By 121 News
Panchkula, Jan.27, 2025:- महिलाओं में बढ़ती थायरॉइड समस्या उनके कारण, लक्षण और बचाव सम्बन्धी जागरूक करने के लिए आयोजित एक सेमिनार में पारस हेल्थ के सीनियर कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डा. गौरव पालिखे ने बताया कि थायरॉइड विकार से बचने के लिए नियमित मेडिकल चेकअप जरूरी है। खासकर 35 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को और जिनके परिवार में यह समस्या रही हो। खून की जांच, टेस्ट, समय पर निदान में सहायक हो सकती हैं।
डा. गौरव ने बताया कि थायरॉइड, जो गर्दन में मौजूद एक छोटी ग्रंथि है, हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म और ऊर्जा संतुलन को नियंत्रित करती है। हालांकि यह समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन महिलाओं में थायरॉइड विकार का खतरा पुरुषों की तुलना में 10 गुना अधिक होता है। उन्होंने बताया कि इसके पीछे मुख्य कारण महिलाओं के हार्मोनल बदलाव हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का उतार-चढ़ाव, खासकर गर्भावस्था, प्रसव और मेनोपॉज के दौरान, थायरॉइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली को सीधे प्रभावित करता है। इसके अलावा, आनुवंशिकी भी एक अहम भूमिका निभाती है। जिन महिलाओं के परिवार में थायरॉइड की समस्या रही है, उनमें इसका खतरा अधिक होता है।
डा. गौरव ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को थायरॉइड हार्मोन के स्तर की नियमित जांच करानी चाहिए। असंतुलित थायरॉइड हार्मोन से मां और बच्चे दोनों को जटिलताएं हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि थायरॉइड विकार के लक्षण अक्सर सामान्य जीवन के हिस्से जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनमें अचानक वजन बढ़ना या घटना, थकान, बालों का झड़ना, मूड स्विंग और मासिक धर्म में अनियमितता शामिल हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
डा. गौरव ने बताया कि स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन थायरॉइड विकारों को रोकने में मदद कर सकते हैं। गंभीर मामलों में दवा या सर्जरी से इलाज संभव है। सही समय पर निदान और इलाज से जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
डा. गौरव ने बताया कि थायरॉइड, जो गर्दन में मौजूद एक छोटी ग्रंथि है, हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म और ऊर्जा संतुलन को नियंत्रित करती है। हालांकि यह समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन महिलाओं में थायरॉइड विकार का खतरा पुरुषों की तुलना में 10 गुना अधिक होता है। उन्होंने बताया कि इसके पीछे मुख्य कारण महिलाओं के हार्मोनल बदलाव हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का उतार-चढ़ाव, खासकर गर्भावस्था, प्रसव और मेनोपॉज के दौरान, थायरॉइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली को सीधे प्रभावित करता है। इसके अलावा, आनुवंशिकी भी एक अहम भूमिका निभाती है। जिन महिलाओं के परिवार में थायरॉइड की समस्या रही है, उनमें इसका खतरा अधिक होता है।
डा. गौरव ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को थायरॉइड हार्मोन के स्तर की नियमित जांच करानी चाहिए। असंतुलित थायरॉइड हार्मोन से मां और बच्चे दोनों को जटिलताएं हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि थायरॉइड विकार के लक्षण अक्सर सामान्य जीवन के हिस्से जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनमें अचानक वजन बढ़ना या घटना, थकान, बालों का झड़ना, मूड स्विंग और मासिक धर्म में अनियमितता शामिल हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
डा. गौरव ने बताया कि स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन थायरॉइड विकारों को रोकने में मदद कर सकते हैं। गंभीर मामलों में दवा या सर्जरी से इलाज संभव है। सही समय पर निदान और इलाज से जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
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