Tuesday, 30 July 2013

Health Institutes should Focus on Patients Complete Treatment: Dr.Kamla Singh, Director Haryana Health Services

By 1 2 1 News Reporter

Chandigarh, 30th July:-- हरियाणा स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी बुखार जैसे वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए चलाये गये कार्यक्रमों की बदौलत प्रदेश में इन रोगों के मामलों में विगत वर्ष की तुलना में 57 प्रतिशत तक की कमी आई है। यह जानकारी वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन को लेकर आयोजित एक समीक्षा बैठक में दी गई। बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त महानिदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ वी के शर्मा ने की।

बैठक में निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (मलेरिया) डॉ कमला सिंह ने राज्य में वेक्टर जनित रोगों की स्थिति तथा कार्य योजना एवं रणनीति पर विस्तार से प्रस्तुतीकरण दिया। इन रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण को लेकर प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों तथा स्वास्थ्य संस्थानों के सम्मुख रही बाधाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने मलेरिया पीवी तथा पीएफ के मामलों के उपचार के लिए राष्ट्रीय औषध नीति के क्रियान्वयन तथा मरीजों के शीघ्र तथा पूरे ईलाज की आवश्यकता पर बल दिया ताकि इन रोगों को फैलने से रोका जा सके।  डॉ कमला ने कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों में आने वाले मरीजों के पते तथा मोबाइल नम्बरों का भी रिकार्ड रखा जाये ताकि मरीज के पॉजिटिव पाये जाने की स्थिति में उसे पूरा उपचार दिया जा सके।

        बैठक में निर्णय लिया गया कि डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी बुखार की पुष्टि आरडीटी के स्थान पर मैक एलिसा आईजीएम जांच के बाद भी ही की जाये। इसी तरह राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम के दिशा-निर्देशों के अनुरूप यदि मरीज में एक से पांच दिन का संक्रमण पाया जाता है तो डेंगू के पॉजिटिव मामलों की पुष्टि एनएस1 एंटीजन टेस्ट किट द्वारा किया जाये ।  यदि चिकित्सा महाविद्यालयों में मैक एलिसा आईजीएम टेस्ट किट या एनएस1 एंटीजन टेस्ट किट उपलब्ध हो तो डेंगू, चिकनगुनिया तथा जापानी बुखार की जांच के लिए खून के नमूने नजदीकी प्रहरी निगरानी अस्पताल में दिये जा सकते है। ये किट पीजीआई रोहतक तथा महाराजा अग्रसेन चिकित्सा महाविद्यालय, अग्रोहा को विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई गई है। प्रहरी निगरानी अस्पतालों की स्थापना एलिसा रीडर/वाशर तथा संबंधित कार्यबल जैसे माइक्रोबायोलॉजिस्ट, पैथालॉजिस्ट तथा लैब तकनीशियन की उपलब्धता के अनुसार सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में की जायेगी तथा जांच किट की आपूर्ति रोग की स्थिति के अनुरूप राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पूना द्वारा निःशुल्क की जायेगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि वेक्टर जनित रोगों के संभावित तथा पॉजिटिव मामलों की लाइन लिस्टिंग की जाये तथा दैनिक आधार पर संबंधित सिविल सर्जन को -मेल या फैक्स को भेजी जाये। इसके साथ-साथ ऐसे मरीजों की सूची भी सिविल सर्जनों को दी जाये, जिन्हें प्लेटलेट्स दिया जाना है।

        बैठक में अतिरिक्त महानिदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ शर्मा ने मच्छरों के पनपने से रोकथाम को लेकर जागरूकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कूलरों का पानी कम से कम सप्ताह में एक बार जरूर बदला जाये ताकि मच्छर पनपने पाये। पानी की टंकियों का ढक्कन ठीक से बंद रखे ताकि मच्छर टंकी में प्रवेश कर सकें। खुली जगह पर पानी को इकट्ठा होने दें ताकि मच्छर पनपने पाये। अनुपयोगी टायर, प्लास्टिक की बोलत तथा अन्य चीजें, जिनमें पानी इकट्ठा हो सकता है, को खुले में फेंके क्योंकि इन जगहों पर मच्छर पनपने की संभावनाएं ज्यादा होती है।

       

 

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