्यादि भी बनाये गए।
पंजाब सरकार की ओर से ही ये सुविधाएं देकर लोगों को यहाँ प्लाट खरीदने और घर बनाने के लिए न केवल उत्साहित किया गया बल्कि सरकारी बैंक की तरफ से ही लोन भी पास करवाए गए। ये सब करके सरकार ने अपना खज़ाना और ऑफिसर्स ने अपनी जेबें भरी है। अब नगर कौंसिल, गमाडा और डिप्टी कमिश्नर मोहाली के अधिकारीयों ने माननीय हाई कोर्ट की सख्ती से बचने के लिए अपने वातानुकूलित दफ्तरों में बैठ कर जाली सर्वे करवा कर किसी भी निवासी का पक्ष नहीं सुना और न ही मकान से सम्बंधित उनके किसी भी प्रकार के कागज़ात देखे। ऑफिसर्स ने अपने ख़ास और चहेतों के साथ ऐ सी ऑफिस में बैठ कर ही सुर्वे कर लिए और रसूखदारों को वगैर किसी भी सबूतों के 2011 से पहले का निर्माण दिखा दिया।ताकि उन्हें बचाया जा सके और उन्हें कोई मुआवज़ा भी दिया जा सके। इन सम्बंधित ऑफिसर्स द्वारा ऐसी गलत और पक्षपाती सर्वे रिपोर्ट पेश कर अदालत की सख्ती से बचने के लिए 98 परिवारों को वगैर किसी मुआवज़े के उजाड़ने के आदेश पास करवा लिए है।
पीड़ित निवासियों ने बताया कि इन कालोनियों में 1500 परिवार रहते है, पर सरकारी अधिकारीयों ने सर्वे में सिर्फ 317 घर और कुछ और इमारतें ही दिखाई है। जबकि 99 घरो को नाजायज करार दिया है । इन कालोनियों में सैंकड़ों परिवारों ने अपनी जीवन भर कि जमा पूंजी लगाई है और लगभग सभी ने इनके निर्माण के बैंक से लोन ले रखा है । अब अगर इन परिवारों को सरकार कि तरफ से कोई मुआवज़ा नहीं दिया जाता तो यह लोग तबाह हो जाएंगे और बाकी बचे लगभग 1400 परिवारों पर भी उजड़े जाने कि तलवार लटक रही है।
वर्णनयोग है कि एयरपोर्ट कि दीवार के साथ चंडीगढ़ के गाँव बहलाना, रामदरबार औरत हल्लोमाजरा में किये गए निर्माण के खिलाफ कोई भी कार्रवाई न होना भी शक पैदा करता है। एक तरफ तो सरकार हाउसिंग फॉर आल जैसी स्कीमें चला कर सभी को घर देने की योजना बना रही है और चंडीगढ़ में नाजायज झुग्गी झोंपड़ी वालों को पकी मकान दिए जा रहे है। वहीँ खून पसीने की कमाई से और सरकार की शह पर बनाये मकानों को वगैर मुआवज़े के उजड़े जाने की तैयारी की जा रही है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब पंजाब सरकार ने इन कॉलोनीज को मान्यता दी है और अपने ख़ज़ाने भरे है। इस लिहाज़ से यहाँ के निवासियों को पुनः बसाने और मुआवज़े का प्रबंध भी सरकार को ही करना चाहिए। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि राज्य के मुख्य मंत्री कि धर्म पत्नी बीबी परनीत कौर जोकि इन सभी की वोट के सहारे ही एरिया से मेंबर पार्लियामेंट बनी है, उनसे भी विनती की जाती है की इस प्रकार टूटने वाले उनके मकानों को बचाये और साथ ही उहे मुआवज़ा दिलाये जाने के लिए उनके पक्ष में अपनी आवाज़ बुलंद करें।
उन्होंने आगे चेतावनी देते हुए कहा की अगर राज्य सरकार उनकी दुखी व्यथा नहीं सुनती तो वो अपना संघर्ष तेज करेंगे और सभी परिवार सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आएंगे।
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