Saturday, 9 October 2021

लेखिका शैलजा कौशल की नवीनतम पुस्तक ‘पांच के सिक्के तथा अन्य कहानियां’ में दर्शाया गया है भावनाओं का मनोविज्ञान

By 121 News

Chandigarh, October 09, 2021:- शैलजा कौशल का मानना है कि उनके लिए लेखन उतना ही स्वाभाविक है जितना कि जीना। जो कुछ भी उनका ध्यान खींचता है वह उसकी दैनिक डायरी का हिस्सा बन जाता है और उसकी दैनिक डायरी के वे नोट सामूहिक रूप से एक किताब बन जाते हैं। उनकी नवीनतम पुस्तक 'पांच के सिक्के तथा अन्य कहानियां', जो उनकी दूसरी पुस्तक है, जो कि जीवन के यथार्थवाद और इसके अक्सर उपेक्षित पहलुओं से निकटता रखती है।

बचपन के दिनों की यादें हों या एलजीबीटी कॉम्युनिटी के संघर्ष या हमारे देश में रोजगार, शैलजा ने सफलतापूर्वक हर उस चीज को चित्रित करने की कोशिश की है जिस पर आज ध्यान देने की जरूरत है। और, अपनी पुस्तक की कुल 12 कहानियों के माध्यम से, वह मानवीय भावनाओं के मनोविज्ञान का वर्णन करती है जिसे हम अन्यथा अपने दैनिक जीवन में कम करके आंकते हैं।

शैलजा कहती हैं कि जब से मैं हिंदी में लिखती हूं, मुंशी प्रेमचंद का विश्वास लेखन के मामले में मेरे दिल के बहुत करीब है। उन्होंने कहा है कि एक मनोवैज्ञानिक कहानी वास्तविक हलचल है जिसे एक लेखक शब्दों के माध्यम से चित्रित कर सकता है। इसे अपने सभी पात्रों के मनोविज्ञान को चित्रित करना चाहिए।

पूर्व पत्रकार रह चुकी हैं शैलजा, वर्तमान में हरियाणा सरकार में सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, शैलजा कहती हैं कि लोगों की पीड़ा उन्हें कहानियों में बयान करने के लिए मजबूर करती है।

'एक पत्रकार के रूप में, मैंने कुछ कहानियों को कवर किया है जहाँ मुझे लोगों के जीवन के कष्टों के बारे में लिखना था और ऐसा मेरे लिए आसान नहीं था। मैं एक संवेदनशील इंसान हूं और मेरी भावनात्मक संवेदनशीलता ही मेरे अंदर के लेखक को जन्म देती है'

पुस्तक के पन्नों को पढ़ते हुए विवेक अत्रे, शैलजा को उनकी इस पुस्तक के लिए बधाई देते हैं। इस मौके पर विवेक ने कहा कि जब भी वह किसी पुस्तक के विमोचन में शामिल होते हैं तो सामान्य जीवन से ऊंचा महसूस करते हैं।

पुस्तक भारतीयता और इसकी जमीनी हकीकत से जुड़ी है। इसका प्रत्येक अध्याय के शीर्षक अद्वितीय हैं और आपको अध्याय पढऩे के लिए प्रेरित करता हैं। उदाहरण के लिए, कचौरी वाली गली, पांच के सिक्के, मिसेज लोबो स्पेशल, मेरी सिखता। उनका दिया गया हर शीर्षक के बारे में अच्छी तरह सोचा समझा और अपने में बयां करता हैं।

विवेक ने कहा कि गूगल पे के जमाने में पांच के सिक्के जैसी किताब लिखना एक दिलचस्प बात है। यह युवा पीढ़ी शायद नहीं जानती होगी कि पांच का सिक्का कैसा दिखता है। लेकिन यह हमारी यादों का खजाना है और हमें इसे कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि  लघु कथाएँ लिखना एक कठिन कार्य है।

उन्होंने कहा कि हर कोई ऐसा नहीं कर सकता। लेकिन एक लेखक का जीवन के प्रति हमेशा एक अलग नजरिया होता है। वह अपनी किताबों के लिए दिलचस्प पात्र ढूंढता रहता है। एक लेखक की कल्पना कभी रुकती नहीं है और कभी रुकनी नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी लेखकों से कहते हैं कि वे लिखते रहें और अपनी कृतियों को दुनिया के साथ साझा करते रहें।

'पांच के सिक्के तथा अन्य कहानियां' की सभी कहानियों को संकलित करने में दो साल लग गए। इतना लंबा समय क्यों? शैलजा बताती हैं कि वह अपनी किताबों में वर्णित सभी पात्रों को जीना पसंद करती हैं। कुछ पात्र उनके व्यक्तित्व का प्रतिबिंब हैं और कुछ के लिए वह अपने परिवेश से प्रेरणा लेती हैं। और यही कारण है कि यह वास्तविकता और कल्पना का एकदम सही मिश्रण बन जाता है।

आस्था पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जल्द ही अमेजऩ पर भी उपलब्ध होगी।

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