Saturday, 4 March 2023

संस्कार की मोहर जीवन के सिक्के को बहुमूल्य बना देती है: प्रज्ञांशसागर

By 121 News
Chandigarh, Mar.04, 2023:-श्री दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर 27 में चल रहे सिद्धचक्र महामण्डल विधान के शुभ अवसर पर
परम पूज्य श्रमण अनगाराचार्य श्री विनिश्चयसागर जी गुरुदेव के शिष्य परम पूज्य जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी गुरुदेव ने कहा कि संस्कार की मोहर जीवन के सिक्के को बहुमूल्य बना देती है। जिस प्रकार मोहर रहित सिक्का चल नहीं सकता, उसी प्रकार संस्कार हीन बालक समाज में आदर नहीं पा सकता। बच्चे पान के कोमल पत्ते के समान होते हैं पान सूखने के बाद मुडता नहीं है उसी तरह बालकों पर अल्पवय में ही अच्छे संस्कार डाले जा सकते हैं बाद में नहीं। पोलियो की दवा बचपन में पिलाओ तो काम करती है, पचपन में नहीं। व्यक्ति के जीवन में संस्कार का बहुत बड़ा महत्त्व है पानी की एक बूंद यदि सर्प के मुंह में चली जाती है तो विष बन जाती है, केले के पत्ते में जाती है तो कपूर बन जाती है, नीम के वृक्ष में जाती है तो कड़वाहट को प्राप्त कर लेती है, अंगूर की लता में जाती है तो मीठा रस बन जाती है। अच्छे संस्कार देने से आपका बच्चा डॉक्टर बन सकता है। यदि बच्चे पर ध्यान ना दिया जाए तो वहीं बच्चा निकम्मा बन सकता है। संस्कार व्यक्ति के जीवन भर साथ चलते हैं  क्षुल्लक श्री ने कहा जिस प्रकार सुबह मंजन जरूरी है, दोपहर में भोजन जरूरी है, शाम में दूरदर्शन जरूरी है, रात में साइन जरूरी है; ठीक इसी तरह जीवन में भगवान का भजन भी जरूरी है। अपने प्राणों का बलिदान देना ही आत्महत्या नहीं है बल्कि जीवन में सब तरह से अनुकूलता हो तब भी आप प्रभु का स्मरण नहीं करते भजन-पूजन नहीं करते तो यह भी आत्महत्या है। प्यारे! आत्महत्यारे मत बनो। अपना उद्धार करो क्योंकि तुम्हारे बिना और किसी को तुम्हारी चिन्ता नहीं है। 
आज विधान के छठवें दिन प्रातःकाल की प्रत्यूष बेला में परम पूज्य गुरुदेव जी के मुखारविन्द से 48 रिद्धि मन्त्रों के माध्यम से महा शान्तिधारा सम्पन्न हुई जिसको सुनकर सभी श्रद्धालुओं ने धर्म लाभ लिया। बाल ब्रहमचारी पुष्पेन्द्र शास्त्री दिल्ली के निर्देशन में सिद्धचक्र महामण्डल विधान में आज 258 अर्घ चढ़ा कर भक्तों ने भगवान् की अर्चना की।

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