By 121 News
Chandigarh, Nov.05, 2025:-गुरु नानक देव जी का प्रकाशोत्सव पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। इस पावन दिवस को समर्पित एक विशेष समारोह गुरुद्वारा साहिब कलगीधर खेड़ी सेक्टर 20 सी, चंडीगढ़ में आयोजित किया गया, जिसमें श्री दरबार साहिब अमृतसर से रागी जत्थे शामिल हुए। प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में दो दिन पूर्व श्री अखंड पाठ साहिब का आरंभ हुआ, जिसके भोग डाले गए, सुबह से ही नितनेम बाणियाँ और श्री आसा की वार का पाठ किया गया। इसके बाद कथा कीर्तन समारोह शुरू हुआ जिसमें भाई इच्छपाल सिंह जी हजूरी रागी सचखंड श्री दरबार साहिब, भाई शोकिन सिंह जी हजूरी रागी श्री दरबार साहिब, भाई गुरतेग सिंह चंडीगढ़ वाले, महिला सत्संग जत्था गुरुद्वारा कलगीधर खेड़ी सेक्टर 20, भाई नवदीप सिंह जी, भाई दिलबर सिंह जी हजूरी रागी गुरुद्वारा कलगीधर खेड़ी सेक्टर 20 चंडीगढ़ ने कीर्तन में भाग लिया, भाई सतबीर सिंह जी ने कथा और गुरमत चर्चा की। शाम के दीवान में भाई शमनदीप सिंह जी हजूरी रागी श्री दरबार साहिब और भाई दिलबर सिंह जी हजूरी रागी गुरुद्वारा कलगीधर खेड़ी सेक्टर 20 चंडीगढ़ ने शिरकत की। पूरे आयोजन के दौरान गुरु का संपूर्ण लंगर बरताया गया। कॉफी, चाय, देसी घी में बने लड्डू, पनीर पकौड़े, दाल मखनी, चावल, मटर पनीर, बादाम की खीर और प्रशाद परोसे गए। इस पूरे आयोजन के दौरान गुरुद्वारा साहिब प्रबंधक कमेटी के मुख्य सेवादार गुरिंदर बीर सिंह, सचिव हुकम सिंह, मोहिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, हरमीत सिंह, हरविंदर सिंह, सुखजिंदर सिंह, जगदीश सिंह, निरंजन सिंह, प्रितपाल सिंह व अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। मुख्य सेवादार गुरिंदर बीर सिंह ने कहा कि गुरु नानक साहिब के पवित्र शब्द पूरी मानवता को एक ईश्वर से जोड़ते हैं और समाज के आंतरिक संघर्षों, झूठे बंधनों और भेदभावों को खत्म करके पूरी मानवता को एक सूत्र में पिरोते हैं और उसे परमपिता परमेश्वर की भक्ति की ओर जोड़ते हैं। उन्होंने अपनी बाणी में जहां परमपिता परमेश्वर की भक्ति का वर्णन किया है, वहीं उन्होंने जातिवाद, चुगली, धार्मिक पाखंड जैसी सामाजिक बुराइयों का भी विरोध किया है। गुरु साहिब ने उस समय कहा था कि जिस स्त्री से बड़े-बड़े राजा-महाराजा पैदा होते हैं, उसे तुम बुरा क्यों कहते हो? "तो जब वह राजा पैदा हुई है तो उसे बुरा क्यों कहते हो?" गुरु साहिब ने न केवल सामाजिक बुराइयों का विरोध किया, बल्कि उन्होंने अपने समकालीन राजा बाबर का भी विरोध किया, जिसने भारत को नष्ट किया और निर्दोष लोगों का नरसंहार किया। उनकी बाणी, जिसे बाबर की बाणी भी कहा जाता है, आज भी उस समय की सजीव तस्वीर पेश करती है। गुरु साहिब ने न केवल सामाजिक बुराइयों का विरोध किया, बल्कि उन्होंने अपने समकालीन राजा बाबर का भी विरोध किया, जिसने भारत को नष्ट कर दिया और निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया। उनकी बाणी, जिसे बाबर बाणी भी कहा जाता है, आज भी उस समय की सजीव तस्वीर पेश करती है। उन्होंने कहा कि केवल गुरु साहिब की बाणी ही आज दुनिया में हो रहे सभी प्रकार के संघर्षों और टकरावों को समाप्त कर सकती है। गुरु साहिब के आगमन पर पूरी साध संगत को बधाई दी गई और गुरु साहिब का धन्यवाद किया गया, जिनके आशीर्वाद से ये सभी कार्य पूरे हुए। इन सभी आयोजनों में गुरु के अटूट लंगर, कॉफी के पकौड़े, देसी घी के लड्डू और गुरु के अटूट लंगर की सेवा की गई। गुरु घर को सुंदर ढंग से रोशन किया गया था और दीवान हॉल को विशेष फूलों से सजाया गया था।
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