Monday, 23 November 2020

क्षमता या अक्षमता, प्यार किसी बंधन को नहीं जानता

By 121 News
Chandigarh Nov. 23, 2020:-अपने जन्मदिन के मौके पर अपनी जिंदगी का प्यार पाने से बेहतर उपहार नहीं हो सकता है! यहां सेक्टर 28 में चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब उस समय खुशियों से सरोबार हो गया, जब वहां पर पुनर्वास कर रहे एक युवा की वहीं पर सोमवार को शादी हुई। यह कोई साधारण शादी नहीं थी, क्योंकि दूल्हा राहुल एक क्वार्डप्लेजिक है, जबकि उसकी दुल्हन अनामिका की कोई विकलांगता नहीं है और इस बारे में अपने परिवारों को काफी समय तक समझाने के बाद वे सभी आखिरकार शादी के लिए सहमत हुए और सोमवार को उनका सपना साकार हुआ। 

यह अपनी तरह की शादियों में से एक थी क्योंकि राहुल ने व्हीलचेयर पर ही भावनात्मक रूप से भावविहल  अनामिका के साथ अनुसरण करते हुए उसकी देखभाल करने का संकल्प लिया, क्योंकि इस पूरी अवधि के दौरान वह उसकी देखभाल कर रही थी। सोमवार को ही राहुल का जन्मदिन भी था। शादी की मेजबानी चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब ने की थी जिसने सभी व्यवस्थाओं और खर्चों का भी दायित्व लिया था। 
उनकी कहानी प्रेरणादायक और सच्चे प्यार की कहानियों में से एक है। दोनों, 29 साल के राहुल सिंह दिवाकर और अनामिका भारतीय, एक दूसरे को वर्ष 2000 से जानते थे जब वे फतेहगढ़ में एक-दूसरे के साथ पड़ोसी के रूप में रहते थे और उन दोनों की उम्र सिर्फ नौ-नौ साल थी। यह वर्ष 2008 था जब वे वे एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे।
इस के साथ ट्रामा की अपनी यात्रा, प्यार और फिर प्यार पर आई मुश्किलों के बारे में बताते हुए, राहुल ने कहा कि ''मैं हमेशा किसी भी काम के लिए अपनी घर से जाने से पहले अनामिका से मिलता था, लेकिन वह सबसे दुखद दिन (13 मार्च, 2016) था, जब मैं काफी जल्दी में थे और उस दिन उससे मिल नहीं पाया। मैं एएओ परीक्षा में शामिल होने जा रहा था और बाइक पर एक दोस्त के साथ बैठा था जब हमारी बाइक फिसल गई और मुझे अपनी पीठ पर चोट लगी। मुझे मेरे दोस्तों द्वारा ही अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि जीवन में आगे क्या होने जा रहा है।
अपनी आंखों में आंसू के साथ, राहुल ने उसके और अनामिका के बीच के मजबूत बंधन के बारे में बात करते हुए कहा कि उसने मुझे कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि मैं तब भी दिव्यांग था जब मेरा निचला आधा हिस्सा पूरी तरह से लकवाग्रस्त था। मेरे पिता सेना में थे, और मां और बहन शिक्षक हैं और उनके नौकरी पर जाने के बाद मैं घर पर अकेला ही रह जाता था और शाम को मेरे घर के सदस्य आने से पहले वह ही मेरी पूरी देखभाल किया करती थी। ये सब करीब तीन महीने तक चला जब तक कि उनके पिता का तबादला नहीं हो गया और राहुल और उनका परिवार 2018 में लखनऊ चले गए।
अनामिका ने बताया कि ये दूरी भी हमें दूर नहीं कर सकती थी, और मैं रोजाना 7 से 8 घंटे फोन पर राहुल से बात करती थी क्योंकि राहुल बहुत उदास था लेकिन मैं अक्सर उसका हौंसला बढ़ाए रखती थी। मैं घर पर किसी को बताए बिना लखनऊ गई और राहुल के परिवार को शादी के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वे सहमत नहीं हुए। अनामिका ने कहा कि मैं पिछले साल फिर गई थी लेकिन उसके पिता ने फिर से शादी के लिए इंकार कर दिया। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने शादी करते समय राहुल की दिव्यांगता के बारे में कभी नहीं सोचा, तो उन्होंने सवाल किया कि ''अगर हमारी शादी के बाद उन्हें चोट लगती तो क्या होता? क्या मैं उसे तब छोड़ देती?
अनामिका ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है, छह साल पहले उसकी मां का बोन कैंसर के चलते देहांत हो गया था और कुछ साल पहले उसके पिता की ब्रेन हेमरेज से मृत्यु हो गई थी।
श्रीमति निकी पी.कौर, संस्थापक और सीईओ, चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब ने कहा कि ''इस साल ही जब राहुल को इंटरनेट से हमारे इस सेंटर के बारे में पता चला तो वे सितंबर में हमारे पास इलाज के लिए आए। राहुल जो कि बी.टैक हैं, और अभी हाल ही में एक एमएनसी में नौकरी पाने में कामयाब रहा है और कंपनी प्रोसेस के अनुसार प्रशिक्षण ले रहा है। अनामिका भी तब से सेंटर में हैं जब से राहुल यहां आए थे। मैं यह सुनिश्चित करना चाहती था कि उनकी शादी उतनी ही भव्य हो, जितनी मैंने अपने बच्चों के लिए की है और हमने उनके लिए एक फर्निश्ड कमरा भी अलॉट किया है और वे जितनी देर चाहें वहां रह सकते हैं।


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