By 121 News
Chandigarh, Feb.23, 2024:-
चंडीगढ़ महिला कांग्रेस द्वारा आज प्रेस वार्ता की गई जिसका संबोधन महिला कांग्रेस की अध्यक्षा दीपा दुबे ने किया उनके साथ सरोज शर्मा, ममता राणा, ज्योति हंस, ममता राय भी प्रेस वार्ता में मौजूद थी।
नरेंद्र मोदी सरकार की विपरीत नीतियों के करण "बढ़ती महंगाई" क साया भारतीय घरों पर बहुत गहरा हुआ है। महंगाई का सबसे अधिक असर ग्रहणियों पर पड़ा है। यह अनसुनी नायकों, जो परिवार, वृत्तीय और कल्याण के बीच संतुलन बनती है। लगातार बढ़ती कीमतों के तूफान में जूझ रही है, आज की प्रेस वार्ता ग्रहणियों के दुख और उनकी पीड़ा के सत्य की जीवनी को बयां कर रही है।
उन्होंने कहा कि मूल्य वृद्धि की तो रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाला सब्जियां में मुख्य रहने वाला टमाटर जिसकी कीमत आज के समय में दुगनी हो चुकी है पहले वह ₹40 किलो मिलता था लेकिन अब ₹70 तक है प्याज की कीमतें भी आसमान छू रहे हैं जो प्याज ₹20 किलो मिलता था वह आज ₹35 तक पहुंच चुका है। यहां तक आलू की कीमत भी ₹15 किलो होती थी उससे बढ़कर ₹25 किलो हो गई है लहसुन और अदरक का तो रेट400 करीब पहुंच चुका है ।
उन्होंने कहा कि बात करें एलपीजी सिलेंडरों की तो पिछले सालों में सिलेंडर की कीमत बढ़ती रही आज 1050 रुपए तक पहुंच गई है। यह कीमत परिवारों के वित्तीय बजट पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालती है जिससे गैस के उपयोग करने पर परिवारों को कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ता है जिससे स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रभावित होती है।
उन्होंने कहा कि बात अगर दालों की करें दाल प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इनकी कीमतों में भी तेजी वृद्धि देखी गई है। मूंग दाल जो कि लोकप्रिय विकल्प है इसकी कीमत 70 रुपए से बढ़कर ₹90 तक हो गई है अरहर दाल जोक क्षेत्रीय व्यंजनों का महत्वपूर्ण हिस्सा है उसकी कीमत 130 से बढ़कर 160 तक पहुंच गई है।बात करें सरसों के तेल की पहले यही तेल 120 में मिल जाता था लेकिन कुछ सालों से इसका रेट 200 के करीब पहुंच गया है रसोई की एक जरूरत है तेल लेकिन उसके रेट भी आसमान छू रहे हैं।
दुबे ने कहा कि कठोर वास्तविकता मे भी पिछले सालों में बहुत बढोतरी हुई है जिसके कारण भी वित्तीय बजट एक घर का हिल रहा है। जिससे ग्रहणियों का बजट बहुत संकुचित हो गया है।
मुश्किल विकल्प महिलाओं को रोजमर्रा की जिंदगी में कई विकल्पों का सामना करना पड़ता है वह खुद के जीवन को त्याग करना अपने परिवार के लिए भोजन, स्वास्थ्य सेवा शिक्षा की गुणवत्ता और मात्रा को कम करना।हम ग्रहणियों के मौन संघर्षों से आंखें नहीं चुरा सकते। आज उनकी दुर्दशा पर मॉम धारण किया प्रधानमंत्री पिछले 10 सालों में मुद्रा स्फीती को नियंत्रण करने के लिए प्रभावी उपाय लागू करने में विफल साबित हुए हैं, केंद्र सरकार आवश्यक वस्तु पर सब्सिडी या मूल्य नियंत्रित करने
की जगह बड़े उद्योगपतियों का 10 लाख करोड़ पिछले 10 साल में"बैंक लोन - राइट ऑफ़" के माध्यम से माफ़ कर चुकी है। ग्रहणी पर "बढ़ती महंगाई" का बोझ: लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
अंत में दीपा दुबे ने कहा कि अगर कोई महिलाओं की पीड़ा को समझ रहा है तो वह सिर्फ भारत छोड़ो न्याय यात्रा करने वाले हमारे नेता राहुल गांधी है जो नीति - संचालित राजनीति के माध्यम से आम जान की तकलीफों को हल करने का मार्गदर्शन कर रहे हैं। आज देश भाजपा के मुद्दों से भटकने वाली राजनीति के खिलाफ देश का हर एक नागरिक एक जुट होकर लड़ाई लड़ रहा है।
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