Thursday 29 June 2023

भावों का अहिंसा रूप हो हो जाना ही धर्म और धन की उन्नति है: आचार्य सुबल सागर जी महाराज

By 121 News
Chandigarh, June 29, 2023:-चंडीगढ़ सेक्टर 27 दिगंबर जैन मंदिर में अष्टाह्निका महापर्व पर आचार्य सुबल सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन के अंतर्गत आज चौथे दिन आज धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा हे प्रिय बंधुओं धर्म -क्या है ? यह प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के अंदर होना चाहिए संसार में भिन्न-भिन्न मान्यताएं धर्म के प्रति! कोई कहता है पूजा करना धर्म है !कोई कहता है दान देना धर्म है या अपने परिवार में माता-पिता की सेवा करना धर्म है या अपनी पत्नी बच्चों का पालन- पोषण करना धर्म है आखिर मैं धर्म है क्या है! जैन धर्म के अनुसार अहिंसा परमो धर्म: है! अर्थात अहिंसा ही धर्म है निश्चय नय से यह मनुष्य जो कुछ भी कर रहा है वह हिंसा है और कुछ नहीं करना ही अहिंसा है! 
जीव का स्वभाव ज्ञान और दर्शन है जानने और देखने में हिंसा नहीं होती इसके बाद कुछ करने का विचार ही हिंसा है! 
अगर कोई पर जीव को मार रहा है तो क्या यह धर्म है ? धर्म तो पीड़ा /दर्द को दूर करने वाला होता है दया ही धर्म है ! सबका कल्याण हो सब जीव सुखी हो सबका भला हो, कोई दुखी ना हो, सबके के प्रति दया वृत्ति के भाव होना ही धर्म है! 
भारत की भूमि अहिंसा प्रधान भूमि हे हमारी अहिंसा भारत देश से बाहर विदेशों देशों कैसे फेले सके इसका प्रयास करना, चाहिए! महात्मा गांधी जी ने एकमात्र अहिंसा के माध्यम से ही देश को आजाद कराया था धन का बढ़ना ही उन्नति नहीं है। परिणामों /भावों का अहिंसा रूप हो हो जाना ही धर्म और धन की उन्नति है। यह जानकारी श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी।

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