Saturday, 5 November 2022

सीआईआई एग्रो टेक इंडिया 2022 : डेयरी का एकीकृत समाधान किसानों के जीवन को बदल सकती है

By 121 News
Chandigarh, Nov.05, 2022: स्टेनेबल डेयरी और लाइव स्टोक मैनेजमेंट पर शनिवार को सीआईआई एग्रोटेक 2022 में एक विश सम्मेलन का आयोजन किया गया।  प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और व्यवसायों की भागीदारी के साथ आयोजित यह सम्मेलनचार दिवसीय 15वें संस्करण के प्रमुख कृषि और खाद्य प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी के दूसरे दिन  यहां आयोजित किया गया इस आयोजन का विषय 'स्थायी कृषिऔर खाद्य सुरक्षा के लिए डिजिटल रूपांतरण था।

संदर्भ स्थापित करने के लिए अपनी प्रारंभिक टिप्पणी मेंअजूनी बायोटेक लिमिटेड के चेयरमैनश्री गुरमीत सिंह भाटिया ने कहावैश्विक कृषि उत्पादन में लाइवस्टोक का योगदान 40 फीसदी है। 70 मिलियन से अधिक किसान सीधे तौर पर डेयरी फार्मिंग से जुड़े हैं। हम यहां सस्टेनेबल डेयरी मैनेजमेंट पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एकत्रित हुए हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में जनसंख्या और विविधता दोनों के मामले में डेयरी पशुओं के लिए नुवंशिक संसाधनों की प्रचुरता है। यदि एक किसान शिक्षित और जानकार हैतो वह उन गरीबों और पिछड़े लोगों के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा जो परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

एम्बेसेडर ऑफ  किंगडम ऑफ नीदरलैंडएग्रीकल्चर एम्बेसेडरश्री रिक नोबेल ने अपने संबोधन में उल्लेख किया कि कृषि और पशुपालन भारत के साथ डच एसोसियेशन के लिए द्विपक्षीय है। नीदरलैंड मेंकिसानों और सरकारखुदरा विक्रेताओं और बैंकरों के बीच निरंतर संपर्क होता है। उन्होंने कहा कि डच कंपनियां भारत में क्यूआर (QR) कोड पर काम कर रही हैं ताकि उपभोक्ताओं में इस बारे में अधिक जागरूकता पैदा की जा सके कि दूध वास्तव में कहां से  रहा है जिससे शहर की प्रक्रिया का पालन किया जा सके और गाय का दूध उपलब्ध हो सके।

आईटीसी लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट ऑपरेशन्स सचिन शर्मा ने कहाडेयरी भारत के लिए एक सफलता की कहानी है और उद्योग में महिलाओं की भागीदारी बहुत अधिक है। एक चुनौती यह है कि उत्पादकता कम रही हैलेकिन इसमें सुधार हो रहा है बस एकीकृत समाधान की जरूरत है।

 प्राणथर्थिहारन नटराजनबिजनेस डेवलपमेंट लीडइंडियाथिसेनक्रुप लिमिटेडदूध के पास्चुरीजेशन का विकल्प हैजिसे एचपीपी कहा जाता है। हालांकिभारत में इसके कार्यान्वयन की कमी हैयह पोषक तत्वों को खत्म नही करता है और इसका स्वाद भी नहीं बदलता है। इससे निर्यात में भारत के प्रयासों में भी मदद मिलेगी क्योंकि यह तकनीक तरल दूध के शेल्फ लाइफ को 45 दिनों तक ले जाती है।

इंडियन वेटरनरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ चिरंतन कादियान ने कहाहम फिनाइल बनाने के लिए गोमूत्र का उपयोग कर सकते हैं। हमें अपने लाइवस्टॉक का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने की आवश्यकता हैपशु प्रबंधन एक बहुत बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए स्थानीय निकाय बहुत कम प्रभाव के साथ संसाधनों को बर्बाद कर रहे हैं।

सत्र का समापन करते हुएश्री भाटिया ने कहा कि यह चर्चा व्यापक रही है और इसने सस्टेनेबल डेयरी के सभी पहलुओं को छुआ है। सत्र से उद्योग जगत और अन्य हितधारकों लाभान्वित होगें।

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