Monday, 6 October 2025

एडीसी फिरोजपुर की लापरवाही- मिलीभगत से पंचायत समिति से करोड़ों रुपये के गबन का मामला प्रकाश में आया

By 121 News
Mohali, Oct.06, 2025:-सामाजिक कार्यकर्ता एवं सेवानिवृत्त पंचायत सचिव सुखपाल सिंह गिल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पत्रकारों को बताया कि पंचायत समिति फिरोजपुर में 1,80,87,591 रुपये का गबन हुआ है। यह गबन उस समय जिला फिरोजपुर में तैनात अतिरिक्त उपायुक्त (ग्रामीण विकास एवं पंचायत) अरुण शर्मा की लापरवाही ध्मिलीभगत के कारण हुआ। इस मामले की जाँच के लिए विभाग ने दो अधिकारियों, संभागीय उप निदेशक ग्रामीण विकास एवं पंचायत जालंधर और जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी बठिंडा की एक जाँच समिति गठित की। जांच कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट अपने कार्यालय से पत्र एस ए1/2024/4383 दिनांक 10/12/2024 के माध्यम से माननीय अतिरिक्त सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग, पंजाब सरकार को भेजी थी। जांच के दौरान एनआईसी दिल्ली से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में इस्तेमाल किए गए डोंगलों और चेकर का इस्तेमाल बीडीपीओ किरणदीप कौर और चेयरपर्सन जसविंदर कौर के बजाय किरणदीप कौर, सरपंच, ग्राम पंचायत, कॉलम वाला-324 और श्रीमती जसविंदर कौर, सरपंच, ग्राम पंचायत, बस्ती भाने वाली के नाम पर किया गया था और इस्तेमाल किए गए डोंगलों को अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (आरडी) कार्यालय, फिरोजपुर द्वारा अनुमोदित किया गया है। एनआईसी दिल्ली से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, ये डोंगल 01.05.2024 को अनुमोदित किए गए थे। जबकि 01.05.2024 को मजदूर दिवस की सरकारी छुट्टी थी और किरणदीप कौर ने 31.01.2024 को बीडीपीओ का कार्यभार छोड़ दिया था। अतिरिक्त उपायुक्त (आरडी) फिरोजपुर (जिला परिषद) की ई-ग्राम स्वराज पर बनाई गई आईडी पर श्रीमती जसप्रीत कौर डाटा एंट्री ऑपरेटर 87250-31339 का मोबाइल नंबर दर्ज है। लेकिन उस समय, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, फिरोजपुर ने किरणदीप कौर बीडीपीओ, जसविंदर कौर अध्यक्ष पंचायत समिति फिरोजपुर, मनजिंदर सिंह डाटा एंट्री ऑपरेटर, रेखा देवी डाटा एंट्री ऑपरेटर, शुभदीपक बजाज डाटा एंट्री ऑपरेटर, जसप्रीत कौर जिला परिषद फिरोजपुर डाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ पुलिस स्टेशन सिटी फिरोजपुर में एफआईआर संख्या 434/2024 दर्ज कराई थी। लेकिन दुर्भाग्य से, अरुण शर्मा, जिन्होंने अपने कार्यालय से छुट्टी के दिन दो फर्जी डोंगलों को मंजूरी दी थी, का नाम इस एफआईआर में कहीं भी दर्ज नहीं है।
जांच अधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि जांच के दौरान संबंधित सभी कर्मचारियों के बयान लिए गए और सभी से पूछताछ की गई, लेकिन किसी भी कर्मचारी ने मौके पर स्थिति स्पष्ट नहीं की, बल्कि मामले को उलझाने की कोशिश की गई। यह भी स्पष्ट है कि इस गबन में ई-पंचायत कर्मचारियों की भूमिका भी समान है क्योंकि किरणदीप कौर सरपंच और जसविंदर कौर सरपंच के नाम से पहचान पत्र बनाए गए थे और उनकी पहचान पत्र का इस्तेमाल फर्जी पहचान पत्रों के रूप में किया गया है और इन दोनों फर्जी पहचान पत्रों को डोंगला अतिरिक्त उपायुक्त (आरडी) फिरोजपुर के कार्यालय द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिससे भी मिलीभगत साबित होती है। इसलिए, अंत में, समिति ने एक बार फिर सिफारिश की कि उक्त मामले की जांच तुरंत पुलिस विभाग को सौंपी जाए।
सुखपाल सिंह गिल ने कहा कि यह संभव है कि कहीं न कहीं अरुण शर्मा ने अपने अधिकारध्शक्ति के अवैध प्रयोग के कारण अपराधी होते हुए भी खुद को बचाने के लिए अपना नाम एफआईआर में शामिल नहीं होने दिया। जबकि जाँच समिति की जाँच रिपोर्ट का मूल पाठ ष्इन दोनों फर्जी दस्तावेजों को अतिरिक्त उपायुक्त (ग्रामीण विकास) फिरोजपुर के कार्यालय द्वारा अनुमोदित किया जाना भी मिलीभगत साबित करता हैष् सीधे तौर पर इंगित करता है कि पंचायत समिति फिरोजपुर से 1,80,87,591- रुपये के गबन में अरुण शर्मा मुख्य आरोपित है।
सुखपाल सिंह गिल ने पंजाब के मुख्यमंत्री और पंचायत मंत्री तरनप्रीत सिंह सौध से माँग की है कि हाल ही में ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के उप निदेशक के पद पर तैनात अतिरिक्त उपायुक्त (ग्रामीण विकास) फिरोजपुर अरुण शर्मा को उनके उच्च पद से तुरंत निलंबित किया जाए और उनके विरुद्ध सतर्कता विभाग या प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यह मामला न केवल एक वित्तीय घोटाला है, बल्कि इससे पूरी डिजिटल प्रणाली की सुरक्षा और पारदर्शिता पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया है।

वहीं जब इस मामले में एडीसी अरुण शर्मा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने इस मामले में एक जांच भी दर्ज करवाई है, विभाग जाँच कर रहा है और इस मामले में विजिलेंस जाँच भी चल रही है और सेवानिवृत्त पंचायत सचिव सुखपाल सिंह मेरे खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं।

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