By 121 News
Chandigarh May 14, 2020:-दुनिया आज कोरोना महामारी की चपेट में है। ओर मेरा देश कोरोना के साथ साथ लाकडाउन व दिशाहीन सरकार की चपेट मे है। लोगों की परेशानी है कि खत्म नही होती, ओर साहब के जुमले हैं कि बढ़ते ही चले जाते हैं। कोरोना से लड़ाई पर नजरें करम, पांच सौ केसों पर लाकडाउन, पांच हजार केसों पे थाली-घंटा, दस हजार दिया-बाती, चालीस हजार पे चौका फूलों की बारिश, पचास हजार पे दारू पार्टी, ओर साठ हजार पे परिवहन शुरू, समझ मे नही आया कि कोरोना से लड़ रहे है या उसके आने की पार्टी कर रहे हैं। विदशों से जहाज भरकर मरीजों को ला सकते हैं लेकिन अपने देश की रीढ़ की हड्डी यानि मजदूरों के लिए न बस, न जहाज, विपक्ष के दबाव में ट्रेन शुरू चलवायी उसका किराया भी लम्बे अर्से से बेरोजगार बैठे गरीब ओर असहाय लोगों से मांग लिया। कांग्रेस द्बारा गरीबो के किराए के ऐलान पर अपनी भद्द पिटती देख राज्य सरकारो पर कुछ हिस्सा डाल अपनी बेशर्मी का जीता जागता सबुत दिया। बीस लाख करोड़ का पैकेज आर्थिक मंदी दूर करने के लिए देने का झुनझुना थमाया लेकिन पता नही पैसा कहां से आएगा। ओर किसको जाएगा। उस पर तुर्रा ये कि 6.94 लाख करोड़ की घोषणा पहले हो चुकी मगर मजाल है किसी को भनक भी लगी हो, 5.94 लाख अब घोषित किए, परन्तु कोई नहीं जानता कि इस से किस को कितना फायदा होगा। बाकी 7.12 लाख घोषित होना है जो भी बट्टे खाते मे जाएगा। दोगलापन तो देखिए 'वसुधैव कुटंब' का नारा लगाने वाले साहब को यकबक देश ओर विदेश नज़र आने लगा है। आत्मनिर्भरता का तथा लोकल का नारा बुलंद कर रहे है, जरा साहब से पूछा जाए कि पहले क्या भारत आत्मनिर्भर नहीं है? अब कौन सी चीज़ को लोकल समझना है और किस को इंटरनेशनल?, जरा इसका खुलासा भी साहब कर दें, तो सहुलियत रहेगी। साहब आत्ममुग्ध ओर आत्मकेंद्रित है। अपनी ही प्रंशसा के बोझ तले दबे जा रहे हैं। जनता जर्नादन से कोई सरोकार नहीं है। ये उस बेलगाम की तरह है जो दिशाहीन गंतव्य की तरफ दौड़ा जा रहा है और राह मे आने वाली कोमल कोपलों को बेदर्दी से कुचलता जा रहा है।
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