Friday, 2 September 2022

चंडीगढ़ और जीरकपुर 13वें लाईव एंड कैडेवरिक स्पाईन इंडोस्कोपिक कोर्स 2022 की करेंगें मेजबानी

By 121 News
Chandigarh Sept.02, 2022:- मेडिकल जगत के प्रतिष्ठित आयोजन - 13वों लाईव एंड कैडवेरिक स्पाईन इंडोस्कोपिक कोर्स 2022 का आयोजन वर्ल्ड इंडोस्कोपिक स्पाईन सर्जरी सोसाईटी के तत्वाधान में जीरकपुर स्थित ट्रिनिटी होस्पिटल और चंडीगढ़ सेक्टर 32 स्थित गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज एंड होस्पिटल तीन और चार सितंबर को करेगा। जीएमसीएच - 32 और ट्रिनिटी एज्यूकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन इस दो दिवसीय में ऐकेडमिक पार्टनर हैं जिसमें देश और विदेश के विशेषज्ञ मिनिमल इनवेसिव स्पाईन सर्जरी के कार्यक्षेत्र में अपने विचार साझा करेंगे। कार्यक्रम का उद्घाटन जीएमसीएच - 32 की डायरेक्टर प्रिंसिपल प्रोफेसर जसबिंदर कौर करेंगीं। 

सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ मोहिन्दर कौशल जो कि इस क्षेत्र में एंडोस्कोपिक स्पाईन सर्जन हैं, ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य डॉक्टरों को नई और विकसित तकनीकों सहित स्पाईनल एंडोस्कोपिक प्रोसिजर में प्रशिक्षित करना है। ये नई तकनीक रीढ़ को अस्थिर किये और बिना ओपन सर्जरी द्वारा अंजाम दी जाती है।

जीएमसीएच में एनोटोमी विभाग के अध्यक्ष महेश शर्मा और ओर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर रोहित जिंदल ने बताया कि इस दो दिवसीय साइंटिफिक सेशन मे लाईव सर्जरियां, गेस्ट लैक्चर, संगोष्ठियां, क्लिनिकल सेशंस और ऑपरेटिव वीडियो सत्र शामिल होंगें। हैंड्स ऑन कैडवर्स वर्कशाप में मिनिमली इनवेसिव इंटरलामिनर एंडोस्कोपिक डिस्केक्टॉमी और कैनाल डीकंप्रेसन तथा कैनाल डिकोप्रेशंस और परक्यूटीनियस पेडिकूलर स्क्रू फिक्सेशन की मूल पहलुओं पर जोर होगा।
 
कैडवेरिक वर्कशॉप दूसरे और अंतिम दिन जीएमसीएच- 32 के एनाटॉमी हाल में आयोजित किया जायेगा जहां प्रतिनिधियों को एंडोस्पाईन, आथ्रोस्पाईन, यूबीई, ट्रांसफोरामिनल एंडोस्कोपी,ओएलआईएफ और परक्यूटीनियस पेडिकल स्क्रू डालने की तकनीक आदि पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जायेगा।

कार्यक्रम को ट्रांस इंटरलैमिनार एंडोस्कोपी की तकनीक जैसी आथ्रोस्पिन डुओ, यूबीई और इंडोस्कोपिक मिनिमल इनवेसिव पीएलआईएफ टीएलआईएफ फियूजन से अवगत कराने के लिये डिजाईन किया गया है। यूनिलेटरल बाई पोर्टल इंडोस्कोपिक (यूबीई) या टरु स्पाईन एंडोस्कोपी (टीएएस) तकनीक परक्यूटीनियस होने के कारण आसपास की सामान्य मांसपेशियों और टिश्यू को कम से कम चोट लगती है । इससे तेजी से रिकवरी होती है, ऑपरेशन के बाद  कम दर्द होना और डे केयरिंग सेटिंग रोगी में जल्दी गतिशीलता पैदा करता है।

आयोजक तथा वर्ल्ड इंडोस्कोपिक स्पाईन सोसाईटी के वाईस प्रेजीडेंट डॉ मोहिन्दर कौशल ने बताया कि एंडोस्कोपिक स्पाईन सर्जरी ने रीढ़ की बीमारियों के उपचार में क्रांति प्रदान कर दी है। ओपन स्पाईन सर्जरी परम्परागत रुप से बड़े कट, बहुत दर्द और लंबे समय तक ठीक होने, लंबे समय तक अस्पताल में रहने, अत्याधिक दवा का सेवन, संक्रमण का खतरा आदि अन्य संभावनाओं के कारण खराब परिणाम से जुड़ी हुई है। एंडोस्कोपिक स्पाईन सर्जरी के आगमन के साथ रीढ़ की सर्जरी के परिणाम बदल गये हैं। बड़े कटो को छोटा कर दिया गया है, अस्पताल में रहने की अवधि कुछ घंटे तक रहने, जल्द रिकवरी, कम दवाओं का सेवन और दैनिक गतिविधियों पर जल्द लौट आने के कारण यह तकनीक मरीजों में बहुत लोकप्रिय हो गई है।

शहर के जाने इंडोस्कोपिक स्पाईन सर्जन डॉ मुकुल कौशल ने बताया कि इस दिशा में हुये तकनीकी विकास के आगमन के साथ 'की होल सर्जरी' द्वारा रीढ़ की अधिकांश बीमारियों का ईलाज संभव हो गया है। अधिक से अधिक मरीज इसी विकल्प को चुन रहे हैं और इसी के साथ दिशा मे संबंधित क्षेत्र के डाक्टर्स और सपोर्ट स्टाफ भी इस ओर दिनों दिन रुचि दिखा रहे हैं।

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