By 1 2 1 News Reporter
Chandigarh 05th August:-- महाराजा फरीदकोट की 20,000 करोड़ की कीमत की जायेदाद का अब एक और वारिस निकल आया है. महाराजा फरीदकोट सर हरिंदर सिंह के भाई का परिवार भी अब इस जायेदाद को पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाने को तैयार है। गौरतलब है की अरबो की कीमत की इस जयेदाद को लेकर पहले ही चंडीगढ़ जिला अदालत ने महाराजा की तीनो बेटियों को जायेदाद का वारिस बताया था। जिसके बाद इसके ट्रस्टियो ने इस फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती देने का मन बनाया है। फरीदकोट के पूर्व राजा हरिंदर सिंह की 20 हजार करोड़ रुपये की पुश्तैनी प्रॉपर्टी पर बेटियों का ही हक होगा। जिला अदालत ने अपने फैसले में इसके केयरटेकर मेहरवाल खेवाजी ट्रस्ट को फर्जी बताते हुए बेटियों के हक में निर्णय दिया था। ये फैसला आने के बाद इस जयेदाद को पाने के लिए राजा हरिंदर के भाई के परिवार का कहना है की इस जयेदाद पर केवल उन्ही का हक़ है। राजा हरिंदर सिंह के भाई मंजितिंदर सिंह के पौते अमरिंदर सिंह ने कहा की रियासती क़ानून के मुताबिक राजा की जयेदाद पर हक़ परिवार के बड़े पुरुष सदस्य का होगा और यदि राजा के भाई का परिवार नहीं होता तो राजा की बेटियों को उसकी संपत्ति का वारिस माना जा सकता है। कोर्ट ने इस केस में सिर्फ हिन्दू सक्सेशन एक्ट के आधार पर ही फैसला सुनाया है। वो इस फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती देंगे।
गौरतलब है की 1989 में राजा की मौत के बाद उनकी बेटी ने राजा की वसीयत को अदालत में चुनौती दी थी . वसीयत के तहत सारी चल अचल संपत्ति का वारिस एक ट्रस्ट को बनाया गया था. अदालत में दलील दी गयी की 1982 में राजा के इकलौते बेटे की मौत के बाद वसीयत उस वक्त बनाई गई थी जब राजा खुद डिप्रेशन में थे …उस वक्त राजा के कुछ नौकरों ने एक ट्रस्ट बनाई और चालबाजी से जाली वसीयत उस ट्रस्ट के नाम करवा ली थी . राजा की अथाह संपत्ति में दिल्ली का फरीदकोट हाउस , हरियाणा ,हिमाचल , पंजाब और आंध्र प्रदेश में करोड़ों की संपत्ति और फरीदकोट और चंडीगढ़ में आलिशान महल हैं .
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