By 121 News
Chandigarh August 13,2022:- राज्य के डेयरी फार्मर्स और पशुपालक किसानों को आर्थिक खस्ताहाली से बाहर निकालने के लिए पंजाब सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज को लागू न करने के विरोध में डेयरी फार्मर्स फिर से संघर्ष की राह पर हैं। हम अपनी मांगों को लेकर बीते तीन महीनों से सरकार के साथ बातचीत करने के लिए समय लेने का प्रयास कर रहे हैं पर न तो मुख्यमंत्री और न ही वित्त मंत्री हरपाल चीमा, डेयरी किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हो रहे हैं। जिसको लेकर अब हम सरकार और मंत्री के रवैये से परेशान होकर पंजाब के डेयरी किसानों के साथ सरकार के खिलाफ फिर से मोर्चा खोलने जा रहे हैं और यदि हमारी मांगों को अमल में नही लाया गया तो 24 अगस्त को लुधियाना के वेरका प्लांट में धरना देंगे।
पंजाब के डेयरी किसानों का नेतृत्व करने वाली संस्था प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन (पीडीएफए) के अध्यक्ष दलजीत सिंह सदरपुरा ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि पंजाब के डेयरी किसानों को नई सरकार से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन इसके विपरीत, सरकार बनने के बाद डेयरी किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह हो गई है कि कोई भी जिम्मेदार मंत्री या मुख्यमंत्री डेयरी किसानों की समस्या तो दूर बात तक सुनने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि तीन महीने पहले भी जब पंजाब के हजारों डेयरी किसान अपनी आर्थिक मदद की मांगों को लेकर मोहाली की सडक़ों पर पहुंचे थे, तब राज्य सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और पंचायती मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल द्वारा पीडीएफए के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान 55 रुपये प्रति किलो फैट बढ़ाने की घोषणा की गई, जिसमें से 20 रुपये प्रति किलो फैट का पैसा मिल्कफेड द्वारा दिया जाना था, जो 21मई को लागू किया गया। लेकिन दूध की कीमत में 35 रुपये प्रति किलो फैट का भुगतान सरकार ने देना था, जिसमें लगातार देरी की जा रही है और इसको अब तक लागू नहीं किया गया है।
स. सदरपुरा ने कहा कि उक्त मंत्रियों द्वारा इस वृद्धि की घोषणा के बाद बजट सत्र के दौरान इसे मंजूरी भी दी गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से 35 रुपये प्रति किलो फैट की वृद्धि को अब तक लागू नहीं किया जा सका, जिसके कारण डेयरी किसान संघर्ष के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर किए जा रहे हैं।
स. सदरपुरा ने कहा कि पंजाब के डेयरी किसान, जो पहले से ही आर्थिक दबाव में हैं, गाय के चर्म रोग की चपेट में आ गए हैं और उनका पशुधन लगातार दम तोड़ रहा है। स. सदरपुरा ने कहा कि मवेशियों, खासकर गायों की मौत से हुई इस भयानक बीमारी से डेयरी उद्योग से जुड़े छोटे-बड़े किसानों को भारी नुकसान हुआ है और अब तक इस बीमारी से पूरे पंजाब में हजारों गायों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में सरकार को राज्य के डेयरी उद्योग को बचाने के लिए अपनी की गई पिछली घोषणाओं को लागू करना चाहिए था और मृत गायों के बदले में पशु पालकों को मुआवजा देना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से सरकार डेयरी किसानों की बात सुनने को तैयार ही नहीं है।
स. सदरपुरा ने कहा कि वह पिछले दो महीने से सरकार के विभिन्न प्रतिनिधियों से बात कर रहे हैं और संबंधित विधायकों और मुख्यमंत्री को अपना संदेश भेज रहे हैं, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है और है और न ही सरकार के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने किसानों से मुलाकात की है और ना ही मिलने का कोई समय दिया है।
स. सदरपुरा ने कहा कि मजबूर होकर डेयर फार्मर्स को आज प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ रही है और उसके बाद 16 तारीख को फिर से मीडिया के सामने एक बड़े संघर्ष की घोषणा की जाएगी। इस बीच डेयरी फार्मर्स ने भी दूध उपभोक्ताओं को सचेत किया कि इस बीमारी का दूध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और इसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। इस बात को विशेषज्ञों ने भी स्पष्ट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से बचने की सलाह दी।
इस प्रेस कांफ्रेंस के मौके पर प्रेस सचिव रेशम सिंह भुल्लर, राजपाल सिंह कुलार, रणजीत सिंह लागेआना, सुखजिंदर सिंह, सुखदेव सिंह बरोली, परमिंदर सिंह घुडानी, अमरिंदर सिंह बल्ल, सिकंदर सिंह पटियाला, कुलदीप सिंह शेरों, बलविंदर सिंह मुक्तसर, बलजिंदर सिंह सठियाला, मनजीत सिंह मोही, सुखराज सिंह गुड़े, सतिंदर सिंह, हरदीप सिंह, करमजीत सिंह, दर्शन सिंह, गुरबख्श सिंह, अवतार सिंह थापला, गीतिंदर सिंह, सुखदीप सिंह, सुरजीत कुमार भी आदि उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment