Wednesday, 25 June 2025

आपातकाल की याद के बहाने लोकतंत्र पर दोबारा हमला हो रहा है:  क्या माननीय गुलाब चंद कटारिया प्रशासक हैं या भाजपा पदाधिकारी?

By 121 News
Chandigarh, June 25, 2025:-आम आदमी पार्टी के मीडिया प्रभारी विक्रांत ए. तंवर ने भाजपा के कार्यक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा प्रवक्ता नरेश अरोड़ा पर निशाना साधा और कहा कि 25 जून को भाजपा द्वारा आयोजित "आपातकाल स्मृति कार्यक्रम" लोकतंत्र की रक्षा से अधिक राजनीतिक प्रचार का माध्यम बन गया। भाजपा प्रवक्ता का यह आरोप कि पार्षदों ने विरोध किया, सरासर भ्रामक है। सवाल कार्यक्रम का नहीं, बल्कि उस दोहरे मापदंड का है, जो एक ओर आपातकाल को कोसते हैं और दूसरी ओर आज लोकतंत्र को चुपचाप कुचल रहे हैं।

आज मीडिया का मुंह बंद है, रेडियो-टीवी पर सिर्फ सरकारी प्रोपगेंडा चलता है। आलोचकों पर फर्जी केस, CBI और ED की रेड, और 11 सालों में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं — क्या यही लोकतंत्र है? संविधानिक संस्थाएं निष्प्रभावी हैं और सारा तंत्र एक व्यक्ति की मर्ज़ी पर चल रहा है। फर्क इतना है कि अब जेलों पर नहीं, विचारों पर ताले लगे हैं।
 
 विजयपाल सिंह, आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के प्रधान ने कहा कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माननीय गुलाब चंद कटारिया को क्यों बनाया गया — क्या वे चंडीगढ़ के प्रशासक हैं या भाजपा के पदाधिकारी? एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का राजनीतिक मंच पर व्यवहार यदि पक्षपातपूर्ण दिखाई दे, तो यह प्रशासन की निष्पक्षता, समभाव और उसकी साख पर गहरा संदेह उत्पन्न करता है। चंडीगढ़ की जनता यह प्रश्न उठाने को विवश है कि क्या प्रशासक का दायित्व सभी नागरिकों के प्रति समान होना चाहिए या सिर्फ सत्ताधारी दल के प्रति निष्ठावान? यदि लोकतंत्र को सच्चे मन से श्रद्धांजलि देनी होती, तो किसी शहीद की विधवा या आपातकाल के प्रताड़ित पीड़ित को मुख्य अतिथि बनाया जाता — न कि किसी सक्रिय राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को।

चंडीगढ़ नगर निगम में कैमरों के सामने वोट फाड़े गए, मेयर चुनाव लूटा गया, और "शो ऑफ हैंड्स" जैसी पारदर्शी प्रक्रिया का विरोध किया गया — क्या यह भी लोकतंत्र की हत्या नहीं थी?

आम आदमी पार्टी का मानना है कि लोकतंत्र किसी विशेष दिन की बात नहीं, बल्कि हर दिन का जमीनी संघर्ष है। हम हर उस सत्ता के खिलाफ खड़े रहेंगे जो संविधान का मुखौटा पहनकर जनादेश को कुचलती है।

जो आज इमरजेंसी पर आंसू बहा रहे हैं,
वही कल कैमरों के सामने लोकतंत्र को नोचते नज़र आए थे।

No comments:

Post a Comment