Friday, 29 August 2025

प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित किया जा रहे दो दिवसीय रिसर्च सेमिनार  का प्रारम्भ

By 121 News
Chandigarh, August 29, 2025:-प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित किये जा रहे दो दिवसीय रिसर्च सेमिनार का प्रारम्भ  आज यहाँ पंजाब कला भवन के डॉ एम एस रंधावा सभागार में किया गया।  जिस में देश के विभिन्न शहरों से  प्रतिभागियों ने अपने शोध कार्य  को प्रस्तुत किया।  इस सेमिनार का मुख्य विषय  संगीत नृत्य एवं ललित कलाओं की सामाजिक उत्थान में भूमिका  पर आधारित था।  इस अवसर पर प्रो. प्रेमीला गुरुमूर्ति-पूर्व कुलपति तमिलनाड, डॉ जयललिता म्यूजिक एंड फाइन आर्ट्स यूनिवर्सिटी, चेन्नई ने मुख्य अतिथि के रूप में सेमिनार की शोभा बढ़ाई।  और साथ ही ललित नारयण  दरभंगा विश्वविद्यालय में संगीत विभाग प्रमुख प्रो लावण्या कीर्ति सिंह  काब्या ने की नोट  स्पीकर  की भूमिका अदा की।  इस  अवसर पर केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर ने मुख्य अतिथि   प्रो प्रेमीला गुरुमूर्ति को उत्तरीया एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया।  इसके साथ ही सेमिनार के गेस्ट स्पीकर जाने माने संगीतज्ञ प्रो  शारंगधर साठे (चेयरपर्सन ) , जाने माने सितार वादक प्रो  हरविंदर शर्मा , एम एस यू विश्वविद्यालय , बड़ोदा के संगीत विभाग प्रमुख डॉ राजेश केलकर  को भी  केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं सेमिनार के सूत्रधार पंडित देवेंद्र वर्मा ने उत्तरीया एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया ।  

 इसके उपरांत प्रतिभागियों ने  ऑफलाइन  एवं ऑनलाइन  माध्यम द्वारा  विभिन्न संगीत एवं कला से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पेश किये गए। इस सेमिनार में संगीत एवं कला से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध पत्र पेश किये गए।  जिस में आध्यात्मिक स्वर साधना , पुष्टिमार्गीय हवेली संगीत परंपरा में गीत गोविन्द का प्रचलन , भारत में संगीत सामग्री वितरण तकनीकों में परिवर्तन , संगीत का विज्ञानं से अन्तर्सम्बन्ध , लोकगीतों के संरक्षण एवं संवर्धन में आकाशवाणी के जोधपुर केंद्र का योगदान , ग्वालियर घराने के महान कलाकार , शास्त्रीय संगीत शिक्षण में किराना घराने की मूर्धन्य कलाकार डॉ गंगूबाई हंगल का विशिष्ट योगदान , हिमाचल प्रदेश में शास्त्रीय संगीत का पुनर्जागरण और पंडित सोमदत्त बट्टू की भूमिका , मंदिरों में भक्ति संगीत के विविध स्वरुप , राजस्थान की समग्र गायकी मांड, भारतीय परंपरा और कला : एक सजीव ब्रह्माण्ड विज्ञान  और सांस्कृतिक धरोहर , वीणा और उसके विभिन्न स्वरूप , संगीत में योग के षट्कर्म का महत्व , सितार वादन के विकास में सेनिया घराने का योगदान , संगीत और समाज का विवेचनात्मक अध्ययन  जैसे कई विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये गए।  कुल मिला कर सेमिनार का प्रथम दिवस भारतीय परम्पराओं एवं कलाओं के विभिन्न पहलुओं को समर्पित रहा।  कल प्रातः 10  बजे इस सेमिनार के दूसरे एवं अंतिम दिन सेशन 3 और 4 की प्रस्तुति होगी जिस में कई गणमान्य अतिथि एवं जाने माने कलाकार अपनी  उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे आज सेमिनार के प्रथम दिन गणमान्य अतिथियों में प्रो जगमोहन शर्मा , पंडित सुशिल जैन , डॉ महेंद्र प्रसाद शर्मा  भी उपस्थित थे

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