By 121 News
Chandigarh, Sept.27, 2024:- तिब्बती युवा कांग्रेस द्वारा 24 सितंबर से 1 अक्टूबर 2024 तक देकिलिंग, देहरादून से शुरू होकर चंडीगढ़ के माध्यम से दिल्ली तक जाने वाली एक साइकिल रैली का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में तिब्बती युवा कांग्रेस के उत्तर भारत के चैप्टर से 50 से अधिक स्वयंसेवक भाग लें रहे हैं। जोकि 1 अक्टूबर 2024 को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की 75वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाता है।
इस रैली का प्रमुख उद्देश्य तिब्बत में चीनी कम्युनिस्ट शासन द्वारा की जा रही अत्याचारों को उजागर करना और इसके अवैध शासन का विरोध करना है जो कि पिछले छह दशकों से जारी है। हमारा लक्ष्य तिब्बत में चल रहे सांस्कृतिक जनसंहार के प्रति अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना है जहां चीन तिब्बती संस्कृति और पहचान को व्यवस्थित रूप से समाप्त करने के लिए कड़े नीतियों को लागू कर रहा है। इन नीतियों में तिब्बती बच्चों को उपनिवेशी शैली के बोर्डिंग स्कूलों में मजबूर करना और तिब्बती संस्कृति से संबंधित पाठ्यक्रम गतिविधियों में रोकथाम करना और तिब्बती भाषा को संरक्षित करने वाले शिक्षकों और व्यक्तियों को जेल में डालना इत्यादि। इस के साथ तिब्बती स्कूलों और मठों को बलात बंद कर रहे है जो लंबे समय से तिब्बती संस्कृति, भाषा और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
हाल के रिपोर्टों के अनुसार किती मठ और अमदो के पारंपरिक क्षेत्र (अब सिचुआन प्रांत में शामिल) के ड्जोगे प्रदेश में दो अन्य मठों के लगभग 1,700 युवा भिक्षुओं को बिना उनकी और उनके माता-पिता की सहमति के मठी जीवन से बलात हटा कर सरकारी, उपनिवेशी शैली के बोर्डिंग स्कूलों में दाखिल कराया गया है। उनके अधिकारों और स्वतंत्रताओं का यह भयानक उल्लंघन चीनी सरकार के तिब्बती संस्कृति और पहचान को दबाने के प्रयासों की एक स्पष्ट याद दिलाता है।
हाल ही में चीनी सरकार द्वारा तिब्बती स्कूलों को बंद कर दिया है जिसमें राग्या शेरिग नोरबु संस्थान भी शामिल हैं। इन सांस्कृतिक जनसंहार अभियानों के खिलाफ हमारी इस साइकिल रैली के माध्यम से चीनी सरकार द्वारा अपनाए गए दमनकारी नीतियों को बंद करने की मांग करती है और अंतराष्ट्रीय समुदाय से तिब्बतियों को उनकी अद्वितीय संस्कृति को संरक्षित करने में समर्थन देने की अपील करती है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहते हैं कि वह चीन पर दबाव डाले कि वह तिब्बत में अपने जनसंहार की नीतियों को समाप्त करे।
तिब्बत के अवैध अधिग्रहण के बाद चीनी कम्युनिस्ट सरकार ने विकास परियोजनाओं के बहाने तिब्बत के समृद्ध खनिज संसाधनों का दोहन किया है जो ऐतिहासिक स्थानों और मठों के अस्तित्व को खतरे में डाल रहा है। तिब्बत में ड्रीचु और अन्य नदियों पर बांध परियोजनाएँ तिब्बतियों और नीचे के देशों की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डालेंगी। चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों द्वारा प्रेरित सीमा क्षेत्रों में की गइ विकास से पड़ोसी देशों के लिए भी प्रत्यक्ष परिणाम लाएगा। इसलिए हम भारत सरकार से भी आग्रह करते हैं कि वह चीन के रणनीतिक विकास अभियानों के प्रति सतर्क और सावधान रहे जो क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं।
रैली के पश्चात हम दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और अन्य संबंधित निकायों को एक याचिका प्रस्तुत करेंगे जिसमें तिब्बत की गंभीर स्थिति को संबोधित करने के लिए उनके समर्थन और हस्तक्षेप की मांग की जाएगी।
लक्ष्य और उद्देश्य:
1.मांग करें कि चीनी कम्युनिस्ट शासन तुरंत तिब्बत में अपने सांस्कृतिक जनसंहार को रोक दे।
2.अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करें कि वह तिब्बत में मानवता के खिलाफ किए गए अत्याचारों के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने के लिए तुरंत कार्रवाई करें।
3.भारत सरकार और लोगों से अपील करें कि वे तिब्बत की स्वतंत्रता का समर्थन करें और यह मानते हुए कि एक मुक्त तिब्बत ही भारत कि क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता और शांति के लिए आवश्यक है।
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