Wednesday, 23 December 2020

बिजली कर्मचारियों द्वारा किसानों के संघर्ष के समर्थन में प्रर्दषन

By 121 News

Chandigarh Dec. 23, 2020:- यूटी पावरमैन यूनियन के आह्वान पर चण्डीगढ़ के बिजली कर्मचारियों ने आज दिनांक 23.12.2020 को किसानों के चल रहे संघर्ष के समर्थन में आज बिजली दफ्तर, सैक्टर 17 के सामने रोष रैली व प्रर्दषन किया। रोष प्रर्दषन का आह्वान कृषि से जुडे तीन कानूनों जिनमें कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा), अध्यादेष, आवष्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संषोधन, मूल्य आष्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सषक्तिकरण), समझौता और कृषि अध्यादेष तथा बिजली अमैण्डमैंट बिल 2020 के विरोध में किया गया।

रोष रैली व प्रर्दषन की यूनियन व फैड़रेषन के महासचिव गोपाल दत्त जोषी, यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह, संयुक्त सचिव अमरीक सिंह, पान सिंह,  गुरमीत सिंह, रणजीत सिंह, नरिन्द्र चौधरी, धर्मवीर सिंह, स्वर्ण सिंह आदि वक्ताओं ने संबोधित करते हुए संबोध्ति करते हुए किसानों के संघर्ष के साथ एकजुटता का प्रगटावा किया तथा उनकी मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार किसानों के लोकतांत्रिक अध्किारो को खत्म कर रही है तथा सरकारी तंत्रा का गल्त इस्तेमाल करके किसानों की आवाज को दबाया जा रहा है। केन्द्र सरकार के गल्त फैसले के कारण देश का अन्नदाता सर्दी के मौसम में रात को भी सड़को पर पड़ा है। वक्ताओं ने कहा कि जब किसान इन कानूनों की मांग ही नहीं कर रहा है तो किसके दबाव में इन कानूनों को किसानों पर थोपा जा रहा है। वक्ताओं ने आगे कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारे जुल्म करके आंदोलन को दबाना चाहती हैं। सरकार खेती व किसानी को भी कार्पोरेट व पूंजीपतियों के हवाले करके फिरसे किसानों को गुलाम बनाना चाहती हैं। मण्डी व्यवस्था व न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त होने के बाद बिहार व दूसरे राज्यों के सरकार पंजाब व हरियाणा में खेतीहर मजदूरों के तौर पर काम करते हैं। ठेका प्रणाली लागू होने से किसान केवल क हने को ही खेत का मालिक रह जायेगा तथा फैसले कार्पोरेट ताकते करेगी। कानून के मुताबिक गतिरोध् पैदा होने पर किसान अदालतों में भी नहीं जा सकता तथा अपनी मर्जी से फसल ना पैदा कर सकता है ना बेच सकता है। आवश्यक वस्तु अध्निियम 1995 में संशोध्न करके पूंजीपतियों को जमाखोरी की खुली छूट दी जा रही है। किसानों से सस्ते रेट पर उपज खरीद कर गोदामों में भर ली जायेगी व नकली मांग पैदा करके ऊँचे दामों पर  बेची जायेगी जिसका विपरित असर आम जनता विशेषकर मजदूर वर्ग पर पड़ेगा। रैली में पराली जलाने पर एक करोड़ रूपये का जुर्माना  व कैद की सजा का भी विरोध् किया गया तथा सरकार से मांग की गई कि संघर्ष कर रहे किसानों से शीघ्र बातचीत कर तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए तथा बिजली अमैंडमैंट बिल 2020 को रद्द किया जाए।

इस रोष रैली में विषेष प्रस्ताव पास कर यूटी के चीफ इंजीनियर मुकेष आंनद द्वारा पिछले 4 सालों में किये गये कार्यो की जांच करने तथा इस दौरान भ्रष्टाचार द्वारा कमाई गई अनगिनत संपत्तियों की जांच  कराने की मांग की गई तथा प्रषासन को अगाह किया गया कि मुकेष आंनद के कार्यकाल में किसी भी तरह की बढ़ौतरी ना की जाए तथा जिन अधिकारियों की डीपीसी की मीटिंग हो चुकी है उन्हे तुरंत प्रमोषन दी जाए।

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