Monday, 5 August 2013

हरियाणा के राज्यपाल ने कवयित्री डा0 राकेश सचदेवा के काव्य-संग्रह ‘मन के मोती’ का किया लोकार्पण

By 1 2 1 News Reporter
Chandigarh 05th August:-- हरियाणा के राज्यपाल श्री जगन्नाथ पहाडि़या ने कहा है कि आज के समय में साहित्यकारों की जिम्मेदारी पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। उन्हें आज समाज में प्रेम-प्यार और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए अपनी कलम का उपयोग करना होगा। आज देश जिन परिस्थितियों से गुजर रहा है उनके दृष्टिगत उनका दायित्व पहले से भी अधिक बढ़ गया है। आज साहित्यकारों की कलम से ऐसे कलाम का सृजन होना चाहिए जो साम्प्रदायिक सदभाव, पारस्परिक सौहार्द भाईचारे की भावना को बढ़ावा दे ताकि देष की एकता अखंडता सुदृढ़ हो।  राज्यपाल आज राज भवन में कवयित्री डा0 राकेश सचदेवा के काव्य-संग्रह 'मन के मोती' का लोकार्पण करने के बाद समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।  काव्य-संग्रह के लोकार्पण पर कवयित्री को बधाई देते हुए राज्यपाल ने विश्वास प्रकट किया कि यह पुस्तक साहित्य-जगत में अपनी विषेष पहचान बनाएगी। उन्होंने कहा कि कविता दिल से दिल को जोड़ने वाला भावनाओं का पुल है। यह कवि को मानसिक गुलामी से निकालकर ह्नदय की गहराईयों में ले जाती है और डा0 राकेश सचदेवा की कवितायें इसी गहराई में डूबी हैं। उन्होंने कहा कि कविता ऐसी तपस्या है जिसका सुफल सारे समाज को प्राप्त होता है। काव्य समाज के मार्गदर्शन का काम करता है, इस दृष्टि से डा0 राकेश सचदेवा की कविताएं मानव को एक बेहतर समाज बनाने के लिए प्रकाश स्तम्भ की तरह राह दिखाती हैं। समारोह में बोलते हुए मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव साहित्य अकादमियों के उपाध्यक्ष डा0 कृष्ण कुमार खण्डेलवाल ने कहा कि डा0 राकेश सचदेवा ने अपनी कविताएं सत्य की स्याही में डुबोकर लिखी हैं। जिस भावना से ये कविताएं लिखी गई हैं उनमें तपिश भी है और ठंडक भी है। इनकी कविताएं बेईमानी, भ्रष्टाचार, असत्य और सब सामातिक विषमताओं के खिलाफ बगावत करती हैं। उन्होंने राज्यपाल का धन्यवाद किया कि उन्होंने कला, संस्कृति और साहित्य का निरंतर प्रोत्साहन किया है। इससे पहले इस काव्य-संग्रह पर अपने विचार रखते हुए प्रधान सचिव, विज्ञान एवं तकनीक विभाग, हरियाणा श्रीमती धीरा खण्डेलवाल ने कहा कि डा0 राकेश सचदेवा की कविताओं में आज के समाज की प्रतिछवि दिखलाई पड़ती है। इनकी लेखनी सबके लिए दुआ मांगती है और यह काव्य-संग्रह पुस्तक होकर जीता-जागता मन है। कवयित्री डा0 राकेश सचदेवा ने मुख्य अतिथि और समारोह में शिरकत करने वाले सब महानुभावों का धन्यवाद किया।
 

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