By 121 News
Chandigarh Sept.02, 2021:- दर्शनशास्त्र और दृष्टिकोण की शक्ति पर अपनी तरह के पहली दिलचस्प लेखन में, युवा एवं विलक्षण प्रतिभा की धनी अठारह वर्षीय जीना अरोड़ा ने अपनी पहली लिखी किताब 'द फोर्थ पर्सपेक्टिव' शीर्षक के साथ जारी की है। इस पुस्तक का विमोचन आज चंडीगढ़ गोल्फ क्लब में प्रख्यात शिक्षाविद् और दूरदर्शी डॉ. सुमेर बहादुर सिंह ने किया।
इस अवसर पर डॉ. सुमेर बहादुर सिंह ने जीना के लेखन कौशल की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने आसानी से समझ में आने वाली भाषा का किताब में उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तक उनकी विचार प्रक्रिया में गहराई का परिणाम है और इस प्रकार उन्हें लेखन जारी रखना चाहिए इससे उनका मनोबल ओर ऊंचा बढ़ेगा।
अक्सर यह कहा जाता है कि हर चीज के तीन दृष्टिकोण होते हैं; एक जो तुम्हारा है, एक मेरा है, और एक जो पूर्ण दृष्टिक ोण है, और जीना अरोड़ा की यह किताब रेखांकित करती है कि जीना को 'फोर्थ पर्सपेक्टिव' के तौर पर क्या कहना पसंद है।
इस उत्कृष्ट कृति को लिखने के पीछे अपनी अलग विचारधारा का विस्तार करते हुए, जीना का कहना है कि मैं वास्तव में कभी भी बायनेरिज़ को पूरी तरह से समझने में सक्षम नहीं रही। मेरा मतलब है, मैं उन्हें समझती हूं, मैं सही और गलत, अच्छे और बुरे, सकारात्मक और नकारात्मक, सच्चाई और झूठ या ना करने वाली चीजों और करने वाली चीजों के बीच के अंतर को समझती हूं और मुझे पता है कि उनका उद्देश्य क्या है, और कौन सा है। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हर एक क्रिया, प्रतिक्रिया, वाक्य, भावना, विचार या विचार को इस या उस में विभाजित करने का हमारा प्रयास काफी हद तक व्यर्थ है।
उनका आगे कहना है कि ऐसे में ये यह किताब उस समय के लिए है, जब आप अपने आस-पास जो कुछ भी हो रहा है या उसे काले या सफेद के रूप में वर्गीकृत करने में खुद को असमर्थ पाते हैं। यह तब होता है जब आप अपने आप को एक अस्पष्ट या धुंधले क्षेत्र में पाते हैं और जब आपको उस धुंधले क्षेत्र में आराम खोजने में सहायता की आवश्यकता होती है। मैं चाहती हूं कि आप कहीं भी और जब भी आपका मन करे उसमें गहरा गोता लगाने में सक्षम हों।
जीना का कहना है कि धरती पर मौजूद मूक व बेजान वस्तुओं के छिपे हुए गुणों के माध्यम से जो हम लगभग हर दिन अपने आस-पास देखते हैं, उनमें से प्रत्येक में एक अटूट सांत्वना या एक सुखद समाधान होता है, जिसे दोहण या प्राप्त करने की प्रतीक्षा की जाती है, और यही फोर्थ पर्सपेक्टिव को परिभाषित करता है। चौथे दृष्टिकोण की परिणति अंतत: में निहित है और आप कभी नहीं जानते कि वे किसी भेस में आपके उद्धारकर्ता के रूप में कब सेवा कर सकते हैं!
अक्सर यह कहा जाता है कि हर चीज के तीन दृष्टिकोण होते हैं; एक जो तुम्हारा है, एक मेरा है, और एक जो पूर्ण दृष्टिक ोण है, और जीना अरोड़ा की यह किताब रेखांकित करती है कि जीना को 'फोर्थ पर्सपेक्टिव' के तौर पर क्या कहना पसंद है।
इस उत्कृष्ट कृति को लिखने के पीछे अपनी अलग विचारधारा का विस्तार करते हुए, जीना का कहना है कि मैं वास्तव में कभी भी बायनेरिज़ को पूरी तरह से समझने में सक्षम नहीं रही। मेरा मतलब है, मैं उन्हें समझती हूं, मैं सही और गलत, अच्छे और बुरे, सकारात्मक और नकारात्मक, सच्चाई और झूठ या ना करने वाली चीजों और करने वाली चीजों के बीच के अंतर को समझती हूं और मुझे पता है कि उनका उद्देश्य क्या है, और कौन सा है। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हर एक क्रिया, प्रतिक्रिया, वाक्य, भावना, विचार या विचार को इस या उस में विभाजित करने का हमारा प्रयास काफी हद तक व्यर्थ है।
उनका आगे कहना है कि ऐसे में ये यह किताब उस समय के लिए है, जब आप अपने आस-पास जो कुछ भी हो रहा है या उसे काले या सफेद के रूप में वर्गीकृत करने में खुद को असमर्थ पाते हैं। यह तब होता है जब आप अपने आप को एक अस्पष्ट या धुंधले क्षेत्र में पाते हैं और जब आपको उस धुंधले क्षेत्र में आराम खोजने में सहायता की आवश्यकता होती है। मैं चाहती हूं कि आप कहीं भी और जब भी आपका मन करे उसमें गहरा गोता लगाने में सक्षम हों।
जीना का कहना है कि धरती पर मौजूद मूक व बेजान वस्तुओं के छिपे हुए गुणों के माध्यम से जो हम लगभग हर दिन अपने आस-पास देखते हैं, उनमें से प्रत्येक में एक अटूट सांत्वना या एक सुखद समाधान होता है, जिसे दोहण या प्राप्त करने की प्रतीक्षा की जाती है, और यही फोर्थ पर्सपेक्टिव को परिभाषित करता है। चौथे दृष्टिकोण की परिणति अंतत: में निहित है और आप कभी नहीं जानते कि वे किसी भेस में आपके उद्धारकर्ता के रूप में कब सेवा कर सकते हैं!
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