By 121 News
Chandigarh April 12, 2021:- भारत में एल्यूमिनियम और इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों की सबसे बड़ी निर्माता वेदांता ने बॉक्साइट परिष्करण प्रक्रिया बेयर प्रोसेस से निकले अवशेष (रेड मड) के मूल्य संवर्धन के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। बॉक्साइट का परिष्करण एल्यूमिना पाउडर बनाने के लिए किया जाता है। एल्यूमिनियम का प्राथमिक अयस्क बॉक्साइट है। एल्यूमिना बनाने के लिए अयस्क कोइंटरमीडियट रिफाइनिंग स्टेज से गुजरना होता है। एल्यूमिना से एल्यूमिनियम का उत्पादन इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया से होता है। धरती में प्रचुर मात्रा में उपलब्धता को देखते हुए बॉक्साइट का खनन स्वाभाविक रूप से सबसे ज्यादा टिकाऊ खनन प्रक्रिया है। करीब तीन टन बॉक्साइट से एक टन एल्यूमिना बनता है। एक टन एल्यूमिनियम उत्पादन के लिए करीब दो टन एल्यूमिना की जरूरत होती है।
रेडमड में लोहा, एल्यूमिना, रेयरअर्थ एलिमेंट (आरईई) और टाइटेनियम डाईऑक्साइड जैसी कई धातुएं मौजूद होती हैं। नीति आयोग ने बॉक्साइट के अवशेष से आरईई निकालने का पूर्णत: स्वदेशी विचार दियाथा। रक्षा क्षेत्र में आरईईस्कैंडियम की बहुत उपयोगिता है और भारत में इसकी उपलब्धता बहुत कम है जिसस इसके लिए आयात पर निर्भरता रहती है। ऐसे में रेडमड से इसे निकालना महत्वपूर्ण है। उप उत्पाद होने के कारण रेडमड के निपटारे की प्रक्रिया में वैज्ञानिक तरीकों की जरूरत पड़ती है। इसमें से जरूरत की धातुओं के प्रसंस्करण के लिए उन्नत तकनीकों को होना आवश्यक है।
अन्य एल्यूमिनियम उत्पादकों के साथ वेदांता ने तीन शोध संस्थानों सीएसआईआर-नेशनल मेटलर्जिकल लैबोरेटरी (एनएमएल), जमशेदपुर, इंस्टीट्यूट ऑफ मिनरल्स एंड मैटेरियल्स टेक्नोलॉजी (आईएमएमटी), भुवनेश्वर और जवाहर लाल नेहरू एल्यूमिनियम रिसर्च डेवलपमेंट एंड डिजाइन सेंटर (जेएनएआरडीडीसी), नागपुर के साथ साझेदारी की है। इसके तहत तीनों शोध संस्थान रेडमड के बेहतर प्रयोग के लिए तकनीक विकसित करेंगे। इसमें रेडमड का आरईई एनरिचमेंट, एल्यूमिनावैल्यू की रिकवरी, आयरनवैल्यू की रिकवरी और टाइटेनियम व आरईई (एलए, सीई, वाई, एससी) को अलग करने की प्रक्रिया आदि शामिल हैं। प्रक्रिया विकसित होने के बाद एक एकीकृत कारखाने के माध्यम से उसका प्रयोग किया जाएगा।
इस परियोजना में वेदांता की साझेदारी पर वेदांता लिमिटेड के डिप्टी सीईओ एल्यूमिनियम श्री राहुल शर्मा ने कहा कि हमारी विश्वस्तरीय प्रचालन प्रक्रिया 'शून्य क्षति, शून्य अपशिष्ट, शून्य उत्सर्जन' पर केंद्रित सस्टेनेबिलिटी से निर्देशित होती है। बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नए समाधान अपनाना और एक सर्कुलर इकोनॉमी तैयार करना हमार ेफैसलों का हिस्सा रहता है। काम के सस्टेनेबल तरीकों के जरिये स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में पहले से उठाए गए कदमों के साथ-साथ वेदांता की मजबूत अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था और शून्य उत्सर्जन कार्य प्रणाली ने वैश्विक एल्यूमिना प्रसंस्करण क्षेत्र में मानक स्थापित किए हैं। इस एमओयू के अंतर्गत हमारा लक्ष्य रेडमड से मूल्यवान घटकों कोअधिकतम क्षमता से अलग करना है ताकि उनका प्रयोग अन्य जगहों पर किया जा सके।
अन्य एल्यूमिनियम उत्पादकों के साथ वेदांता ने तीन शोध संस्थानों सीएसआईआर-नेशनल मेटलर्जिकल लैबोरेटरी (एनएमएल), जमशेदपुर, इंस्टीट्यूट ऑफ मिनरल्स एंड मैटेरियल्स टेक्नोलॉजी (आईएमएमटी), भुवनेश्वर और जवाहर लाल नेहरू एल्यूमिनियम रिसर्च डेवलपमेंट एंड डिजाइन सेंटर (जेएनएआरडीडीसी), नागपुर के साथ साझेदारी की है। इसके तहत तीनों शोध संस्थान रेडमड के बेहतर प्रयोग के लिए तकनीक विकसित करेंगे। इसमें रेडमड का आरईई एनरिचमेंट, एल्यूमिनावैल्यू की रिकवरी, आयरनवैल्यू की रिकवरी और टाइटेनियम व आरईई (एलए, सीई, वाई, एससी) को अलग करने की प्रक्रिया आदि शामिल हैं। प्रक्रिया विकसित होने के बाद एक एकीकृत कारखाने के माध्यम से उसका प्रयोग किया जाएगा।
इस परियोजना में वेदांता की साझेदारी पर वेदांता लिमिटेड के डिप्टी सीईओ एल्यूमिनियम श्री राहुल शर्मा ने कहा कि हमारी विश्वस्तरीय प्रचालन प्रक्रिया 'शून्य क्षति, शून्य अपशिष्ट, शून्य उत्सर्जन' पर केंद्रित सस्टेनेबिलिटी से निर्देशित होती है। बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नए समाधान अपनाना और एक सर्कुलर इकोनॉमी तैयार करना हमार ेफैसलों का हिस्सा रहता है। काम के सस्टेनेबल तरीकों के जरिये स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में पहले से उठाए गए कदमों के साथ-साथ वेदांता की मजबूत अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था और शून्य उत्सर्जन कार्य प्रणाली ने वैश्विक एल्यूमिना प्रसंस्करण क्षेत्र में मानक स्थापित किए हैं। इस एमओयू के अंतर्गत हमारा लक्ष्य रेडमड से मूल्यवान घटकों कोअधिकतम क्षमता से अलग करना है ताकि उनका प्रयोग अन्य जगहों पर किया जा सके।
No comments:
Post a Comment