Wednesday, 16 July 2025

लुधियाना में पंचायतों द्वारा 1 अरब 20 करोड़ का घोटाला, कई बीडीपीओ शामिल

By 121 News
Mohali, July 16, 2025:-पंजाब के जिला लुधियाना अधीन पड़ने वाले ब्लॉक लुधियाना- 2 के छह गांवों में बीडीपीओ, पंचायत सचिव और सरपंचों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये के गबन का एक बड़ा मामला सामने आया है।

आज यहां मोहाली प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस दौरान सुखपाल सिंह गिल और साथियों ने कहा कि एक ओर तो पंजाब सरकार प्रदेश में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की कोशिशें नहीं थकती, लेकिन दूसरी ओर प्रदेश के अंदर भ्रष्टाचार शिखरों पर है। ऐसा ही एक मामला ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग पंजाब में सामने आया है। जिसमें शामलात सेल के इंचार्ज सेवामुक्त जॉइंट डायरेक्टर जगविंदर सिंह संधू की पड़ताल रिपोर्ट में खुलासा करते हुए लुधियाना जिले के 6 गांवों की ग्राम पंचायतों सलेमपुर, सेखेवाल, सेलकीआना, बोकड़ गुजरा, कड़ियाना खुर्द और धननसू को प्राप्त अवार्ड मनी में करोड़ों रुपये का बड़ा घोटाला करने की बात कही गई है। रिपोर्ट में प्राप्त हुई अवार्ड मनी में से करीब 120.87 करोड़ रुपये का गबन होने के बावजूद संबंधित कर्मचारियों द्वारा कई ग्राम पंचायतों का रिकॉर्ड न तो नई बनी हुई ग्राम पंचायतों को चार्ज में दिया गया और न ही विभाग के पास जमा कराया गया। बल्कि दोषियों द्वारा संबंधित रिकॉर्ड जानबूझकर खुरद-बुर्द किया गया है।

सुखपाल सिंह गिल ने बताया कि उनकी तरफ से तरनवीर सिंह सौंध, कैबिनेट मंत्री ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग पंजाब और उच्च अधिकारियों को इस बड़े घोटाले संबंधी तारीख 14.3.2025 और 16.6.2025 को वाट्सऐप, ईमेल और रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से दरख्वास्तें भेजी गई, पर अफसोस मंत्री तरनवीर सिंह सौंध और विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा इस बहु-करोड़ गबन में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। श्री संधू की रिपोर्ट के मुताबिक न ही संबंधित अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा बिना सरकारी मंजूरी के 26 करोड़ 56 लाख रुपये की बड़ी राशि की वसूली संबंधी कोई कार्रवाई की गई और न ही दोषी कर्मचारियों से रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए, उनके विरुद्ध विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा कोई आदेश जारी किया गया। इस से स्पष्ट है कि श्री तरनवीर सिंह सौंध और विभाग के उच्च अधिकारी दोषियों को बचाना चाहते हैं।

इसके अलावा इस केस में दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीटें जारी करके उनकी नियमित जांच रमेश चंद्र नायर आई.ए.एस (सेवा मुक्त) द्वारा पास लगाई गई थी।  नायर ने दिनांक 26/03/2024 से लेकर दिनांक 26/06/2025 तक न तो दोषियों से और न ही विभाग की तरफ से 120 करोड़ 87 लाख रुपये के गबन से संबंधित रिकॉर्ड वसूल किया। उल्टे जांच के नाम पर तकरीबन 15 महीने इस जांच को अपने पास पेंडिंग रखा। जिससे साफ जाहिर है कि जांच अधिकारी  रमेश चंद्र नायर द्वारा भी गबन से संबंधित रिकॉर्ड न वसूलना और 15 महीने जांच को पेंडिंग रखना सीधे तौर पर दोषियों को बचाने की कथित कोशिश की गई है। सुखपाल गिल ने इस संबंध में रमेश चंद्र नायर से पूछा कि उन्होंने मीडिया के सामने बताने के लिए कि उन्होंने संबंधित दोषियों या विभाग में गबन से संबंधित रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए अपने द्वारा ग्राम पंचायतों को कितने नोटिस जारी किए गए? उन्होंने रिकॉर्डों की जांच के बाद 15 महीने तक अपनी जांच रिपोर्ट विभाग को क्यों नहीं सौंपी?

इस मामले में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि रमेश चंद्र नायर आई.ए.एस (सेवानिवृत्त) द्वारा चल रही जांच संबंधी विभाग के वित्त आयुक्त  दिलराज सिंह द्वारा दिनांक 02/02/2025 को एक पत्र जारी कर इस जांच को रोकने और लंबित करने का आदेश जारी किया गया, जो यह दर्शाता है कि दोषियों को इस बहु-करोड़ घोटाले के मामले से बचाने की कोशिश की गई है। इस संदर्भ में पंचायत मंत्री साहिब को इस मामले की जांच फिर से शुरू कराने की विनती की गई और उन्होंने यह जांच फिर से शुरू करवा दी।

आखिर में सुखपाल सिंह गिल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान से ब्लॉक लुधियाना-2 की 6 ग्राम पंचायतों में किए गए लगभग 120.87 करोड़ रुपये के घोटाले के दोषियों से अपना निजी हस्तक्षेप करके उपरोक्त राशि और ग्राम पंचायतों के गुम/खुरद-बुर्द किए गए रिकॉर्ड वसूली जाने और इस मामले की जांच ईडी से करवाने की मांग की। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री से विनती की कि जिस तरह पंजाब सरकार द्वारा नशों के खिलाफ मुहिम शुरू की गई है, उसी तर्ज पर राज्य में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मुहिम शुरू की जाए और इसकी शुरुआत ब्लॉक लुधियाना-2 से की जाए।

जब इस मामले संबंधी ग्रामीण विकास और पंचायती विभाग पंजाब के वित्तीय कमिश्नर अजीत वाला से फोन पर बात की, तो उन्होंने कहा कि इस मामले में यदि कोई गबन हुआ है, इस कारण कार्रवाई की गई है। उन्होंने और कोई जानकारी देने से इनकार किया। इसके अलावा जब डीडीपीओ लुधियाना नवदीप कौर से फोन पर बात की गई, तो उन्होंने बताया कि इस मामले में 4 बीडीपीओ और 6 पंचायत सचिव शामिल हैं जबकि 3 बीडीपीओ को सस्पेंड कर दिया गया है।

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