Monday, 3 November 2025

भाजपा सरकार द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट भंग करने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ का कैंडल मार्च 

By 121 News
Chandigarh, Nov.03 2025:-आम आदमी पार्टी (आप) चंडीगढ़ ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट को भंग करने के फैसले को लोकतंत्र और शिक्षा — दोनों पर सीधा हमला बताया है। इस तानाशाही कदम के विरोध में आज सेक्टर 17, नीलम थिएटर के बाहर आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ द्वारा कैंडल मार्च आयोजित किया गया, जहाँ शांतिपूर्ण ढंग से विरोध दर्ज कराया गया।

इस कैंडल मार्च में ओमकार सिंह औलख (जनरल सेक्रेटरी), पी.पी. घई, पार्षद योगेश ढींगरा, सुमन, जसबीर सिंह लाडी, रामचंदर यादव, डॉ. जग्गा, देशराज सनवर, शकील मोहम्मद, एडवोकेट खुटचा, विक्रांत ए. तनवर स्टेट मीडिया इंचार्ज सहित आप पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र विंग के नेता,ललित मोहन, प्रदेश संयुक्त राजेश चौधरी,बीरू,कुलदीप
  बोबी सिंह, एस. पी यादव, इंद्रजीत शर्मा, वरिष्ठ पदाधिकारी, कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में नागरिकों ने भाग लिया।

आप चंडीगढ़ के अध्यक्ष विजयपाल सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार सुनियोजित तरीके से लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। अब विश्वविद्यालय जैसे स्वायत्त शैक्षणिक संस्थानों पर भी सरकार अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। यह फैसला न केवल शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता, शोध कार्यों और निर्णय लेने की पारदर्शिता पर भी गंभीर असर पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि सीनेट विश्वविद्यालय की आत्मा होती है  जिसमें शिक्षकों, छात्रों और अकादमिक विशेषज्ञों की भागीदारी रहती है। भाजपा ने इस सीनेट को भंग कर लोकतांत्रिक ढांचे को ध्वस्त कर दिया है। अब सरकार अपने मनमाफिक फैसले थोप थोप रही है और शिक्षा को भी राजनीतिक नियंत्रण में लाएगी।

आम आदमी पार्टी का कहना है कि पंजाब यूनिवर्सिटी केवल पंजाब की नहीं, बल्कि पूरे देश की बौद्धिक पहचान है। इस पर जबरन नियंत्रण की कोशिश शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की साज़िश है, जिससे भविष्य की पीढ़ियों की शिक्षा और शोध संस्कृति दोनों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

विजयपाल सिंह ने कहा कि भाजपा को जनता बताना चाहती है कि यूनिवर्सिटी किसी पार्टी का दफ्तर नहीं है  यह ज्ञान, स्वतंत्र सोच और लोकतंत्र का मंदिर है। आम आदमी पार्टी इस लड़ाई को सड़कों से लेकर संसद तक लड़ेगी, ताकि शिक्षा संस्थानों को बचाया जा सके और लोकतंत्र की नींव मजबूत रहे।

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