Tuesday 22 October 2024

पूर्व जज की नई पहल: जज की नौकरी छोड़कर, एकेडमी स्थापित की,महज 10 महीने में एक छात्रा बनी जज

By 121 News
Chandigarh, Oct.22, 2024:--एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश के रूप में 4 वर्षों की सेवा के बाद, पूर्व जज मनीष अरोड़ा ने न्यायपालिका में एक नया अध्याय शुरू किया है। अपनी जज की नौकरी छोड़कर, उन्होंने एक एकेडमी 'मनीष अरोड़ा लॉ एकेडमी' ,चंडीगढ़ स्थापित की, अथवा महज 10 महीने में महक नाम की एक होनहार छात्रा को जज बनने में मदद की।" 
पूर्व जज मनीष अरोड़ा ने जब अपने करियर की ऊंचाइयों को छोड़ने का निर्णय लिया, तो उनके इस कदम ने सभी को चौंका दिया। उनका उद्देश्य था कि वे नई पीढ़ी को न्यायपालिका के प्रति जागरूक करें और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करें। पूर्व जज मनीष अरोड़ा ने अपनी न्यायिक यात्रा को पीछे छोड़कर एक नई जिम्मेदारी उठाई। उनके अनुसार, "जज बनने के लिए बहुत छात्र सपना देखते है परन्तु सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण वह अपने उद्देश्य तक नहीं पहुंच पाते और उनके सपने अधूरे रह जाते है। मेरा सपना यह है कि मैं उन्हें सही रास्ते पर चला कर उनके जज बनने के सफर में सहायता कर सकूं।"
बता दे कि पूर्व जज मनीष अरोड़ा जज बनने से पहले 11 वर्षों तक शिक्षण कर चुके है अथवा अपने ज्यूडिशियरी कैरियर में 11 बार मेंस व 4 बार इंटरव्यू तक पहुंचे हैं। उनका मानना यह है कि उनके जज बनने के सफर में कोई मार्गदर्शन करवाने वाला नहीं था इसलिए उन्होंने अपनी गलतियों व असफलताओं से सीखा। उनके अनुसार वह सभी छात्रों को एक सीधे व सही रास्ते पर चलाना चाहते हैं ताकि वह सफलता पाने में विफल न हो। इसी सोच के तहत, उन्होंने एक एकेडमी की स्थापना की, जो न केवल कानूनी शिक्षा प्रदान करती है, बल्कि व्यावहारिक प्रशिक्षण पर भी जोर देती है। 
पूर्व जज मनीष अरोड़ा का कहना है कि हमारी अकादमी से हाल ही में हरियाणा सिविल जज परीक्षा में चार प्रतिभाशाली छात्रों ने इंटरव्यू में भाग लिया, और हमें गर्व है कि उनमें से एक ने जज बनकर एक नई ऊंचाई हासिल की! जबकि बाकी छात्रों के थोड़े अंक कम रह गए, हम उनके हौसले और मेहनत को सलाम करते हैं। हम उनके साथ हैं और विश्वास करते हैं कि यह एक कदम है, जो उन्हें सफलता की ओर ले जाएगा। महक को इस शानदार सफलता के लिए ढेर सारी बधाई! आपकी सफलता  सबके लिए प्रेरणा है। आगे बढ़ते रहें!
उनकी एकेडमी में छात्रों को न केवल कानूनी शिक्षा दी गई, बल्कि उन्हें वास्तविक अदालतों के मामलों का अनुभव भी कराया गया। उनकी एकेडमी में छात्रों को अदालतों की प्रक्रिया, कानूनी तर्क और नैतिकता पर गहन ज्ञान दिया जाता है। महक ने इस प्रक्रिया में अद्वितीय प्रदर्शन किया। प्रशिक्षण के दौरान, महक ने अपनी क्षमताओं का लोहा मनवाया। 
महक से बात करने पर उन्होंने बताया कि "मैंने मनीष सर की क्लासेस में मेंस आंसर राइटिंग बैच ज्वाइन किया था और उसके बाद इंटरव्यू के लिए भी मैंने सर से ही गाइडेंस ली थी और उसके लिए काफी सारे मॉक इंटरव्यू भी मैंने सर की अकैडमी में ही दिए थे। मेरी पूरी जर्नी में  जैसे सर ने मुझे समझाया जिस हिसाब से मुझे एग्जाम के लिए तैयार किया और मुझे मेरे लक्ष्य से भटकने नहीं दिया वह बहुत हेल्पफुल रहा। दूसरी एक बहुत बड़ी चीज है कि जिस तरीके से लैंग्वेज पर भी पूरा फोकस रखा गया क्योंकि जुडिशरी एग्जाम में लैंग्वेज का एक बहुत बड़ा रोल होता है।और अगर मैं बात करूं कि मेंस एग्जाम की तैयारी की तो आंसर राइटिंग में मनीष सर ने और सुप्रिया मैंम ने पर्सनली सारे टेस्ट खुद चेक किया और सही तरीके से कम टाइम में पेपर कंप्लीट करने का और ज्यादा से ज्यादा मार्क्स स्कोर करने का तरीका समझाया।जिस तरह मनीष सर ने और सुप्रिया मैंम ने मेरे ऊपर ट्रस्ट दिखाया, उसकी वजह से ही मुझे कॉन्फिडेंस मिला और मैं एग्जाम में अपना 100% दे पाई और  मैं बहुत थैंकफूल हूं और धन्यवाद करती हूं मनीष अरोड़ा लॉ अकैडमी का जो बच्चों को एक सही प्लेटफॉर्म मिला है जिससे बच्चों को भटकने की जरूरत नहीं है।बच्चे जो भी प्रॉब्लम फेस करते हैं अपनी जर्नी के टाइम,सर की गाइडेंस में बहुत आसानी से सब सॉल्व कर सकते हैं।आसान देखिए कुछ नहीं होता है लेकिन अपनी जर्नी को कट शॉर्ट किया जा सकता है।जैसे कहते हैं गुरु बिना ज्ञान नहीं तो अगर ऐसे गुरु आपके पास होंगे तो मुझे लगता है बहुत इजी होगा जज बनने का सफर।"
यह कहानी केवल महक की नहीं है, बल्कि यह उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पूर्व जज मनीष अरोड़ा का संकल्प दिखाता है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। पूर्व जज मनीष अरोड़ा का लक्ष्य है कि उनकी एकेडमी के माध्यम से अधिक छात्र न्यायपालिका में अपनी पहचान बना सकें। उनका सपना है कि आने वाले समय में अधिक युवा जज बनें और न्याय के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाएँ।

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