By 121 News
Chandigarh, August 19, 2025:- लाइफस्टाइल (जीवनशैली) से जुड़ी बीमारियों को सही दवाओं के साथ-साथ संतुलित आहार, फिटनेस और माइंडफुलनेस प्रैक्टिस (ध्यान व जागरूकता आधारित तकनीक अपनाकर प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। इससे तनाव प्रबंधन, एकाग्रता में वृद्धि और भावनात्मक संतुलन बेहतर होता है, जो ऐसी बीमारियों के इलाज और रोकथाम में काफी सहायक है। यह बात हेल क्लीनिक्स की मैनेजिंग डायरेक्टर, डॉ. भावना आहुजा ने कही। वे यहां आयोजित जागरूकता कार्यक्रम "इन्वेस्ट इन योर हेल्थ टुडे फ़ॉर ए बैटर टुमारो" में बोल रही थीं।
कार्यक्रम में ट्राइसिटी के प्रमुख डॉक्टर शामिल हुए। उन्होंने कहा कि बढ़ते लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियों को देखते हुए, इलाज के लिए बहुआयामी और समग्र तरीका अपनाना समय की जरूरत है।
डॉ. आहुजा ने लाइफस्टाइल संबंधी समस्याओं जैसे बढ़ता वजन, डायबिटीज़, हार्मोनल असंतुलन और तनाव के लिए व्यापक स्वास्थ्य कार्यक्रमों की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हेल क्लीनिक्स में हम मानते हैं कि रोकथाम इलाज से बेहतर है। हमारा लाइफस्टाइल पैकेज इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह बीमारी के शुरुआती संकेतों का पता लगाने, स्वास्थ्य की निगरानी करने और प्रोफेशनल गाइडेंस के साथ स्वस्थ आदतें अपनाने में मदद करता है। असली स्वास्थ्य केवल लक्षणों का इलाज करना नहीं है, बल्कि पूरे व्यक्ति — शरीर, मन और जीवनशैली — का ख्याल रखना है।
कॉम्प्रीहेंसिव लाइफस्टाइल मैनेजमेंट प्रोग्राम डॉक्टरों, न्यूट्रिशनिस्ट्स, फिजियोथेरेपिस्ट्स और मेन्टल हेल्थ विशेषज्ञों की टीम द्वारा तैयार किया गया है।
डॉ. आहुजा ने बताया कि इस कार्यक्रम का नेतृत्व प्रसिद्ध एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. एमी ग्रेवाल कर रही हैं, जो एम्स सहित देश के प्रमुख हेल्थ इंस्टिट्यूशनस से जुड़ी रही हैं और मोहाली के बड़े अस्पतालों में भी सेवाएं दे चुकी हैं। डॉ. एमी ने वजन प्रबंधन व डायबिटीज़ सहित अन्य लाइफस्टाइल विकारों की रोकथाम में एकीकृत उपचार पद्धति और नवीनतम दवाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. निखिल भंडारी, कंसल्टेंट न्यूरो-साइकाइट्रिस्ट और रॉयल कॉलेज ऑफ साइकाइट्रिस्ट्स, यूके के सदस्य, जिन्हें एनएचएस (नेशनल हेल्थ सर्विस), यूके में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है, ने मेन्टल हेल्थ और उसके देश पर प्रभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि भारत की वयस्क आबादी का लगभग 15 फीसदी हिस्सा मेन्टल हेल्थ समस्याओं का सामना करता है, जिन्हें चिकित्सकीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। वहीं 70 से 92।प्रतिशत मानसिक रोगियों को सही उपचार नहीं मिल पाता।
कार्यक्रम में डॉक्टर, डाइटिशियन और फिजियोथेरेपिस्ट की टीम ने भी बताया कि लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए अलग-अलग तरीकों को मिलाकर काम करना ज़रूरी है।
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