By 121 News
Chandigarh Dec. 21, 2020:- विद्यार्थियों एवं एकेडेमिक संस्थानों को नई शिक्षा नीति (एनईपी) द्वारा प्रस्तुत अपार अवसरों का लाभ देने के लिए मौजूदा कोर्स व पाठ्यक्रम में क्या परिवर्तन लाए जाएं, इसकी विवेचना के लिए बद्दी, हिमाचल प्रदेश स्थित प्रतिष्ठित आईईसी यूनिवर्सिटी विचार विमर्श की श्रृंखला का आयोजन करेगी यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के अनुसार, विद्यार्थियों पर केंद्रित एनईपी न केवल एकेडेमिक ज्ञान, अपितु रियल-टाईम अनुभव प्रदान करने पर केंद्रित होकर विभिन्न प्रविष्टियां एवं मौजूदा विकल्प प्रस्तुत कर रही है, जिनके माध्यम से इसने विविध कोर्स व कोर्स पूरा करने के हर चरण में करियर के बेहतरीन अवसरों के साथ अनेक संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।
नई योजना में बैचलर कोर्स का पहला साल पूरा करने पर विद्यार्थी को कोर्स कम्प्लीशन लेवल सर्टिफिकेट मिलेगा; जबकि बैचलर कोर्स के दो साल पूरे होने पर उसे डिप्लोमा का सर्टिफिकेट मिलेगा। डॉक्टर अंजू सक्सेना, वाईस चाँसलर, आईईसी यूनिवर्सिटी ने कहा मैं नई शिक्षा नीति (एनईपी) का समर्थन करती हूँ। इससे विद्यार्थी के प्रायोगिक ज्ञान को महत्व मिलेगा और वो रटे-रटाए अध्ययन से दूर हो सकेंगे। इससे छोटी उम्र से ही विद्यार्थियों में वैज्ञानिक अभिवृत्ति का विकास होगा। एनईपी का उद्देश्य उच्च शिक्षा के संस्थानों में गुणवत्ता के नए मापदंड स्थापित करना है, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप हों।
उन्होंने आगे कहा एनईपी से विदेशी कॉलेजों द्वारा अपने विद्यार्थियों को भेजना आसान हो जाएगा, जिससे दो देशों के बीच शिक्षा के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी और विद्यार्थियों को वैश्विक पटल पर आने का अवसर मिलेगा।
विनोद कुमार, रजिस्ट्रार, आईईसीयू ने कहा हमें एनईपी पर विभिन्न अंशधारकों के बीच विचार विमर्श के सत्र आयोजित करने की खुशी है। कुछ बिंदु व विषय ऐसे हैं, जो अंडरग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम की मौजूदा संरचना के तहत पढ़ाए जाते हैं। उनमें परिवर्तन करने की जरूरत है। ऐसा यूनिवर्सिटी द्वारा दिए जाने वाले सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स कंप्लीशन सर्टिफिकेट के शैक्षणिक व औद्योगिक स्तर बनाए रखने के लिए है, जो एनईपी में प्रस्तावित प्रवेश व निकास के विकल्पों के अनुरूप हो।
कुमार ने आगे कहा इसी प्रकार, एनईपी में विद्यार्थियों को ऐसे कोर्स चुनने का विकल्प भी मिलेगा, जो उनके शैक्षणिक कोर्स के पाठ्यक्रम के दायरे से बाहर हों। यूनिवर्सिटी को आवश्यक परिवर्तन लाने होंगे और आगामी शैक्षणिक सत्र से एनईपी के साथ इसे लागू करना होगा।
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